शहडोल: महाराष्ट्र के औरंगाबाद में हुए ट्रेन हादसे में मारे गए दो भाइयों ब्रजेश और शिवदयाल ने दुर्घटना से एक दिन पहले ही अपने पिता से फोन पर कहा था कि वे एक विशेष ट्रेन से जल्द ही अपने गांव पहुंचेंगे.


ब्रजेश और शिवदयाल के पिता गजराज ने कहा, "हादसे से एक दिन पहले बेटों ने फोन पर बताया था कि महाराष्ट्र से ट्रेन चलने वाली है, जिसमें बैठकर वे शहडोल आएंगे. बेटों ने यह भी बताया था कि वे ट्रेन पकड़ने के लिए पैदल निकल चुके हैं और शुक्रवार को ट्रेन में बैठ जाएंगे. बेटे तो नहीं आए, लेकिन उनकी मौत की खबर आ गई."


'मेरे बुढ़ापे का सहारा छिन गया'


इस हादसे में जिले के बनचाचर गांव के दो सगे भाइयों निर्वेश सिंह (20) और रविन्द्र सिंह (18) की भी मौत हो गई. उनके पिता रामनिरंजन सिंह ने कहा, "मेरे बुढ़ापे का सहारा छिन गया और मुझे यह समझ नहीं आ रहा कि अब आगे मेरी जिंदगी कैसे कटेगी." शहडोल जिले के 11 मृतकों के शव शनिवार दोपहर शहडोल पहुंचेंगे. हादसे का शिकार हुए ये सभी लोग आपस में रिश्तेदार थे.


अंतिंम संस्कार के लिए मिलेंगे 10-10 हजार रुपये


हादसे के बाद ब्यौहारी विधानसभा सीट से बीजेपी के विधायक शरद कोल, जिला पंचायत सदस्य तेजप्रताप सिंह उइके, कलेक्टर डॉ सत्येंद्र सिंह और पुलिस अधीक्षक सत्येंद्र शुक्ला बनचाचर गांव पहुंचे और मृतकों के परिजनों से मिलकर उन्हें ढांढस बंधाया. शहडोल जिले के एक अधिकारी ने बताया, "जिला प्रशासन मृतकों के अंतिम संस्कार की तैयारी कर रहा है. अंतिम संस्कार के लिए प्रत्येक मृतक के परिवार को दस-दस हजार रुपए दिए जाएंगे."


शहडोल के रेलवे स्टेशन प्रबंधक के पी गुप्ता ने बताया कि औरंगाबाद ट्रेन हादसे के मृतकों के शवों को लेकर आ रही ट्रेन सुबह लगभग आठ बजे इटारसी पहुंची थी. इस ट्रेन के एक बजे के आसपास शहडोल पहुंचने की संभावना है. मृतकों में 11 मध्यप्रदेश के शहडोल और पांच उमरिया जिले के मूल निवासी हैं.


पैतृक गांव पहुंचेंगे शव


इस बीच जबलपुर से मिली एक रिपोर्ट के अनुसार औरंगाबाद (महाराष्ट्र) से ट्रेन से लाए जा रहे शवों को उमरिया और शहडोल जिलों में उनके पैतृक गांव पहुंचाया जायेगा. पश्चिम-मध्य रेलवे की मुख्य जनसंपर्क अधिकारी प्रियंका दीक्षित ने कहा, "मृतक मजदूरों के शवों को लाने वाले रेल कोच को जबलपुर में ट्रेन से अलग कर इन कोच को शहडोल और उमरिया भेजने की व्यवस्था की जाएगी."


'16 मजदूरों की हुई थी मौत'


गौरतलब है कि महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में रेल की पटरियों पर सो रहे 16 प्रवासी मजदूरों की शुक्रवार सुबह एक मालगाड़ी की चपेट में आने से मौत हो गई थी. भुसावल की ओर पैदल जा रहे ये मजदूर मध्य प्रदेश लौट रहे थे. वे रेल की पटरियों के किनारे चल रहे थे और थकान के कारण पटरियों पर ही सो गए थे. ये सभी महाराष्ट्र के जालना की एक स्टील फैक्टरी में काम करते थे.


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