नई दिल्ली: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज वित्त वर्ष 2021-22 के लिए बजट पेश कर दिया है. बड़ी बात यह है कि बजट में आम जनता को टैक्स में कोई राहत नहीं दी गई है. बजट में मौजूदा टैक्स स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया है. निर्मला सीतारमण ने कहा है कि वरिष्ठ नागरिकों को टैक्स में राहत दी जाएगी. 75 की उम्र पार कर चुके वरिष्ठ नागरिकों को अब आईटीआर भरने की जरूरत नहीं होगी. यानी अब वह इनकम टैक्स रिटर्न नहीं भरेंगे.


10 लाख से 20 लाख तक की सैलरी पर नए और पुराने सिस्टम में कितना टैक्स चुकाना पड़ेगा?




  • 7.5 से 10 लाख तक की इनकम पर 15 फीसदी टैक्स


बता दें कि अगर किसी की सैलरी या इनकम 2.5 लाख रुपये है तो इसे सरकार द्वारा कर मुक्त रखा गया है. यह पुराने और नए दोनों सिस्टम में एक समान है. वहीं 2.5 लाख रुपये से 5 लाख तक की आय पर पहले की तरह की 5 फीसदी टैक्स लगाया गया है. वहीं जिन लोगों की आय 5 लाख रुपये से 7.5 लाख रुपये तक है उन पर 10 फीसदी टैक्स लगाया गया है. जिनकी इनकम 7.5 लाख से  10 लाख रुपये तक है उन्हें 15 फीसदी टैक्स चुकाना होगा.




  • 15 लाख से ज्यादा कमाई पर 30 फीसदी है टैक्स


वे लोग जो सालाना 10 लाख से 12.5 लाख रुपये कमाते हैं उन्हें 20 फीसदी टैक्स चुकाना होगा. 12.5 लाख रुपये से 15 लाख रुपये की इनकम पर सरकार द्वारा 25 फीसदी टैक्स लगाया गया है और जिनकी आय 15 लाख रुपये से ज्यादा है उन पर 30 फीसदी टैक्स लगाया गया है.


इनकम टैक्स की नई और पुरानी दरें


इनकम (रुपये)                       नई दर                    पुरानी दर


2.5 लाख रुपये तक                 कोई कर नहीं                कोई कर नहीं


2.5 लाख - 5 लाख तक            5 फीसदी                       5 फीसदी


5 लाख – 7.5 लाख                  10 फीसदी                     20 फीसदी


7.5 लाख- 10 लाख                  15 फीसदी                     20 फीसदी


10 लाख – 12.5 लाख               20 फीसदी                  30 फीसदी


12.5 लाख – 15 लाख               25 फीसदी                  30 फीसदी


15 लाख से ऊपर                     30 फीसदी                    30 फीसदी


क्या होता है इनकम टैक्स?
आपकी सालाना आय पर केंद्र सरकार जो कर वसूल करती है, उसे इनकम टैक्स कहते हैं. इसे हिंदी में आयकर लिखा और कहा जाता है. यह हर व्यक्ति की आय के अनुसार अलग-अलग दर से वसूल की जाती है. यही इनकम टैक्स व्यावसायिक संस्थाओं पर कॉरपोरेट टैक्स के रूप में वसूला जाता है.


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