India-Maldives: मालदीव के सुख-दुख का साथी भारत उसकी हरकतों से इस कद्र परेशान हुआ है कि अब नई दिल्ली ने माले को दी जाने वाली वित्तीय मदद में कटौती कर दी है. भारत ने गुरुवार (1 फरवरी) को वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए अंतरिम बजट पेश किया. बजट के तहत भारत ने 2024-25 वित्तीय वर्ष के लिए मालदीव को सहायता में 22 फीसदी की कटौती का प्रस्ताव दिया है. भारत अपने पड़ोसी देश मालदीव की जरूरतों के लिए उसे वित्तीय मदद पहुंचाता रहा है. 


मालदीव के विकास को मदद पहुंचाने के लिए बजट 600 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. भले ही ये सरकार के जरिए किसी विदेशी मुल्क को दी जाने वाली तीसरी सबसे बड़ी सहायता राशि है. मगर पहले दी जा रही मदद के मुकाबले में इसमें कटौती की गई है. 2023-24 में सरकार ने मालदीव को 770.90 करोड़ रुपये की मदद पहुंचाई. 2022-23 में उसे 183.16 करोड़ रुपये दिए गए. विदेश मंत्रालय के जरिए ये मदद विभिन्न स्कीमों के तहत मालदीव तक पहुंचाई जाती है. 


विदेशी मुल्कों को दी जाने वाली सहायता घटाई


पिछले कुछ सालों से भारत मालदीव को वित्तीय मदद देने में सबसे आगे रहने वाले देशों में शामिल है. भारत ने रक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य और इंफ्रास्ट्रक्चर में मालदीव की खूब मदद की है. हालांकि, सिर्फ मालदीव के बजट में ही कटौती नहीं की गई है, बल्कि सरकार ने आगामी वित्तीय वर्ष के लिए विदेशी देशों को सहायता के अपने कुल आवंटन में 10 फीसदी की कटौती की है. भारत ने 2024-25 के लिए विदेशी देशों की सहायता के लिए 4883.56 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं. 


मालदीव संग भारत के बिगड़े रिश्ते


दरअसल, पिछले साल मोहम्मद मुइज्जू की सरकार बनने के साथ ही भारत संग रिश्ते बिगड़ने की शुरुआत हो गई थी. मुइज्जू को चीन समर्थक नेता माना जाता है. 'इंडिया आउट' कैंपेन चलाने वाले मुइज्जू ने राष्ट्रपति बनते ही मालदीव की मदद के लिए मौजूद भारतीय सैनिकों को वापस वतन लौटने को कह दिया. नए साल की शुरुआत में दोनों देशों के बीच राजनयिक विवाद भी शुरू हो गया. इसकी वजह मालदीव के कुछ नेताओं की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत को लेकर की गई आपत्तिजनक टिप्पणी रही. 


प्रधानमंत्री नए साल के मौके पर लक्षद्वीप के दौरे पर गए और कुछ तस्वीरें शेयर कीं. खूबसूरत तस्वीरों को देखकर सोशल मीडिया पर लोगों ने लक्षद्वीप की तुलना मालदीव से करना शुरू कर दिया. पर्यटन पर निर्भर मालदीव के नेताओं को ये बात नगवार गुजरी और उन्होंने पीएम मोदी और भारत को लेकर आपत्तिजनक टिप्पणियां करना शुरू कर दिया. इसके बाद भारतीयों ने मालदीव का बायकॉट करना शुरू कर दिया. हालांकि, मालदीव ने इज्जत बचाने के लिए उन मंत्रियों को सस्पेंड कर दिया, जिन्होंने बयानबाजी की थी. 


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