लखनऊ: यूपी से राज्यसभा की दस सीटों के लिए चुनाव 23 मार्च को हो रहा है. राज्यसभा पहुँचने के लिए मायावती ने अखिलेश के साथ हाथ मिलाया तो था पर अब वोटों का गणित कुछ ऐसा बैठ रहा है कि मायावती खुद राज्यसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी.
यूपी में बीएसपी ने भीमराव आंबेडकर को राज्यसभा के लिए अपना उम्मीदवार बनाया है. भीमराव इटावा के लखना विधानसभा से 2003 में विधायक बने थे. अभी तक चर्चा ये थी कि मायावती खुद राज्यसभा में जाना चाहती हैं और इसीलिए वो वोटों का गणित बैठाने में लगी थीं.
- यूपी में कुल 10 सीटों पर राज्यसभा चुनाव होना है
- एक राज्यसभा सदस्य के लिए 37 विधायकों के वोट जरूरी हैं
- इस हिसाब से बीजेपी के 324 विधायकों के साथ 8 सांसद आसानी से चुन लिए जाएंगे
- 9 वीं सीट के लिए समाजवादी पार्टी का दावा पक्का दिख रहा है क्योंकि उसके 47 विधायक हैं
- समाजवादी पार्टी के पास 10 विधायकों के वोट ज्यादा हैं इसीलिए मायावती ने इस चुनाव में एसपी से दोस्ती का एलान किया है
- अपने 19 और एसपी के 10 विधायकों के साथ मायावती की बीएसपी के लिए 29 वोटों का इंतजाम हो गया
- अगर कांग्रेस के 7 विधायक भी बीएसपी को वोट दे दें तो ये संख्या 36 पहुंच जाएगी यानी जरूरत से 1 कम
- ये एक वोट अजित सिंह के राष्ट्रीय लोक दल के एक विधायक से पूरा होने का दावा किया जा रहा है
लेकिन ये गणित उतना सीधा है नहीं जितना दिख रहा है क्योंकि अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव, समाजवादी पार्टी में तो हैं पर जरूरी नहीं कि वो और उनके समर्थक विधायक पार्टी लाइन के हिसाब से बीएसपी के लिए वोट करें.
यही नहीं राजा भैया जैसे निर्दलीय विधायक भी अखिलेश के समर्थक नहीं माने जाते यानी बीएसपी उम्मीदवार के जीतने के लिए जरूरी 37 वोटों को इंतजाम मुश्किल हो सकता है. शायद यही वजह है कि मायावती अब खुद राज्यसभा चुनाव नहीं लड़ रही हैं.