India China Border Row: तवांग में चीन से हुई झड़प के बीच रक्षा मंत्रालय ने खुलासा किया है कि पिछले 5 साल में अरूणाचल प्रदेश में बीआरओ (BRO) ने 3097 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण किया है. रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, पूर्वी लद्दाख सहित चीन से सटी एलएसी (LAC) वाले राज्यों में बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (BRO) ने 8500 किलोमीटर से भी ज्यादा लंबी सड़कें बनाई हैं.
रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट (Ajay Bhatt) ने शुक्रवार (16 दिसंबर) को एक सवाल के जवाब में राज्य सभा को सीमावर्ती इलाकों में हुई सड़कों के निर्माण का ब्यौरा पेश किया. साथ ही पूर्वी लद्दाख में नए हैलीपैड के निर्माण के बारे में रक्षा राज्यमंत्री ने जानकारी दी.
चीन के सटे राज्यों में सड़कों का निर्माण किया गया
अजय भट्ट ने संसद को बताया, सेना की तरफ से निर्धारित प्राथमिकता के अनुसार रक्षा मंत्रालय (Ministry of Defence) ने एक पंचवर्षीय दीर्घकालिक रॉल ओवर कार्य योजना (LTRoWP) की जिम्मेदारी बीआरओ (BRO) को सौंपी थी. इस प्लान के तहत बीआरओ को सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़कों का निर्माण का काम करना था. बीआरओ ने पिछले पांच साल में कुल 13, 525 किलोमीटर लंबी बॉर्डर रोड्स का निर्माण किया है. इसमें से चीन से सटे राज्यों में 8588 किलोमीटर लंबी सड़कों का निर्माण लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर किया गया है.
सबसे ज्यादा सड़कों का निर्माण लद्दाख में हुआ
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, सबसे ज्यादा सड़कों का निर्माण लद्दाख में (3140 किलोमीटर) किया गया है. इसके बाद अरूणाल प्रदेश में (3097 किलोमीटर), उत्तराखंड (947 किलोमीटर), हिमाचल प्रदेश (740 किलोमीटर) और सिक्किम (664 किलोमीटर) में हुआ है. रक्षा राज्यमंत्री ने संसद को ये भी बताया, हाल ही में पूर्वी लद्दाख के थाकुंग (पैंगोंग-त्सो झील के करीब) और हेनले में हैलीपैड का निर्माण किया गया है. इसके अलावा हेनले में ही सैनिकों के लिए 9528 वर्ग फीट का एक कार्बन न्यूट्रेल हैबीटाइट बनाया गया है.
9 दिसंबर को भारत-चीन सैनिकों के बीच हुई थी झड़प
भारत और चीन के बीच सीमा विवाद के चलते एक बार फिर दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प हुई. अरुणाचल प्रदेश के तवांग में दोनों देशों के सैनिकों में 9 दिसंबर को हुई इस हिंसक में भारत ने चीन के करीब 300 से ज्यादा सैनिकों को पीछे खदेड़ दिया. इस घटना में चीन के 20 सैनिक घायल हुए हैं. सूत्रों के मुताबिक, चीन को भारी नुकसान हुआ है. हालांकि, बाद में दोनों सेनाओं के कमांडरों के बीच तनाव कम करने के लिए बातचीत हुई.
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