फोन टैपिंग मामले से तेलंगाना की सियासत में हलचल, पुलिस ने 3 आरोपियों को किया गिरफ्तार
तेलंगाना उच्च न्यायालय ने इस मामले में विधायक हरीश राव की गिरफ्तारी पर 19 फरवरी तक रोक लगा दी है. राज्य सरकार ने अदालत से अनुरोध किया है कि हरीश राव के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए.

तेलंगाना में फोन टैपिंग के मामले ने राज्य की सियासत में हलचल मचा दी है. फोन टैपिंग मामले ने नया मोड़ ले लिया है, जिसमें बीआरएस के वरिष्ठ नेता और सिद्दीपेट के विधायक टी. हरीश राव पर गंभीर आरोप लगे हैं.
रियल एस्टेट व्यवसायी जी. चक्रधर गौड़ की शिकायत पर, पुलिस ने हरीश राव और अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया है. गौड़ का आरोप है कि राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता के चलते उनके और उनके परिवार के फोन अवैध रूप से टैप किए गए.
इस मामले में पुलिस ने वंशीकृष्ण, संतोष कुमार और परशुरामुलु नाम के तीन व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है, जो गौड़ को धमकी भरे संदेश भेजकर धन उगाही करने की कोशिश कर रहे थे. वंशीकृष्ण, जो पहले हरीश राव के निजी सहायक रह चुके हैं, को मुख्य आरोपी बताया गया है.
हरीश राव की गिरफ्तारी पर रोक
तेलंगाना उच्च न्यायालय ने इस मामले में हरीश राव की गिरफ्तारी पर 19 फरवरी तक रोक लगा दी है. राज्य सरकार ने अदालत से अनुरोध किया है कि हरीश राव के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए, क्योंकि उन पर राज्य की खुफिया एजेंसी का दुरुपयोग कर राजनीतिक विरोधियों के फोन अवैध रूप से टैप करने का आरोप है. इसे लेकर विपक्षी दलों ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं.
पूर्व डीएसपी को मिली जमानत
फोन टैपिंग मामले में हैदराबाद की एक अदालत ने आरोपी पूर्व डीएसपी को जमानत दे दी है. प्रथम अतिरिक्त सत्र न्यायालय ने शुक्रवार (14 फरवरी, 2025) को डी. प्रणीत राव की जमानत याचिका मंजूर कर ली. प्रणीत को 1 लाख रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही रकम के 2 जमानतदार पेश करने पर जमानत दी.
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प्रणीत पहले तेलंगाना में विशेष खुफिया ब्यूरो में डीएसपी के पद पर तैनात थे. प्रणीत उन पुलिस अधिकारियों में शामिल थे, जिन्हें मार्च 2024 में हैदराबाद पुलिस ने भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) सरकार के दौरान कथित फोन टैपिंग के आरोप में गिरफ्तार किया था.
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