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सुबह 11 बजे पेश होगा मोदी सरकार का आखिरी पूर्ण बजट, मिडिल क्लास को राहत मिलने की उम्मीद
यह बजट ऐसे समय में पेश किया जा रहा है जबकि आने वाले महीनों में आठ राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं. इनमें से तीन प्रमुख राज्यों में बीजेपी की सरकारें हैं. अगले साल आम चुनाव भी होने हैं.
नई दिल्ली: वित्त मंत्री अरूण जेटली आज संसद में वित्तीय वर्ष 2018-19 का आम बजट पेश करेंगे, जो उनकी सरकार का पांचवां और संभवत: सबसे कठिन बजट होगा. यह बजट साल 2019 के आम चुनावों से पहले बीजेपी की अगुआई वाली एनडीए सरकार का आखिरी पूर्ण बजट होगा.
इस साल आठ राज्यों में विधानसभा चुनाव
जेटली आज सुबह 11 बजे लोकसभा में बजट पेश करेंगे. इस बजट में जेटली को राजकोषीय लक्ष्यों को साधने के साथ कृषि क्षेत्र के संकट, रोजगार सृजन व आर्थिक वृद्धि को गति देने की चुनौतियों का हल ढूंढना होगा. यह बजट ऐसे समय में पेश किया जा रहा है जबकि आने वाले महीनों में आठ राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं. इनमें से तीन प्रमुख राज्यों में बीजेपी की सरकारें हैं. अगले साल आम चुनाव भी होने हैं.
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किसानों को लुभाने पर रहेगा जोर- सूत्र
बजट में नयी ग्रामीण योजनाएं आ सकती हैं तो मनरेगा, ग्रामीण आवास, सिंचाई परियोजनाओं व फसल बीमा जैसे मौजूदा कार्यक्रमों के लिए आवंटन में बढ़ोतरी भी देखने को मिल सकती है. गुजरात में हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में देखने को मिला कि बीजेपी का ग्रामीण वोट बैंक छिटक रहा है जिसे ध्यान में रखते हुए जेटली अपने बजट में कृषि क्षेत्र के लिए कुछ प्रोत्साहन भी ला सकते हैं. इसी तरह लघु उद्योगों के लिए भी रियायतें आ सकती हैं क्योंकि इस खंड को बीजेपी के प्रमुख समर्थक के रूप में देखा जा सकता है.
टैक्स में मिल सकती है छूट
जेटली जीएसटी के कार्यान्वयन से इस वर्ग को हुई दिक्कतों को दूर करने के लिए कुछ कदमों की घोषणा कर सकते हैं. इसके साथ ही आयकर छूट सीमा बढ़ाकर आम आदमी को कुछ राहत देने का प्रयास भी बजट में किया जा सकता है. राजमार्ग जैसी ढांचागत परियोजनाओं के साथ साथ रेलवे के आधुनिकीकरण के लिए अधिक आवंटन किया जा सकता है. लेकिन इसके साथ ही जेटली के समक्ष बजट घाटे को कम करने की राह पर बने रहने की कठिन चुनौती भी है. अगर भारत इस डगर से चूकता है तो वैश्विक निवेशकों व रेटिंग एजेंसियों की निगाह में भारत की साख जोखिम में आ सकती है.
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जीएसटी के कार्यान्वयन के बाद यह पहला आम बजट
जेटली ने राजकोषीय घाटे को मौजूदा वित्त वर्ष में घटाकर जीडीपी के 3.2 प्रतिशत पर लाने का लक्ष्य रखा था. आगामी वित्त वर्ष 2018-19 में घटाकर तीन प्रतिशत किया जाना है. जीएसटी के कार्यान्वयन के बाद यह पहला आम बजट होगा जिस पर विश्लेषकों की इसलिए भी निगाह है क्योंकि वे देखना चाहते हैं कि जेटली वृद्धि को बल देने के लिए क्या क्या उपाय करेंगे.
कारपोरेट कर में कमी करेंगे जेटली?
ऐसी चर्चा है कि शेयरों में निवेश से होने वाले पूंजीगत लाभ पर कर छूट समाप्त हो सकती है. यह भी देखना होगा कि क्या जेटली कारपोरेट कर में कमी लाने के अपने वादे को पूरा करते हैं या नहीं. जानकारों का कहना है कि कुछ क्षेत्रों में निर्यात बढ़ाने के लिए प्रोत्साहनों की घोषणा हो सकती है तो उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए स्टार्टअप यानी नयी कंपनियों के लिए कुछ कदम उठाए जा सकते हैं.
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राजेश शांडिल्यसंपादक, विश्व संवाद केन्द्र हरियाणा
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