Budaun Murder: न रंजिश, न दुश्मनी...फिर साजिद क्यों बना खूनी, बदायूं हत्याकांड का क्या होगा चुनावी असर? डिटेल में समझें पूरी कहानी
Budaun Double Murder: बदायूं में हुए दोहरे हत्याकांड ने लोगों को झकझोर कर रख दिया है. एक आरोपी का एनकाउंटर हो चुका है, जबकि दूसरा आरोपी जावेद फिलहाल फरार है.र
Budaun Double Murder News: उत्तर प्रदेश के बदायूं में हुई दो मासूम बच्चों की हत्या ने सभी को हिलाकर रख दिया है. इस हत्याकांड को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं. हत्या के दो आरोपियों में से एक का यूपी पुलिस से मुठभेड़ में एनकाउंटर हो गया है, जबकि दूसरे आरोपी जावेद की तलाश हो रही है. जावेद पर पुलिस ने 25 हजार रुपये का इनाम भी रखा है. लोकसभा चुनाव से पहले ऐसे निर्मम हत्याकांड होने की वजह से राजनीति भी खूब हो रही है.
यूपी पुलिस ने हत्याकांड के आरोपियों के पिता और चाचा को हिरासत में लिया है और उनसे पूछताछ चल रही है. फिलहाल पुलिस जावेद की तलाश में जुटी है, लेकिन चुनावी समय में पूरा मामला सांप्रदायिक रंग में रंगता नजर आ रहा है. विपक्ष सरकार पर सवाल उठा रहा है तो सत्ताधारी दल बीजेपी के निशाने पर समाजवादी पार्टी है. दोनों दलों के नेता एक-दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा रहे हैं, लेकिन इस हत्याकांड में जान गंवाने वाले मासूमों के परिवार को अभी इंसाफ का इंतजार है.
बदायूं हत्याकांड पर समाजवादी पार्टी ने क्या कहा?
समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव का कहना है कि बदायूं की घटना पुलिस-प्रशासन की नाकामी है. बीजेपी हर घटना का राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश कर रही है. सपा ने ट्वीट कर कहा है कि बीजेपी यूपी में दंगा फसाद और सांप्रदायिक तनाव खड़ा करके चुनाव जीतना चाहती है और इसी कारण से ऐसी घटनाओं को खुद अंजाम दिलवा रही रही है. बीजेपी के इशारे पर गुंडे-बदमाश खुले घूम रहे हैं और ऐसी वारदातों को अंजाम दे रहे हैं.
वहीं, बदायूं डबल मर्डर को समाजवादी पार्टी के विधायक शिवपाल सिंह यादव ने दुखद घटना बताया है. उन्होंने कहा कि ये बेहद ही दुखी कर देने वाली घटना है. बीजेपी सरकार में कानून-व्यवस्था पूरी तरह फेल हो गई है. पुलिस ने आरोपी का एनकाउंटर कर दिया है तो अब मामले का खुलासा किस तरह होगा? यहां गौर करने वाली बात ये है कि लोकसभा चुनाव के लिए समाजवादी पार्टी ने बदायूं से शिवपाल यादव को ही टिकट दिया है.
सपा के आरोपों पर बीजेपी ने क्या कहा?
बदायूं से बीजेपी सांसद संघमित्रा मौर्य ने समाजवादी पार्टी को निशाने पर लेते हुए कहा है कि पुरानी सरकारों में इस तरह की वारदातें रोज हुआ करती थीं. उन्होंने कहा कि सपा को किसी भी तरह की बयानबाजी करने से पहले अपने गिरेबान में झांककर देखने की जरूरत है. सपा की सरकार में क्या-क्या हुआ है, ये सब जानते हैं. पिछले पांच साल में बदायूं में इस तरह की कोई घटना नहीं हुई, जबकि सपा के राज में ऐसी घटनाएं रोज होती थीं.
