Budget Session: संसद (Parliament) के संयुक्त अधिवेशन में अभिभाषण के दौरान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ram Nath Kovind) ने कहा कि कोरोना वायरस से उत्पन्न वैश्विक महामारी का यह तीसरा वर्ष है. इस दौरान हमने भारत के लोगों की लोकतांत्रिक मूल्यों में अगाध आस्था, अनुशासन और कर्तव्य-परायणता को और मजबूत होते देखा है.
उन्होंने कहा, "कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया को प्रभावित किया है और भारत में भी हमारे बहुत से अपनों को हमसे छीना है. इन परिस्थितियों में केंद्र से लेकर राज्यों तक हमारी सभी सरकारों, स्थानीय शासन-प्रशासन, हमारे डॉक्टर्स, नर्सेज और हेल्थ वर्कर्स, हमारे वैज्ञानिकों और उद्यमियों सभी ने एक टीम के रूप में काम किया है. सरकार और नागरिकों के बीच यह परस्पर विश्वास, समन्वय और सहयोग, लोकतंत्र की ताकत का अभूतपूर्व उदाहरण है. इसके लिए मैं देश के प्रत्येक हेल्थ और फ्रंट लाइन वर्कर का हर देशवासी का अभिनंदन करता हूं."
सबसे ज्यादा वैक्सीन डोज देने वाले अग्रणी देशों में भारत- राष्ट्रपति
राष्ट्रपति ने कहा, "कोविड-19 के खिलाफ इस लड़ाई में भारत के सामर्थ्य का प्रमाण कोविड वैक्सीनेशन प्रोग्राम में नजर आया है. हमने एक साल से भी कम समय में 150 करोड़ से भी ज्यादा वैक्सीन डोज लगाने का रिकॉर्ड पार किया. आज हम पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा वैक्सीन डोज देने वाले अग्रणी देशों में से एक हैं. इस अभियान की सफलता ने देश को एक ऐसा रक्षा-कवच दिया है, जिससे हमारे नागरिकों की सुरक्षा भी बढ़ी है और उनका मनोबल भी बढ़ा है."
90% से अधिक वयस्क नागरिकों को एक डोज मिल चुकी है- राष्ट्रपति
उन्होंने कहा, "आज देश में 90 प्रतिशत से अधिक वयस्क नागरिकों को टीके की एक डोज मिल चुकी है, जबकि 70 प्रतिशत से अधिक लोग दोनों डोज ले चुके हैं. 'हर घर दस्तक' अभियान के माध्यम से सरकार बाकी लोगों तक भी पहुंच रही है. इसी माह वैक्सीनेशन प्रोग्राम में 15 से 18 वर्ष तक के किशोर-किशोरियों को भी शामिल किया गया है. साथ ही फ्रंटलाइन वर्कर्स और बीमारियों से ग्रस्त वरिष्ठ नागरिकों के लिए Precautionary डोज की शुरुआत भी की गई है."
8 वैक्सीन को इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए स्वीकृति मिल चुकी है- राष्ट्रपति
उन्होंने कहा, "अब तक देश में कुल 8 वैक्सीन को इमरजेंसी इस्तेमाल के लिए स्वीकृति मिल चुकी है. भारत में बन रही तीन वैक्सीन को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की तरफ से आपात स्थिति में उपयोग की मंजूरी भी मिली है. भारत में बन रही ये वैक्सीन पूरी दुनिया को महामारी से मुक्त कराने और करोड़ों लोगों का जीवन बचाने में अहम भूमिका निभा रही हैं."
'महामारी से निपटने के लिए प्रयास केवल तात्कालिक चुनौतियों तक सीमित नहीं'
राष्ट्रपति ने कहा, "कोरोना महामारी से निपटने के लिए हमारे देश के प्रयास केवल तात्कालिक चुनौतियों तक सीमित नहीं हैं, इसलिए मेरी सरकार ऐसे दूरदर्शी समाधान तैयार कर रही है, जो भविष्य के लिए भी प्रभावी और उपयोगी रहें. सरकार की ओर से 64 हजार करोड़ रुपये की लागत से शुरू किया गया प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर मिशन इसका एक सराहनीय उदाहरण है. इससे न केवल वर्तमान की स्वास्थ्य संबंधी जरुरतों को पूरा करने में मदद मिलेगी, बल्कि आने वाले संकटों के लिए भी देश को तैयार किया जा सकेगा.
राष्ट्रपति ने कहा, "कोरोना काल में भारतीय फार्मा सेक्टर ने भी अपनी श्रेष्ठता को साबित किया है. वर्तमान समय में भारतीय फार्मा कंपनियों के उत्पाद 180 से ज्यादा देशों में पहुंच रहे हैं, लेकिन इस क्षेत्र में भारत के लिए संभावनाएं कहीं अधिक व्यापक हैं. फार्मा इंडस्ट्री के लिए मेरी सरकार की ओर से घोषित PLI स्कीम से इन संभावनाओं को विस्तार मिलेगा और रिसर्च को भी गति मिलेगी."