नई दिल्ली: मोदी के खिलाफ 2019 का सबसे अहम और बड़ा गठबंधन बनने के अपने आखिरी पड़ाव पर है, बल्कि सूत्रों के मुताबित गठबंधन का फॉर्मूला तय हो गया लेकिन इस गठबंधन में राहुल गांधी की कांग्रेस के लिए कोई जगह नहीं छोड़ी गई है. मायावती और अखिलेश ने न केवल गठबंधन पर सहमति बनाई है बल्कि सीटों का भी बंटवारा कर दिया है. सीट बंटवारे का फॉर्मूला ये है कि यूपी की 80 लोकसभा सीटों में से बीएसपी 38 पर, समाजवादी पार्टी 37 पर और अजित सिंह की पार्टी आरएलडी 3 सीटों पर लड़ेगी. कांग्रेस के लिए इतनी रियायत हुई है कि रायबरेली में सोनिया गांधी के खिलाफ और अमेठी में राहुल गांधी के खिलाफ कोई उम्मीदवार नहीं उतारा जाएगा. कांग्रेस चाहे तो इसे गठबंधन में अपना हिस्सा मान सकती है.


भले ही रामगोपाल यादव ने ऐसे सीट बंटवारे के फॉर्मूले से कैमरे पर इनकार कर दिया हो लेकिन क्रिकेट की तरह राजनीति भी संभावनाओं का खेल है. राजनीति के इस खेल में कौन सा मोहरा कब किस खाने में बैठेगा बड़े से बड़ा सियासी पंडित भी नहीं बता सकता. धुर विरोधी कब दोस्त हो जाएं और कब दोस्ती अदावत में तब्दील हो जाए किसी को नहीं मालूम. उत्तर प्रदेश में भी कुछ ऐसा ही होता नजर आ रहा है. कभी एक दूसरे के धुर विरोधी रहे एसपी और बीएसपी ने 2019 के बड़े सियासी समर के लिए हाथ मिला लिया है. इसे प्रधानमंत्री मोदी और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी दोनों के लिए झटका माना जा रहा है.


उत्तर प्रदेश के राजनीतिक इतिहास को जिन लोगों ने करीब से देखा है वो जानते हैं कि एसपी-बीएसपी के बीच की ये नजदीकियां नई नहीं हैं. एक वक्त था जब ना सिर्फ दोनों पार्टियों ने साथ में चुनाव लड़ा बल्कि सरकार बनाई थी. लेकिन फिर आखिर ऐसा क्या हुआ कि दोनों के दुश्मनी इतनी बढ़ गई कि साथ आने में 25 साल लग गए?


एक नजर यूपी-बीएसपी के सियासी इतिहास पर
दरअसल इस कहानी की शुरुआत हुई करीब 28 साल पहले. एसपी के 'सबसे बड़े' नेता मुलायम सिंह यादव साल 1990 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे. इसी दौरान 30 अक्टूबर और दो नवम्बर 1990 को अयोध्या में हुए गोलीकांड के बाद मुलायम सिंह यादव की काफी किरकिरी हुई थी.


इस किरकिरी का खामियाजा मुलायम सिंह को अगले चुनाव में उठाना पड़ा. 1991 में हुए विधानसभा के चुनाव में मुलायम सिंह यादव को करारी शिकस्त मिली थी. भाजपा ने राज्य में पहली बार सरकार बनाई थी. कल्याण सिंह को मुख्यमंत्री बनाया गया था.


'हिंदुत्व के पोस्टर ब्वॉय' रहे कल्याण सिंह भी कुर्सी पर ज्यादा दिन तक नहीं टिक पाए. छह दिसम्बर 1992 को कारसेवकों ने विवादित ढांचा ढहा दिया. कल्याण सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दिया था कि विवादित मस्जिद की हिफात की जाएगी, तब असफल रहने के बाद कल्याण सिंह की सरकार बर्खास्त कर दी गई थी.


कल्याण सिंह के जाने के बाद एक साल तक राष्ट्रपति शासन रहा. 1993 में बीएसपी के तत्कालीन अध्यक्ष कांशीराम और मुलायम सिंह यादव की पार्टी एसपी ने मिलकर चुनाव लड़ा. 1993 में एसपी-बीएसपी गठबंधन ने सरकार बनाई और मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री चुने गए. बीएसपी को 1991 में 12 सीटों पर जीत मिली थी जो 1993 में बढ़कर 67 हो गई थी. एसपी ने 109 सीटों पर जीत हासिल की जबकि बीजेपी 177 सीटों पर जीती.


करीब डेढ़ साल तक एसपी-बीएसपी गठबंधन की सरकार चली लेकिन इसके बाद जो हुआ इतिहास बन गया है. दो जून 1995 को लखनऊ में स्टेट 'गेस्ट हाऊस कांड' हो गया. बीएसपी अध्यक्ष मायावती के साथ एसपी कार्यकर्ताओं ने दुर्व्यवहार किया था. इसके बाद एसपी-बीएसपी का गठबंधन टूट गया. 1996 में भाजपा के सहयोग से मायावती पहली बार मुख्यमंत्री बनीं, तभी से एसपी और बीएसपी के सम्बंधों में खटास आ गई थी.


2014 के लोकसभा और 2017 के विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद एसपी-बीएसपी साथ आने लगे. अखिलेश यादव समाजवादी पार्टी के मुखिया बने और पार्टी में नेतृत्व बदल गया. अखिलेख ने आगे बढ़कर गठबंधन का इरादा जाहिर किया. अखिलेश यादव मायावती को बुआ कहते हैं. एक शाम अखिलेश यादव अचानक मायावती के घर पहुंचे, इसके बाद हर किसी के मन में पल रहे शिकवे दूर हो गए.


मार्च 2014 में फूलपुर और गोरखपुर में हुए लोकसभा के उपचुनाव में बीएसपी ने प्रत्याशी न उतारकर एसपी के प्रत्याशी का समर्थन किया. दोनों चुनावों में एसपी को जीत मिली. फिर कैराना लोकसभा के उपचुनाव में एसपी-बीएसपी नें आरएलडी प्रत्याशी का समर्थन किया, नूरपुर विधानसभा के उपचुनाव में भी एसपी को सभी पार्टियों नें समर्थन दिया, आरएलडी और एसपी की चुनावों में जीत हुई.


25 साल बाद फिर एक बार सियासत उसी मोड़ पर आकर खड़ी हो गई है, जब एसपी और बीएसपी के एक साथ चुनाव लड़ने की खबरें हैं. इस बीच तीन राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ की जीत से गदगद राहुल गांधी को इस गठबंधन में 'किनारे' लगा दिया गया है. सियासी जानकारों का कहना है कि अगर ये गठबंधन बनता है को 2014 में 71 सीट जीतने वाली बीजेपी के लिए खतरा हो सकता है.


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