Budget 2022: कितना चुनावी और कितना इकोनॉमी बूस्टर है मोदी सरकार का ये बजट? जानिए
Budget 2022: सवाल है कि क्या ये बजट चुनावी बजट था? क्या बजट का कोई चुनाव कनेक्शन मिल पाया? क्या वोटों के लिए बजट में कोई घोषणा थी? जानिए सब कुछ.
Budget 2022: हमेशा ऐसा ही हुआ है कि जब भी चुनावों से पहले कोई बजट आया है, चुनावी राज्यों को ध्यान में रखते हुए घोषणाएं जरूर हुई हैं, लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ. सरकार ने यूपी, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर और गोवा को डायरेक्टली प्रभावित करने वाली कोई प्रमुख घोषणा नहीं की. हालांकि बजट में जो भी प्रावधान हुए हैं, वो देश को आगे ले जाने और देश के इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाने में जरूर काम आएंगे. हालांकि आज का बजट कोई लोक लुभावन बजट नहीं था. मिडिल क्लास के लिए भी कोई खास घोषणाएं नहीं थीं. इसीलिए ये सवाल उठ रहे हैं कि क्या चुनावों की परवाह किए बगैर सरकार ने बहुत बड़ा रिस्क लिया है? या फिर बीजेपी इन चुनावों में कॉन्फिडेंट है कि खास तौर पर यूपी उत्तराखंड में उसकी वापसी हो रही है.
उत्तर प्रदेश में खासकर चुनावी माहौल बेहद गर्म नज़र आ रहा है. एक तरफ सीएम योगी आदित्यनाथ कहते हैं कि ये दो लड़को की जोड़ी आई है. इसमें से एक अपने चाचा के साथ वसूली करता था. तो जयंत चौधरी कहते हैं कि वह जितनी गाली हमें देंगे हम लोग उतने ही शक्तिशाली होंगे. चुनावी माहौल भले ही गर्म हो लेकिन चुनावी संग्राम के बीच आए आज के बजट में क्या चुनावी राज्यों के लिए कुछ खास लेकर आया है? सवाल है कि क्या आज का बजट चुनावी बजट था? क्या बजट का कोई चुनाव कनेक्शन मिल पाया? क्या वोटों के लिए बजट में कोई घोषणा थी?
ये ऐसे सवाल हैं, जिनका जवाब खोजने पर भी नहीं मिल पा रहा है, क्योंकि आज के बजट में सरकार की तरफ से कोई बड़ा धमाका नहीं किया गया. ना तो कोई बहुत बड़ी राहत दी गई और ना ही आम आदमी या टैक्स पेयर के लिए कोई बड़ा सरप्राइज था. विपक्ष खुद कह रहा है कि इससे अच्छा तो चुनावी बजट ही होता.
क्या ये चुनावी बजट था ?
समाजवादी पार्टी नेता और राज्यसभा सांसद रामगोपाल यादव ने कहा, "बहुत ही निराशाजनक है, मुझे उम्मीद थी कि चुनाव को देखते हुए कुछ यूपी को दे दें, लेकिन तब भी नहीं दिया. बड़े लोगों को दिया है, जिन घरानों की महिलाएं डायमंड के गहने पहनती हैं, उनको दिया. हम लोग मीडियम क्लास के लोग हैं, मिडिल क्लास के, कोई छूट नहीं दी. लंबी बातें कर दीं."
सवाल ये है कि सरकार ने 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों को देखते हुए कोई बड़े ऐलान क्यों नहीं किए? क्या सरकार ने ऐसा करके कोई बहादुरी दिखाई है या फिर बीजेपी को चुनावों में अपनी जीत का पूरा भरोसा है? या फिर सरकार चुनावों को अलग और बजट को अलग करके चलना चाहती है?
चुनाव से पहले आने वाले बजट में लोकलुभावन वादे ज्यादा होते हैं और कड़े सुधार के उपाय कम होते हैं. हमने पहले भी ऐसा देखा है:-
- साल 2021 में पश्चिम बंगाल, असम, तमिलनाडु और केरल में अप्रैल-मई में चुनाव हुए थे
- उससे पहले जब फरवरी 2021 में बजट पेश हुआ तो इन राज्यों के लिए कई एलान थे
- जैसे बंगाल और असम के चाय बागान वर्करों के लिए बजट में एक हजार करोड़ रुपए
- केरल में हाईवे के लिए 65 हजार करोड़, तमिलनाडु में कई इकोनॉमिक कॉरिडोर का एलान हुआ था
- इसी तरह से साल 2017 में जब यूपी, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर और गोवा में चुनाव हुए थे, तो सरकार ने बजट में 10 लाख करोड़ रुपये किसानों के कर्ज के लिए रखे थे.
