नई दिल्ली: चीन से चल रहे तनाव के बीच बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन यानी बीआरओ सीमावर्ती इलाकों में सड़क इत्यादि बनाने के लिए बड़ी तादाद में मजूदरों को सीधे हायर कर रही है. माना जा रहा है कि करीब 11 हजार मजदूरों के स्पेशल ट्रेन के जरिए लद्दाख, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश ले जाया जा रहा है. इस‌ बावत बीआरओ ने झारखंड सरकार से डेढ़ हजार से ज्यादा मजूदरों के लिए करार भी किया है.


चीन से मौजूदा विवाद, सीमावर्ती इलाकों में सड़क, पुल और डिफेंस-फैसेलिटी को लेकर ही है. चीन की तरफ से इसका विरोध किया जा रहा है. लेकिन भारत ने साफ कर दिया है कि चीन से सटे बॉर्डर पर जो भी इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट का काम चल रहा है वो भारत के अधिकार-क्षेत्र में है उससे चीन के आपत्ति नहीं होनी चाहिए. हाल ही में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी थलसेना प्रमुख और दूसरे सैन्य कमांडर्स को आदेश दिया था कि सीमावर्ती इलाकों में ये काम नहीं रूकने चाहिए.


1600 मजदूरों के साथ हुआ करार


दरअसल, कोरोना महामारी और लॉकडाउन के दौरान बड़ी तादाद में प्रवासी मजूदर अपने अपने राज्यों को लौट गए थे.‌ ऐसे में बीआरओ के सामने काम करने के लिए मजदूरों की कमी आ गई थी. इसीलिए बीआरओ अब सीधे राज्य सरकार से संपर्क कर मजूदरों को अपने रोल पर रखना चाह रही है. इसी कड़ी में बीआरओ ने झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार से 1600 मजदूरों का करार किया है. इन मजूदरों को रेलवे की मदद से स्पेशल ट्रैन से सीमावर्ती इलाकों में भेजा जाएगा.


करार के तहत बीआरओ झारखंड के अलग अलग जिलों से संपर्क कर मजदूरों को लेकर उनका मेहनताना सीधे उनके अकाउंट में जमा कराएगा. साथ ही उनकी पूरी देखरेख की जिम्मेदारी बीआरओ के कंधों पर होगी.


सूत्रों के मुताबिक, बीआरओ ने कुल 11 हजार मजदूरों को अपने रोल पर लेना का प्लान तैयार कर लिया है. इन मजदूरों को बीआरओ के अधिकारी लद्दाख, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड लेकर जाने की तैयारी कर रही है. इसके लिए बीआरओ की तरफ रेलवे से करीब 60 स्पेशल ट्रेन चलाने का आग्रह किया जा रहा है.


आपको बता दें कि सरकार ने चीन ‌से सटी करीब 3488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा से सटे सीमावर्ती‌ इलाकों में बीआरओ को कुल 73 'स्ट्रेटेजिक रोड' बनाने की जिम्मेदारी दी गई थी. इनमें से 61 बनकर तैयार हो चुकी हैं. लेकिन 12 सामरिक-सड़कें अभी भी रह रही है. इसके अलावा सीमावर्ती इलाकों में कुछ टनल भी बीआरओ तैयार कर रहा है उसके लिए भी बड़ी तादाद में मजदूरों की आवश्यकता है.


सिक्किम में बन चुकी है ऐसी सड़क


लद्दाख में जो डीएसडीबीओ रोड यानि 255 किलोमीटर लंबी दुरबुक-श्योक-दौलत बेग ओल्डी रोड भी बीआरओ ने ही तैयार की थी. इस रोड पर छोटे बड़े कुल 35 ब्रिज (पुल) भी बीआरओ ने ही तैयार किए हैं. इसी सड़क को लेकर चीन सबसे ज्यादा बौखलाया हुआ है. इस‌ सड़क की हालांकि कुछ जगह पर ब्लैक-टॉपिंग फिलहाल रूकी हुई है. इसके लिए भी मजदूरों की खास जरूरत है.


डीएसडीबीओ रोड के अलावा लद्दाख में चीन सीमा से सटे इलाकों में बीआरओ पांच और बेहद महत्वपूर्व सड़कों का निर्माण कर रहा है.‌ उनमें हैं पैंगोंग-त्सो लेक के करीब फॉबरांग से हॉट-स्प्रिंग तक और फॉबरांग से मर्सेमिक-पास तक शामिल है. आपको बता दें कि मर्सेमिक दर्रा (18 हजार फीट की उंचाई पर) दुनिया के सबसे उंचे दर्रों में से एक हैं जहां बीआरओ सड़क बनाने जा रही है. इसके अलावा एक सडक डेमचोक में और एक हेनले में बनाई जा रही है. हॉट-स्प्रिंग के करीब ही वो गोगरा इलाका है जहां फिलहाल भारत और चीन के सैनिकों के बीच फेसऑफ यानि टकराव जारी है.


आपके बता दें कि डोकलम विवाद के बाद भी बीआरओ ने सिक्किम में एक ऐसी रोड तैयार की है जिससे विवादित इलाके पर मात्र 3-4 घंटे में पहुंचा जा सकता है. पहले वहां तक पहुंचने में दो-तीन लग जाते थे. इस सड़क पर टैंक भी आसानी से दौड़ सकते हैं.


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