(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
एक से तीन फीसदी तक सस्ते हो सकते हैं वाहन, बजट के इस एलान से कीमत घटने की उम्मीद
बजट में ऑटोमोबाइल उद्योग कि लंबे समय से स्क्रेपेज पॉलिसी की जो मांग थी उस का एलान बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कर दिया है. 15 साल से पुराने वाणिज्यिक वाहन और 20 साल से पुराने पैसेंजर वाहन अब स्क्रेपेज पॉलिसी के दायरे में आएंगे.
नई दिल्ली: सभी तरह के वाहन जिनमें कार, दुपहिया, बस, ट्रक, ट्रैक्टर खरीदने वालों के लिए बजट से अच्छी खबर आई है. आने वाले दिनों में वाहनों की कीमतें 1-3 फीसदी तक कम हो सकती हैं. इसकी वजह है स्टील उत्पादों पर आयात शुल्क में की गई कटौती. दरअसल बजट में स्टील उत्पादों पर आयात शुल्क को 12.5 फ़ीसदी से घटाकर 7.5% कर दिया गया है. सभी प्रकार के वाहनों को बनाने में स्टील सबसे मुख्य उत्पाद है.
जानकारों का मानना है कि वाहनों को बनाने में स्टील की हिस्सेदारी 30 फ़ीसदी से लेकर 60 फ़ीसदी तक होती है. ऐसे में जब वाहन बनाने की लागत कम होगी तो कंपनियां ग्राहकों के लिए इनकी कीमतें 1 फ़ीसदी से लेकर 3 फ़ीसदी तक घटा सकती हैं. 2021 के आगाज के साथ ही कार कंपनियों ने अपने वाहनों की कीमतें यह कहते हुए बढ़ाई थीं कि उनकी उत्पादन लागत बढ़ रही है. उत्पादन लागत बढ़ने की सबसे मुख्य वजह स्टील के दामों में बढ़ोतरी था. अब जब बजट में स्टील पर आयात शुल्क घटा दिया गया है तो ऐसे में कंपनियों की लागत भी घटने की उम्मीद है.
स्क्रेपेज पॉलिसी बजट में ऑटोमोबाइल उद्योग कि लंबे समय से स्क्रेपेज पॉलिसी की जो मांग थी उस का एलान बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कर दिया है. 15 साल से पुराने वाणिज्यिक वाहन और 20 साल से पुराने पैसेंजर वाहन अब स्क्रेपेज पॉलिसी के दायरे में आएंगे. फेडरेशन ऑफ ऑटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन का अनुमान है कि अगर 1990 को आधार माना जाए तो लगभग 37 लाख वाणिज्यिक वाहन और लगभग 52 लाख पैसेंजर व्हीकल स्क्रेपेज के दायरे में आ जाएंगे. अगर ऐसे में वाणिज्यिक वाहनों का 10 फ़ीसदी और पैसेंजर वाहनों का 5 फ़ीसदी भी स्क्रेपेज में जाता है तो इससे ऑटोमोबाइल उद्योग में बेहद तेजी के साथ मांग बढ़ेगी.
हाईवे से मिलेगी रफ्तार बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने तमिलनाडु, केरल, पश्चिम बंगाल और असम में 6 हज़ार 575 किलोमीटर के नए हाईवे बनाने का एलान किया है. इसके अलावा 19 हज़ार 500 किलोमीटर के भारतमाला प्रोजेक्ट के चलते वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री को तेजी के साथ रफ्तार मिलेगी. गौरतलब है कि बीते 2 साल के दौरान सबसे ज्यादा मार वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री पर ही पड़ी है.
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