नई दिल्लीः संसद के गलियारों में हर साल की तरह इस साल भी देश के आम बजट को लेकर गहमागहमी का माहौल बना हुआ है. इस साल कोरोना वायरस के कारण देश के बजट पर सालों से चली आ रही परंपरा पर गहरा असर पड़ने वाला है. बताया जा रहा है कि आजादी के बाद से ऐसा पहली बार होगा कि बजट नहीं छपेगा.


पहले खबर मिल रही थी कि बजट पेश होने से पहले हलवा सेरेमनी का आयोजन भी रद्द किया जा सकता है. लेकिन वित्त मंत्रालय की ओर से इस खबर का खंडन करते हुए कहा गया है कि सालों से चली रही परंपरा 'हलवा सेरेमनी' का आयोजन किया जाएगा.





मनाई जाएगी 'हलवा सेरेमनी'


न्यूज एजेंसी एएनआई की खबर के अनुसार, 'वित्त मंत्रालय की ओर से उन मीडिया रिपोर्ट का खंडन किया गया है, जिसमें कहा गया था कि इस साल हलवा सेरेमनी का आयोजन नहीं किया जाएगा.' एएनआई ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि संसद में बजट पेश होने से 10 दिन पहले इस सेरेमनी का आयोजन किया जाएगा.


पीडीएफ फॉरमेट में दिया जाएगा बजट


कोरोना संकट के चलते वित्त मंत्रालय ने कहा है कि प्रिंटिंग प्रेस में 100 लोगों को एक साथ नहीं रखा जा सकता है. इसलिए, इस बार बजट पेपर नहीं छपेंगे. इसके बदले एक कॉमन लिंक बनाया जाएगा जिससे सभी सांसद और लोग बजट को पीडीएफ फॉरमेट में देख सकेंगे.


फरवरी में पेश होगा बजट


बजट सत्र का पहला चरण 29 जनवरी से शुरू होगा और 15 फरवरी को समाप्त होगा. 29 जनवरी को राष्ट्रपति के अभिभाषण के साथ ही बजट सत्र की शुरुआत की जाएगी. 1 फरवरी को बजट पेश किया जाएगा. केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने बताया है कि बजट सत्र का दूसरा चरण 8 मार्च से 8 अप्रैल तक होगा. उन्होंने कहा कि सत्र के दौरान कोविड-19 प्रोटोकॉल का अनिवार्य रूप से ध्यान दिया जाएगा.


क्यों मनाई जाती है हलवा सेरेमनी


हलवा सेरेमनी के पीछे मान्यता रही है कि हर शुभ काम को करने से पहले कुछ मीठा खाना चाहिए, साथ ही भारतीय परंपरा में हलवे को काफी शुभ भी माना जाता है. इसीलिए बजट जैसे बड़े इवेंट के लिए दस्तावेजों की छपाई से पहले इस सेरेमनी का आयोजन किया जाता है. इस परंपरा के तहत वर्तमान वित्त मंत्री खुद बजट से जुड़े कर्मचारियों, बजट की छपाई से जुड़े कर्मचारियों और वित्त अधिकारियों को हलवा बांटते हैं.


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