नई दिल्ली: आम बजट की तैयारी पांच महीने की लंबी प्रक्रिया है. आखिर क्यों बजट पेश करने से पांच महीने पहले ही बजट पर माथापच्ची शुरू हो जाती हैं.


बजट विशेष: वित्त मंत्रालय में हर शख्स पर रहती है CCTV की नज़र, टैप होते हैं अधिकारियों के फोन!


सितंबर के आखिरी हफ्ते में शुरु हो जाती हैं बजट की तैयारियां


यूं तो वित्त मंत्री फरवरी के अंत में बजट को जनता के सामने रखते हैं, लेकिन बजट पर काम लगभग पांच महीने पहले ही शुरु हो जाता है. सितंबर के आखिरी हफ्ते में बजट की तैयारियां शुरु हो जाती है. कहते है इस समय भारत सरकार एक साल में उतनी राशि खर्च कर डालती है, जितनी हमारी सवा अरब की आबादी भोजन पर साल भर में खर्च करती है.


बजट में अधिक फंड की मांग करते हैं सभी मंत्रालय


अक्तूबर और नवंबर के दौरान वित्त मंत्री सभी मंत्रालयों के साथ बैठक करते है. इस बैठक में सभी मंत्रालय बजट में अधिक फंड की मांग करते हैं और अपने-अपने तरीके से वित्त मंत्री को संतुष्ट करते हैं. इतना ही नहीं औद्योगिक, बैंकिंग संगठनों के प्रतिनिधि और देश के चुनिंदा अर्थशास्त्री वित्त मंत्री को अपनी चिंताओं से अवगत कराते हैं. साथ ही अपने सुझाव भी उन्हें देते हैं.



आर्थिक नीतियां तय करने का काम करता है कोर ग्रुप


बजट तैयारी के दौरान प्रधानमंत्री के नेतृत्व में सरकार का एक कोर ग्रुप केंद्र सरकार की आर्थिक नीतियां तय करने का काम भी करता है. इस कोर ग्रुप में प्रधानमंत्री के अलावा वित्त मंत्री और वित्त मंत्रालय के अधिकारी होते हैं. वित्त मंत्रालय की ओर से प्रशासनिक स्तर पर जो अधिकारी होते हैं उसमें वित्त सचिव के अलावा राजस्व सचिव और व्यय सचिव शामिल होते हैं .यह कोर ग्रुप वित्त मंत्रालय के सलाहकारों के साथ लगातार संपर्क में रहता है. इस सभी औपचारिकताओं के दौरान बजट पर माथापच्ची चलती रहती है.