BSF Passing Out Parade: भारत की सीमाओं को और ज्यादा सुरक्षित बनाने के लिए सीमा सुरक्षा बल (BSF) में 599 नए रंगरूट बहादुर जवान शामिल हुए हैं. पूर्वी और दक्षिणी भारत के रहने वाले इन प्रशिक्षु जवानों ने अपनी 44 हफ्ते की कठिन ट्रेनिंग को पूरा कर लिया है. उनके शामिल होने पर कश्मीर के हुमहामा में सीमा सुरक्षा बलों के सहायक प्रशिक्षण केंद्र में खुशी का माहौल देखा गया.
यह सभी जवान गुरुवार (9 नवंबर) को पासिंग आउट परेड (Passing Out Parade) और वेरिफिकेशन समारोह के साथ सीमा प्रहरी के रूप में बीएसएफ का हिस्सा बन गए. 114 से 118 बैच के जवानों में 204 ओडिशा, 208 आंध्र प्रदेश, 112 केरल और 75 जवान तेलंगाना से संबंध रखते हैं.
बीएसएफ के महानिदेशक आईपीएस नितिन अग्रवाल इस समारोह में बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित रहे और कार्यक्रम की अध्यक्षता की. इस दौरान डीजी ने बीएसएफ भर्ती कांस्टेबलों की भव्य सत्यापन परेड का निरीक्षण भी किया.
'डीजी ने करियर विकल्प के रूप में बल को चुनने पर रंगरूटों की सराहना की'
इन जवानों को संबोधित करते हुए बीएसएफ महानिदेशक ने उनकेआत्मविश्वास, कौशल और समन्वय की खुले दिल से सराहना की है. उन्होंने बीएसएफ को करियर विकल्प के रूप में चुनने के वाले रंगरूटों को साहस और उत्साह के साथ देश की सेवा करने के लिए भी प्रोत्साहित किया.
कश्मीर में BSF सहायक प्रशिक्षण केंद्र ने प्रशिक्षित किए 35 हजार से अधिक जवान
उन्होंने कहा कि कश्मीर में बीएसएफ सहायक प्रशिक्षण केंद्र ने रंगरूटों को प्रशिक्षित सीमा प्रहरी के रूप में सफलतापूर्वक ढाला है. उनको आत्मविश्वास दिया है और उनको 1990 से अनुशासित जवानों में बदल दिया है. इसने 35 हजार से अधिक जवानों को न केवल हथियार चलाने में प्रशिक्षित किया है, बल्कि शारीरिक और शारीरिक प्रशिक्षण देने के लिए मॉड्यूल भी तैयार किए हैं.
डीजी ने कहा कि इसने नए रंगरूटों को मानसिक सहनशक्ति प्रशिक्षण भी दिया. इन जवानों ने 44 सप्ताह के प्रशिक्षण के दौरान धीरे-धीरे विभिन्न प्रकार के हथियारों को संभालने, फायरिंग कौशल, कानून, ड्रिल और सीमा प्रबंधन में दक्षता हासिल की.
शारीरिक, मानसिक और पेशेवर रूप से तैयार किए रंगरूट्स
इसके अलावा, एसटीसी बीएसएफ, कश्मीर के प्रशिक्षकों की कड़ी मेहनत के कारण उनकी शारीरिक दक्षता भी कई गुना बढ़ गई, जिसके परिणामस्वरूप वे शांति के साथ-साथ युद्ध में भी देश की सेवा करने के लिए शारीरिक, मानसिक और पेशेवर रूप से तैयार हैं. रंगरूटों को फील्ड इंजीनियरिंग, फील्ड क्राफ्ट, रणनीति, आतंकवाद विरोधी, उग्रवाद विरोधी संचालन, कानून और व्यवस्था और मानवाधिकार आदि के लिए प्रशिक्षण दिया गया है.
इस अवसर पर विभिन्न इनडोर और आउटडोर प्रशिक्षण गतिविधियों में असाधारण प्रदर्शन करने वाले रिक्रूट्स को पदक प्रदान किए गए. प्रत्येक बैच से 5 प्रशिक्षुओं को विभिन्न प्रतियोगिताओं में सर्वश्रेष्ठ चुना गया और उन्हें ट्रॉफी प्रदान की गईं.
बीएसएफ गीत को सुनकर खुशी में झूम उठे मौजूद दर्शक
सेना, वायुसेना, सीआरपीएफ, एसएसबी, जेकेपी, बीएसएफ के वरिष्ठ अधिकारी और सीमा सुरक्षा बल के जवान, उनके परिवार, प्रशिक्षुओं के परिवार के सदस्य और स्कूली बच्चे इस यादगार परेड के गवाह बने. पासिंग आउट परेड के बाद, ब्रास बैंड शो, दक्षिण भारतीय प्राचीन मार्शल आर्ट (कलारीपयट्टू) और रंगरूटों के बीएसएफ गीत ने दर्शकों का दिल भी जीत लिया जिससे माहौल झूम उठा.
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