लोकसभा उपचुनाव: पीएम मोदी से मुकाबले के लिए अखिलेश-मायावती की पार्टी में डील
आज इलाहाबाद और गोरखपुर में पार्टी के लोकल नेताओं की बैठक बुलाई गई है. शाम को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर औपचारिक एलान हो सकता है.
नई दिल्ली: पूर्वोत्तर के चुनाव नतीजों में बीजेपी को बंपर जीत मिलने के बाद देश में राजनीति में हलचल मची हुई है. बीजेपी के बढ़ते रुतबे और प्रधानमंत्री मोदी के लगातार बढ़ते कद से धुर विरोधी भी अब साथ आ रहे हैं. उत्तर प्रदेश में दो लोकसभा सीटों फूलपुर और गोरखपुर में उपचुनाव होने हैं. इन सीटों पर चुनाव के लिए धुर विरोधी रही बीएसपी और एसपी ने हाथ मिलाया है.
गोरखपुर और इलाहबाद में आज पार्टी पदाधिकारियों की बैठक में बीएसपी ने दोनों जगह एसपी उम्मीदवारों को समर्थन का एलान किया. आज शाम प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसका औपचारिक एलान किया जा सकता है. बता दें कि लोकसभा सीट योगी आदित्यनाथ के सीएम बनने के बाद और फूलपुर लोकसभा सीट केशव प्रसाद मौर्य के डिप्टी सीएम बनने के बाद खाली हुई थीं.
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होली से पहले ही लिखी गई थी स्क्रिप्ट, राज्यसभा में भी रहेगा साथ? एसपी और बीएसपी के इस मिलन की स्क्रिप्ट होली के पहले ही लिखी गई थी. यूपी विधानसभा में विपक्ष के नेता रामगोविंद चौधरी और बीएसपी के लालजी वर्मा के बीच उपचुनाव को लेकर साथ रहने पर बातचीत हुई थी. बाद में तय हुआ कि राज्यसभा चुनाव में भी साझेदारी बनी रहे. जानकारी के मुताबिक अब तक अखिलेश यादव और मायावती के बीच कोई सीधी बातचीत नहीं हुई है.
क्या कहता है यूपी का राज्यसभा चुनाव का गणित? 23 मार्च को यूपी की 10 राज्यसभा सीटों पर चुनाव होना है. एक राज्यसभा सीट जीतने के लिए 37 विधायकों की जरूरत है. यूपी की 10 में 8 राज्यसभा सीटें बीजेपी आसानी से जीत लेगी. एसपी के पास 47 विधायक हैं, एक 1 सीट पर एसपी का कब्जा होगा. बीएसपी के पास 19 विधायक हैं. इसके बाद मायावती को राज्यसभा जाने के लिए 18 विधायकों की जरूरत है. एसपी, कांग्रेस और आरएलडी समर्थन दे तभी मायावती राज्यसभा जा पाएंगी.
फूंक-फूंक कर कदम रख रही हैं मायावती लोकसभा उपचुनाव के लिए बीएसपी और एसपी का गठबंधन तय माना जा रहा है. जानकारी के मुताबिक बीएसपी और समाजवादी पार्टी के नेता साझा चुनाव प्रचार नहीं करेंगे लेकिन बूथ मैनेजमेंट के लिए दोनों के साथ वाली कमेटियां बनाई जायेंगी.
एसपी-बीएसपी के साथ आने से क्या बीजेपी को नुकसान होगा? 2014 के गोरखपुर लोकसभा चुनाव के नतीजे के देखें तो और सपा-बीएसपी को मिला भी दें तो भी बीजेपी करीब 1.40 लाख वोटों से आगे थी. यानी गोरखपुर में बीजेपी को ज्यादा नुकसान की उम्मीद नहीं है.
फूलपुर की बात करें तो यहां भी बीजेपी की स्थिति मजबूत है. यहां भी स्थिति गोरखपुर की तरह ही है. यानी 2014 के नतीजों के हिसाब से बीएसपी और एसपी के वोट को मिला दें तब भी बीजेपी को नुकसान होता नहीं दिख रहा. लेकिन माना जा रहा है कि एगर एसपी और बीएसपी साथ आते हैं तो बीजेपी के लिए थोड़ी मुश्किल हो सकती है.