नई दिल्ली: केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली में किसान पिछले करीब दो महीनों से आंदोलन कर रहे हैं. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में एक के बाद एक कई बड़े एलान किए. किसान आंदोलन को देखते हुए उम्मीद की जा रही थी कि सरकार इस बार किसानों के लिए पूरा खजाना खोल देगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. पिछले साल के मुकाबले इस बार कृषि बजट में दो फीसदी का ही इजाफा हुआ है.


बजट में खेती-किसानी के लिए 2% बढ़ोतरी


साल 2019-20 में सरकार ने कृषि क्षेत्र को 1.12 लाख करोड़ रुपये दिए थे. 2020-21 के लिए कृषि क्षेत्र की मजबूती के लिए 1.45 लाख रुपये आवंटित किए गए थे, लेकिन इस साल यानि 2021-22 के लिए 1.48 लाख करोड़ रुपये ही दिए गए हैं. हालांकि बजट में सरकार का जोर कृषि से जुड़ी बुनियादी सुविधाओं के विकास पर रहा.


बजट में किसानों के लिए क्या है ?




  • सरकार ने साल 2021-21 के लिए खेती लोन को 15 लाख करोड़ से बढ़ाकर 16.5 लाख करोड़ करने का ऐलान किया.

  • पशुपालन, डेयरी और मछ्ली पालन करने वाले किसानों को ज्यादा लोन उपलब्ध कराया जाएगा.

  • कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ाने देने के लिए ऑपरेशन ग्रीन स्कीम का दायरा बढ़ाया जाएगा.

  • स्कीम के जरिए पहले टमाटर, आलू और प्याज की खरीद होती थी, लेकिन अब जल्दी खराब होने वाले 22 नए उत्पादों को इसमें शामिल करने की योजना है.

  • एग्रीकल्चर इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड तक एपीएमसी यानि कृषि मंडियों की भी पहुंच होगी.
    कोच्चि, चेन्नई, विशाखापट्टनम, पारदीप और पेटुआघाट जैसे शहरों में 5 बड़े फिशिंग हार्बर बनेंगे.

  • घरेलु किसानों को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने कृषि उत्पादों के आयात पर टैक्स बढ़ा दिया है.


1000 और मंडियों को डिजिटल व्यापार से जोड़ेगी सरकार


1000 और मंडियों को सरकार डिजिटल व्यापार से जोड़ेगी. मौजूदा वक्त में 1.68 करोड़ किसान E-NAM डिजिटल प्लेटफॉर्म पर रजिस्टर्ड हैं और लगभग 1.14 लाख करोड़ का व्यापार कर चुके हैं, जिसे बढ़ाने का लक्ष्य है. इसके अलावा गांव-देहात में बुनियादी ढांचा सुधारने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलमेंट फंड को 30 हजार करोड़ से बढ़ाकर 40 हजार करोड़ किया गया है.


इस बज़ट में MSP के प्रति प्रतिबद्धता भी जाहिर की है और APMC को सशक्त बनाने की दृष्टि से भी सरकार ने ध्यान रखा है. बजट में सरकार ने ये दिखाने की कोशिश की है कि वो किसानों के साथ है, लेकिन एक सच ये भी है इस सरकार का अब तक का सबसे बड़ा और लंबा विरोध आंदोलन भी किसान संगठनों ही कर रहे है और इस बीच संयुक्त किसान मोर्चा ने 6 फरवरी देशभर में तीन घंटे के चक्काजाम का ऐलान कर दिया है..


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