नई दिल्ली: अंग्रेजी राज में हुए 'जलियांवाला बाग नरसंहार' पर ब्रिटेन सरकार आज भी माफी मांगने से चूक गई. घटना की सौंवी बरसी से पहले ब्रिटेन सरकार द्वारा माफी मांगे जाने के प्रस्ताव पर ब्रिटिश संसद में बहस हुई तो लगभग सभी दलों के सांसदों ने इस मांग का समर्थन किया. हालांकि बहस के जवाब में ब्रिटेन सरकार के एशिया-प्रशांत क्षेत्र मामलों के मंत्री मार्क फील्ड ने इस 100 साल पहले हुई घटना पर संवेदनशीलता तो जताई मगर माफी मांगने से किनारा कर लिया.


हैरो ईस्ट के सांसद बॉब ब्लैकमैन की तरफ से रखे गए प्रस्ताव पर वैस्टमिंस्टर हॉल डिबेट का जवाब देते हुए मंत्री मार्क फील्ड ने कहा कि अतीत में हुई घटनाओं पर माफी मांगने को लेकर मेरा रवैया थोड़ा पारंपरिक है. किसी भी सरकार के पुरानी घटनाओं पर माफी मांगने के वित्तीय पहलू भी हैं. साथ ही एक घटना के लिए माफी मांगने पर अन्य घटनाओं के लिए भी ऐसा करने की मांग बढ़ जाएगी.


हालांकि मंत्री मार्क फील्ड ने सदन में उठी इस मांग से सहानुभूति जताई कि ब्रिटेन सरकार को जलियांवाला बाग हत्याकांड पर अब तक जताए गए गहरे खेद से आगे बढ़ना चाहिए. करीब एक दर्जन सांसदों ने इस बात पर जोर दिया कि 13 अप्रैल 1919 को निहत्थे भारतीयों पर गोलीबारी के लिए मांफी मांगना ब्रिटेन और दक्षिण एशिया के रिश्तों को मजबूती ही देगा. ब्लैकमैन ने कहा कि इससे इतिहास को तो नहीं बदला जा सकता लेकिन एक पन्ना जरूर पलटा जा सकेगा.


ब्रिटेन सरकार के माफी न मांगे जाने पर भारतीय मूल के वरिष्ठ सांसद विरेंद्र शर्मा समेत कई नेताओं ने नाखुशी भी जताई. शर्मा ने बहस के दौरान कहा था कि इस माफी की मांग बीते कई सालों से की जा रही है. शर्मा के मुताबिक अगले हफ्ते भारत-पाकिस्तान और बांग्लादेश मूल के अनेक लोग ब्रिटेन में जमा होंगे जिन्होंने जलियांवाला बाग हत्याकांड में अपने परिजनों को खोया था. सदन में भारतीय मूल की ब्रिटिश सांसद प्रीत गिल ने इस बात पर जोर दिया था कि माफी मांगने के साथ ही इस घटना को स्कूलों में पढ़ाने की जरूरत है ताकि आने वाली पीढ़ियां अतीत को सही रौशनी में देख सकें और उससे सीख ले सकें.


कई सांसदों ने इस बात का भी आग्रह किया कि ब्रिटेन सरकार को जलियांवाला बाग हत्याकांड की जांच के लिए बनाए गए हंटर आयोग की रिपोर्ट पर भी माफी मांगनी चाहिए जिसने इस नृशंस घटना के खलनायक कर्नल डायर को गोली चलाने के फैसले को चूक करार दिया था. बॉब ब्लैकमैन समेत कई सांसद अपनी मांग को लेकर ब्रिटिश संसद में एक हस्ताक्षर अभियान भी चला रहे हैं. उनका आग्रह है कि जलियांवाला बाग में भारत सरकार द्वारा बनाए जा रहे नए संग्रहालय और स्मारक के उद्घाटन समारोह में जब ब्रिटेन सरकार के नुमाइंदे जाएं तो औपचारिक रूप से माफी मांगे.


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