Lok Sabha Election 2024: अमरोहा से बहुजन समाज पार्टी (BSP) के सांसद दानिश अली (Danish Ali) ने एक भविष्यवाणी की है. उन्होंने कहा कि इस बात की बहुत अधिक संभावना है कि 2024 के आम चुनाव के परिणामस्वरूप केंद्र में संयुक्त मोर्चा की सरकार बनेगी.


अली इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर के ओवरसीज चैप्टर की ओर से आयोजित एक कार्यक्रम के सिलसिले में सऊदी अरब पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने वहां एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए 2024 के आम चुनावों में केंद्र की बीजेपी सरकार (BJP Government) की हार का दावा किया. 


'केंद्र में गैर-बीजेपी सरकार बनाने में कोई बाधा नजर नहीं आती'


केंद्र में संयुक्त मोर्चा की सरकार के सत्ता में आने के अपने दावे को विस्तार से बताते हुए अली ने आगे कहा कि हवाएं बदलने लगी हैं. बीजेपी के सहयोगी दल तेजी से एनडीए छोड़ रहे हैं. आने वाले दिनों में इसमें और तेजी आने की उम्मीद है, क्योंकि बीजेपी के सहयोगी अब उन पर भरोसा करने को तैयार नहीं हैं.


अली ने आगे कहा कि बीजेपी ने पिछले चुनावों में बिहार, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक जैसे राज्यों में लगभग सभी सीटों पर जीत हासिल की थी, लेकिन अब स्थिति बदल रही है. बीजेपी को इन सभी राज्यों के साथ-साथ पश्चिम बंगाल और असम में भी भारी झटका लगने वाला है. अगर गैर-बीजेपी पार्टियों का संयुक्त मोर्चा बनता है तो उन्हें केंद्र में गैर-बीजेपी सरकार बनाने में कोई बाधा नजर नहीं आती है.


अप्रवासी भारतीय की तारीफ की
 
इस बीच, भारतीय प्रवासी को लुभाने के लिए अली ने उन्हें भारत और सऊदी अरब का राजदूत बताया. अली ने कहा कि आप लोग यहां बहुत मेहनत कर रहे हैं और भारतीय अर्थव्यवस्था में बहुत योगदान दे रहे हैं. आपका योगदान रुपये को मजबूत करने में अहम भूमिका निभा रहा है क्योंकि आप हर साल 5 अरब डॉलर भेजते हैं. आप सिर्फ अपने काम पर ध्यान दें और मौजूदा राजनीतिक हालात को लेकर चिंतित नहीं होना चाहिए. 


यूपी से विलुप्ति की कगार पर बसपा


दानिश अली की पार्टी को पिछले उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election) में करारी हार का सामना करना पड़ा था. कभी मायावती (Mayawati) के नेतृत्व में यूपी की सत्ता में काबिज बसपा अब उत्तर प्रदेश से लगभग विलुप्त हो गयी है. अब, उत्तर प्रदेश विधान सभा में बलिया जिले के रसड़ा से बसपा विधायक उमाशंकर सिंह अकेले पार्टी के एकमात्र विधायक हैं. हालांकि, बसपा के लोकसभा में पार्टी प्रमुख मायावती सहित 10 सांसद हैं. जहां एक तरफ उनकी पार्टी अपने अस्तित्व को बचाए रखने के लिए संघर्ष कर रही है, वहीं अली अपनी पार्टी और उसके प्रमुख के समर्थन में एक मजबूत मोर्चा बनाने की कोशिश कर रहे हैं. 


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