लेकिन इस बार ऐसा नहीं था. इसीलिए इसे चुनावी बजट नहीं कहा जा रहा, क्योंकि:-
- सरकार ने बजट में लोक लुभावन घोषणाएं नहीं कीं
- आम लोगों को सीधे फायदे देने वाली घोषणा नहीं थी
- आयकर दाताओं के लिए कोई बदलाव नहीं था
- मध्यम वर्ग के लिए कोई सीधी घोषणा नहीं थी
- किसानों की कर्जमाफी जैसी कोई घोषणा नहीं थी
इसीलिए विपक्ष इसे खराब बजट बता रहा है. कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने कहा, "बहुत ही निराशाजनक था, इस बजट में कुछ भी नहीं है, यहां तक कि जब हमने भाषण सुना तो मनरेगा का कोई जिक्र नहीं था, डिफेंस का कोई जिक्र नहीं था. हम बहुत ज्यादा महंगाई से जूझ रहे हैं, कोई जिक्र नहीं था, मिडिल क्लास के लिए भी टैक्स में कोई राहत नहीं दी गई है. ये बजट अच्छे दिनों को बहुत दूर धकेल रहा है. अब ये कह रहे हैं कि 25 साल और इंतजार करना पड़ेगा अच्छे दिन आने के लिए."
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बजट की तारीफ की. उन्होंने इसे अगले कई सालों के विकास की तैयारी बताया. पीएम मोदी ने कहा, "यह बजट सौ साल के बाद विकास का नया दौर लेकर आया है. यह बजट ऐतिहासिक है. सभी ने इसका स्वागत किया है. इस बजट से गरीब का कल्याण हो रहा है. बजट ज्यादा इन्फ्रा, ज्यादा ग्रोथ और ज्यादा जॉब्स की संभावनाओं से भरा हुआ है."
हालांकि जानकारों का ये भी मानना है कि ये बजट एक तरह से चुनावी बजट ही था. लेकिन बिना लोकलुभावन घोषणाओं के. सरकार ने बजट में एक तरह से अपनी नीतियों का एलान किया है. टैक्स पर भले ही कोई राहत ना दी, लेकिन कोई नया टैक्स भी नहीं लगाया है. सभी के लिए कुछ ना कुछ एलान किया है.
किसके लिए क्या एलान हुआ?
- लोगों और सामान को तेज गति से लाने ले जाने के लिए 'पीएम गति शक्ति मास्टर प्लान' आएगा
- जिसमें 3 साल में 100 कार्गो टर्मिनल बनाए जाएंगे
- नेशनल हाईवे में 25 हजार किलोमीटर का विस्तार किया जाएगा
- 3 साल में नई पीढ़ी की 400 वंदे भारत ट्रेन बनाई जाएंगी
- उद्योगों को 5 लाख 54 हजार करोड़ से बढ़ाकर 7 लाख 55 हजार करोड़ देने का प्रावधान है
- 5 साल में 60 लाख नई नौकरियां जेनरेट होंगी
- प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 48,000 करोड़ रुपये से 80 लाख सस्ते घर बनाए जाएंगे
- MSP के जरिए किसानों के खाते में 2.37 लाख करोड़ रुपए भेजे जाएंगे
इन घोषणाओं का फायदा भी आम आदमी को ही होगा. देश के इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए ये घोषणाएं की गई हैं. हालांकि मिडिल और सैलरीड क्लास को हर बार की तरह इस बार भी निराशा ही हाथ लगी है. इनकम टैक्स में कोई राहत नहीं मिली है. हर बार की तरह इस बार भी मिडिल क्लास को बजट से काफी उम्मीदें थीं. और हर बार की तरह मिडिल क्लास के हाथ निराशा ही आई.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन ने कहा, "मैं इस अवसर पर देश के सभी करदाताओं को धन्यवाद देना चाहती हूं जिन्होंने पूरा सहयोग देकर जरूरत के इस वक्त पर सरकार के हाथों को मजबूत किया है." यानी मिडिल क्लास को वित्त मंत्री की तरफ से सिर्फ थैंकयू ही मिला है. वित्त मंत्री ने बड़े गर्व से कहा कि कोई छूट नहीं दी तो टैक्स बढ़ाया भी तो नहीं.
