Budget 2021: यह जनता के दुख-दर्द दूर करता, तो कुछ और बात होती !
कोरोना महामारी के दौरान उम्मीद थी कि केंद्रीय वित्त मंत्री केंद्र सरकार की उपलब्धियां गिनाने के बजाए अपने बजट में शिक्षा, चिकित्सा, रोटी, कपड़ा और मकान सस्ते से सस्ते दामों पर आम जनता को उपलब्ध कराने की घोषणाएं करतीं. लेकिन ऐलान यह हुआ है कि सिर्फ चार क्षेत्रों में सरकारी कंपनियां काम करेंगी, बाकियों का विनिवेश कर दिया जाएगा.
नई दिल्लीः केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करने से पहले कहा था कि इस बार वह ऐसा बजट पेश करेंगी, जैसा आज तक कभी नहीं पेश किया गया. यह बात इस मायने में सच साबित हुई कि उन्होंने पूरी तरह से पेपरलेस बजट प्रस्तुत करके दिखा दिया. दूसरी खास बात यह रही कि यह बजट विधानसभा चुनावों का सामना करने जा रहे राज्यों; खासकर पश्चिम बंगाल को उपकृत करता और लुभाता दिख रहा है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को बजट का पिटारा खोलने से पहले गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर क्यों याद आए, यह समझना भी मुश्किल नहीं है. मालूम हो कि बंगाल के अलावा तमिलनाडु, केरल, असम और पुदुचेरी में चुनाव के लिए बमुश्किल चार महीने ही बचे हैं. तीसरी खास बात यह थी कि वित्त मंत्री नेअपना बजट पढ़ने के पहले चरण में ही वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान हुई सरकार की उपलब्धियां गिनाना शुरू कर दिया.
जबकि सरकारी आंकड़े खुद अनुपलब्धियों की गवाही दे रहे हैं कि सीतारमण ने पिछले साल बजट में 2.10 लाख करोड़ रुपये के विनिवेश का जो लक्ष्य रखा था वह आज तक हासिल नहीं हुआ है. खुद रिजर्व बैंक और कुछ सरकारी एजेंसियों ने स्वीकार किया है कि वित्त वर्ष 20-21 के दौरान सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि दर -10 प्रतिशत यानी शून्य से 10 प्रतिशत नीचे रहेगी. संसद में पेश आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार इस साल देश की अर्थव्यवस्था में 7.7 % की गिरावट दर्ज होगी. लेकिन दावे करना सरकारों का रुटीन काम है और जनता ऐसे दावों की असलियत जानती है.
बजट में स्वास्थ्य, ढांचागत निर्माण, यातायात, विनिवेश, बीमा, बिजली, रेलवे की सेहत आदि के साथ-साथ किसानों की भलाई को लेकर भी बड़ी-बड़ी घोषणाएं की गई हैं. लेकिन घोषणाओं की पूर्ति सरकार की नीयत के साथ-साथ केंद्रीय खजाने की सेहत पर भी बहुत ज्यादा निर्भर करती है. सूरते हाल यह है कि टैक्स वसूली में तेज गिरावट दर्ज की गई है. बीते अप्रैल से नवंबर के बीच टैक्स से होने वाली आमदनी में 12.6% की कमी आई है और कुल 10.26 लाख करोड़ रुपये ही वसूल हो पाए हैं; और वह भी तब जबकि सरकारपेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाकर किसी तरह खजाना खाली होने से बचा रही है.
इसके बाद भी कुल टैक्स वसूली 24.2 लाख करोड़ रुपये के लक्ष्य से काफी कम रहने की आशंका है. इसका ताप राज्य सरकारों को भी महसूस होगा, क्योंकि इसी टैक्स में उनकी भी हिस्सेदारी होती है. जाहिर है आने वाले दिनों में पूरे देश की आर्थिक सेहत और बिगड़ने वाली है. ऐसे में नए सब्जबाग और नई घोषणाओं का खोखलापन भांप लेना कोई रॉकेट साइंस नहीं है.
