LAC विवाद के बाद पैंगोंग लेक के पास सरकार की कवायद, स्थानीय लोगों के साथ सेना-ITBP के जवानों को मिलेगी मदद
एलएसी से जुड़े इलाकों में सेना का अपना खुद का सेक्योर लैंडलाइन नेटवर्क है जिस पर सैनिक कमांड, कोर और सेना मुख्यालय से कम्युनिकेशन करते हैं. सैनिक आपस में बात करने के लिए भी इस सेक्योर फोन का इस्तेमाल करते हैं.
पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी के गांवों को अब टेलिफोन और इंटनेट से जोड़ने की कवायद शुरू हो गई है. इसी कड़ी में पैंगोंग-त्सो झील के दक्षिण में चुशुल सेक्टर के दो गांव, मिरक और खाकतेड में बीएसएनएल के मोबाइल टॉवर लगाए गए हैं. इन मोबाइल टॉवर्स को चुशुल के स्थानीय पार्षद और सेना की मदद से लगाए गए हैं. इस फोन कनेक्टेवेटी से स्थानीय लोगों को तो देश के अन्य इलाकों से संचार करने में मदद मिलेगी ही, सेना और आईटीबीपी के जवानों को भी मदद मिल सकेगी.
चुशुल के स्थानीय पार्षद कोंचुक स्टेनजिन के मुताबिक, मोबाइल फोन के लिए ऑपटिक्ल फाइबर केबिल बिछाने का काम सेना ने किया है. खुद कोंचुक स्टेनजिन ने सीमावर्ती गांवों में मोबाइल कनेक्टेविटी के लिए पिछले हफ्ते सेना की लेह स्थित 14वीं कोर के कमांडर पीजीके मेनन से आग्रह किया था. एक हफ्ते के भीतर ही सेना ने स्थानीय लोगों के लिए ऑपटिकल फाइटब केबिल बिछाने का काम पूरा कर लिया. जिसके बाद मंगलवार को बीएसएनएल ने यहां मोबाइल टॉवर लगा दिया.
सेना की चौकियां भी मोबाइल फोन, 2 जी इंटरनेट से जुड़ेंगी
खुद कोंचुक स्टेनजिन ने इस कार्यक्रम की तस्वीरें ट्वीटर पर साझा की, जिसमें वे खुद सेना के अधिकारियों के साथ मोबाइल टॉवर का उदघाटन करते दिख रहे हैं. कोंचुक स्टेनजिन के मुताबिक, इस मोबाइल कनेक्टेविटी से एलएसी के करीब थाकुंग और फिंगर एरिया में बनी सेना की चौकियां भी मोबाइल फोन और 2 जी इंटरनेट से जुड़ जाएंगी. इसके अलावा काउंसलर-फंड से सीमावर्ती गांवों मं सोलर पैनल भी लगाए गए हैं.
आपको बता दें कि एलएसी से जुड़े इलाकों में सेना का अपना खुद का सेक्योर लैंडलाइन नेटवर्क है जिस पर सैनिक कमांड, कोर और सेना मुख्यालय से कम्युनिकेशन करते हैं. सैनिक आपस में बात करने के लिए भी इस सेक्योर फोन का इस्तेमाल करते हैं. पैंगोंग-त्सो से सटे इलाकों में अभी तक किसी भी तरह की कोई संचार-व्यवस्था नहीं थी. पैंगोंग-त्सो लेक पर आने वाले पर्यटकों को भी मोबाइल कनेक्टेविटी ना होने के चलते काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
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