मिडिल क्लास को क्या उम्मीदें थीं ?
- इनकम टैक्स में सरकार की तरफ से छूट मिलेगी
- 80C के तहत 1.5 लाख की छूट का दायरा बढ़ेगा
- होम लोन इंट्रेस्ट के 2 लाख रुपये की सीमा बढ़ेगी
- 3 लाख तक की इनकम टैक्स फ्री होगी
- इनकम टैक्स स्लैब में भी बदलाव की उम्मीद थी
- लेकिन सरकार ने कोई बदलाव नहीं किया.
निर्मला सीतारामन क्या बोलीं
निर्मला सीतारामन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में एक सवाल पर कहा, "टैक्स बढ़ाने की उम्मीद थी, तो मैंने नहीं बढ़ाया. मैंने टैक्स नहीं बढ़ाया, पिछले साल और इस साल भी एडिशनल टैक्स नहीं बढ़ाया. पिछली बार प्रधानमंत्री का आदेश था, कि डेफिसिट कितना भी हो, जनता के ऊपर कोई बोझ नहीं डालना. टैक्स द्वारा कोई पैसा कमाने की नहीं सोची. टैक्स इन्क्रीज नहीं हुआ."
क्यों ज़रूरी था मिडिल क्लास को राहत देना?
- आम लोग महंगाई की मार से जूझ रहे हैं
- सामान के अलावा पेट्रोल-डीजल भी महंगा है
- पहले से ही टैक्स की दरें बहुत ज्यादा हैं
- कोविड में नौकरियों में छंटनी हुई है
- कोविड की वजह से तनख्वाहें नहीं बढ़ी हैं
- कोरोना के इलाज में आर्थिक नुकसान भी हुआ है
कैसे सरकार की आमदनी का बड़ा ज़रिया है मिडिल क्लास, यहां जानिए:-
सरकार की कमाई का लेखा-जोखा
- सरकार को उधार और दूसरी देनदारियों से 35 फीसदी की कमाई होती है
- 16 फीसदी हिस्सा GST से आता है
- 15 फीसदी इनकम टैक्स से
- 15 फीसदी कॉरपोरेशन टैक्स से
- 7 फीसदी केन्द्रीय एक्साइज ड्यूटी होती है
- 5 फीसदी कस्टम ड्यूटी से आता है
- और बाकी 7 फीसदी अन्य सोर्स से आता है
इसीलिए कांग्रेस ये आरोप लगा रही है कि सरकार अमीरों को अमीर बना रही है, लेकिन मध्य वर्ग और गरीबों के बारे में नहीं सोच रही. पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने बजट पर कहा, "अमीर अमीर हो रहे हैं, 142 लोगों ने अपनी आय बढ़ाई है. सरकार की कुल आमदनी 42 लाख करोड़ रुपये की है और उन्होंने अपनी संपत्ति 30 लाख करोड़ रुपये तक बढ़ा दी. बहुत जल्द वो सरकार की कुल आमदनी से भी आगे निकल जाएंगे.
मिडिल क्लास की दिलचस्पी इसमें भी रहती है कि बजट में क्या महंगा और क्या सस्ता हो गया. हालांकि जब से जीएसटी लागू हुआ है, बजट में बहुत ज्यादा महंगा सस्ता होता नहीं है, लेकिन फिर भी सरकार ने कुछ सामान पर इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ा दी है. जबकि कई सामानों पर इसे घटा दिया गया है.
क्या होगा महंगा ?
- इंपोर्टेड छाते
- छाते के पार्ट्स
- इमिटेशन ज्वैलरी
ये चीजें होंगी सस्ती
- मोबाइल फोन
- मोबाइल फोन का चार्जर
- स्मार्टवॉच
- स्टील के बर्तन
- रत्न और डायमंड
इसीलिए तो विपक्ष कह रहा है कि हीरे इस सरकार के सबसे अच्छे मित्र हैं. टीएमसी के सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने ट्वीट किया, "हीरे इस सरकार के सबसे अच्छे मित्र हैं. बाकी किसानों, मिडिल क्लास, दिहाड़ी मजदूर और बेरोजारों के लिए ये प्रधानमंत्री परवाह नहीं करते."
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