पश्चिम बंगाल में अप्रैल-मई के दौरान विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं. बीजेपी ने वहां एड़ी-चोटी का जोर लगा रखा है. इसलिए भावनाओं से लेकर सौगातों तक का खेल खेलना पार्टी के लिए वक्त की मांग है. सीतारमण ने पश्चिम बंगाल में 25 हजार करोड़ रुपए की लागत से नए राजमार्ग बनाने की योजना का ऐलान किया. कोलकाता के नजदीक डानकुनी से फ्रेट कॉरिडोर बनाने की बात कही. कोलकाता-सिलीगुड़ी नेशनल हाइवे प्रोजेक्ट का ऐलान किया.
राज्य के खड़गपुर से विजयवाड़ा तक माल ढुलाई के लिए समर्पित एक अलग फ्रेट कॉरिडोर बनाने की घोषणा की. असम के विधानसभा चुनाव भी नजदीक हैं. वित्त मंत्री ने असम में 34 हजार करोड़ रुपये खर्च करके अगले तीन साल में हाइवे और इकॉनोमिक कॉरिडोर कंप्लीट कर देने का ऐलान कर दिया है.
असम में भाजपा और असम गण परिषद के गठबंधन की सरकार है, जिसमें मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल हैं. पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की सरकार है और ममता बनर्जी मुख्यमंत्री हैं. केरल में लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट की सरकार है यानी भाकपा और माकपा के साथ अन्य लेफ्ट पार्टियों का गठबंधन और मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन हैं. तमिलनाडु में ईके पलानीस्वामी सीएम हैं और एआईएडीएमके सत्ता में है.
कांग्रेस के पास सिर्फ तमिलनाडु से सटा केंद्रशासित प्रदेश पुदुचेरी है, जहां वी नारायणसामी सीएम हैं. केंद्रीय वित्तमंत्री ने इन राज्यों के चुनावी साल में बंगाल, तमिलनाडु और केरल में नए इकॉनोमिक कॉरिडोर बनाने का ऐलान किया है, जैसे कि देश के अन्य राज्यों को इनकी जरूरत ही नहीं है.
पश्चिम बंगाल और असम का जिक्र ऊपर हो ही चुका है. उन्होंने 3500 किमी लंबे नेशनल हाइवे प्रोजेक्ट के तहत तमिलनाडु के अंदर 1.03 लाख करोड़ रुपए खर्च करने का ऐलान किया है, इसी में कुछ इकॉनोमिक कॉरिडोर भी बनाए जाएंगे. इसके अलावा केरल में 65 हजार करोड़ रुपये के 1100 किमी नेशनल हाइवे बनाए जाएंगे. मुंबई-कन्याकुमारी इकॉनोमिक कॉरोडिर का भी ऐलान हुआ है. बजट केरल, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में भारतमाला प्रोजेक्ट के तहत अरबों रुपये खर्च करने की बात भी कर रहा है.
देश इस साल जिन असाधारण परिस्थितियों से गुजरा है, उसे देखते हुए उम्मीद थी कि केंद्रीय वित्त मंत्री केंद्र सरकार की उपलब्धियां गिनाने के बजाए अपने बजट में शिक्षा, चिकित्सा, रोटी, कपड़ा और मकान सस्ते से सस्ते दामों पर आम जनता को उपलब्ध कराने की घोषणाएं करतीं. लेकिन ऐलान यह हुआ है कि सिर्फ चार क्षेत्रों में सरकारी कंपनियां काम करेंगी, बाकियों का विनिवेश कर दिया जाएगा.
ऐसी सरकारी कंपनियों की पहचान की जा रही है, जिनमें सरकार अपनी हिस्सेदारी घटाएगी. जाहिर है, निजी क्षेत्र की लूटपाट बढ़ेगी और जनता का जीवन पहले से ज्यादा कठिन हो जाएगा. इसलिए इस बजट को महज चुनावी राज्यों को साधने के हथियार के तौर पर देखा जाए, तो गलत नहीं होगा.