बीजेपी प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने कहा है कि समाजवादी पार्टी अपराधियों को संरक्षण देती है. उन्होंने आरोप लगाया कि बदायूं की घटना पर सपा घटिया राजनीति कर रही है. अगर सपा की सत्ता होती तो अपराधियों को संरक्षण होता. राकेश त्रिपाठी ने कहा कि योगी सरकार में अपराधियों के खिलाफ कठोरता से कार्यवाई हो रही है. बदायूं कांड में भी अपराधी के साथ पूरी कठोरता बरती गई है.
बदायूं का राजनीतिक समीकरण कैसा है?
दो मासूमों की दर्दनाक हत्या उस बदायूं में हुई है, जिसका सियासी महत्व बहुत ज्यादा है. मुस्लिम बहुल बदायूं और उसके आस-पास के क्षेत्र में इस हत्याकांड का असर चुनावों में साफ दिखाई दे सकता है.
- बदायूं सीट पर 1996 से 2019 तक समाजवादी पार्टी का कब्जा रहा है.
- इस सीट पर 6 बार समाजवादी पार्टी जीत चुकी है.
- 2019 के चुनाव में बीजेपी ने बदायूं में समाजवादी पार्टी को हराया था.
- बीजेपी की संघमित्रा मौर्य बदायूं की सांसद हैं.
बीजेपी संघमित्रा मौर्य को फिर से उम्मीदवार बनाएगी या नहीं ये तस्वीर अभी तक साफ नहीं है. दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी ने शिवपाल यादव जैसे मजबूत प्रत्याशी को चुनावी मैदान में उतारकर बदायूं के चुनाव को रोमांचक बना दिया है.
बदायूं सीट का जातीय समीकरण कैसा है?
जहां तक बदायूं के जातीय समीकरण का सवाल है तो यहां सबसे ज्यादा 4 लाख यादव वोटर हैं. मुस्लिम वोटरों की संख्या भी 3.5 लाख से ज्यादा है. गैर यादव ओबीसी वोटर करीब 2.5 लाख हैं. वैश्य और ब्राह्मण वोटरों की संख्या भी करीब 2.5 लाख है. वहीं, दलित वोटरों की संख्या पौने दो लाख के आसपास है. भले ही सपा को यहां से 2019 में हार मिली है, लेकिन कहीं न कहीं इस सीट पर अभी भी उसका अच्छा-खासा प्रभाव है.
साजिद ने क्यों की मासूमों की हत्या?
आरोपी साजिद का नाई का खोखा पीड़ित परिवार के घर के सामने ही था. उसका घर में आना-जाना भी था. मंगलवार शाम 7:30 बजे वे घर के अंदर गया और छत पर दोनों बच्चे खेल रहे थे उन पर हमला किया और दोनों बच्चों की हत्या कर दी. जब वह भागने लगा तो भीड़ ने उसे पकड़ने की कोशिश की, लेकिन वह फरार हो गया. पुलिस को सूचना मिलते ही उसने घेराबंदी कर साजिद को पकड़ने की कोशिश की, लेकिन साजिद ने उन्हीं पर फायरिंग कर दी. जवाबी फायरिंग में उसकी मौत हो गई.
इस पूरी घटना पर पुलिस का बयान भी सामने आ गया है, लेकिन घटना की वजह क्या है इसका खुलासा नहीं हुआ है. यहां गौर करने वाली बात ये है कि साजिद की पीड़ित परिवार से कोई पुरानी रंजिश या दुश्मनी भी नहीं थी. साजिद के पिता का कहना है कि उन्हें दोनों मासूमों की हत्या पर बहुत अफसोस है. हालांकि, उन्होंने कहा कि उनका बेटा साजिद किसी साजिश का शिकार बना है. फिलहाल जब तक दूसरे आरोपी जावेद को नहीं पकड़ा जाता है, तब तक इस बात का खुलासा नहीं हो पाएगा कि इस हत्याकांड को क्यों अंजाम दिया गया.
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