Budget Session 2023 Productivity: लोकसभा और राज्यसभा को गुरुवार (6 मार्च) को अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया जिसके साथ ही हंगामेदार बजट सत्र समाप्त हो गया. यह हाल के दिनों में सबसे कम प्रोडक्टिविटी वाले सत्र में से एक रहा. पूरे सत्र में बीजेपी राहुल गांधी की विदेश में टिप्पणी के लिए माफी की मांग करती रही तो कांग्रेस समेत विपक्ष अडानी मामले की जेपीसी जांच की मांग पर अड़ा रहा.
थिंक टैंक पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च के डेटा के अनुसार, 17वीं लोकसभा का 11वां सत्र हाल के दिनों में सबसे हंगामेदार रहा. बार-बार हंगामे के चलते बजट सत्र में प्रोडक्टिविटी बेहद कम रही. सत्र के दूसरे भाग में तो यह 5.3 प्रतिशत पर पहुंच गई. वहीं, पहले भाग में यह 88.3 प्रतिशत रही.
लोकसभा 45 घंटे, राज्यसभा 31 घंटे चली
पूरे सत्र में लोकसभा में 133.6 घंटे की निर्धारित अवधि की जगह केवल 45 घंटे काम हुआ. राज्यसभा में तो यह और भी खराब रहा, जहां 130 घंटे की निर्धारित अवधि की जगह मात्र 31 घंटे ही सदन की कार्यवाही चली. लोकसभा में सिर्फ 34 प्रतिशत काम हुआ जबकि राज्यसभा की प्रोडक्टिविटी 24 प्रतिशत ही रही.
वित्त और विनियोग विधेयकों को छोड़कर इस सत्र में पारित होने वाला एकमात्र विधेयक, प्रतिस्पर्धा (संसोधन) विधेयक, 2022 रहा. सभी विधेयकों को दोनों सदनों में बिना चर्चा के ही पारित कर दिया गया.
धनखड़ ने कहा- विडंबना
देश के उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने सदन की कार्यवाही पर अपनी समापन टिप्पणी में दुख जताते हुए इसे विडंबना बताया. उन्होंने कहा संसद में अव्यवस्था, नई व्यवस्था बन रही है. एक नया मानदंड है जो लोकतंत्र के सार को नष्ट कर देता है.
बीजेपी ने आरोप लगाया कि सत्र के आखिरी दिन कांग्रेस और अन्य विपक्षी सदस्यों ने अशोभनीय व्यवहार दिखाया और काले कपड़े पहनकर सदन का अपमान किया. केंद्र मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा "देश एक व्यवस्था से चलता है, यह कांग्रेस की मनमानी से नहीं चलेगा."
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने अपने समापन भाषण में बताया कि सदन ने आम बजट पर 14.45 घंटे चर्चा की और 145 सांसदों ने इसमें भाग लिया. राष्ट्रपति के अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव पर 143 सांसदों की भागीदारी के साथ 13 घंटे 44 मिनट तक चर्चा हुई.
बन सकती है सबसे कम दिन चलने वाली वाली लोकसभा
पूरे पांच साल का कार्यकाल पूरा करने वाली लोकसभाओं में 17वीं लोकसभा (2019 में चुनी गई) में 2014-19 के बाद सबसे कम बैठकें हुई हैं. 16वीं लोकसभा में 331 दिन सदन की कार्यवाही चली थी. अभी 17वीं लोकसभा में एक साल बचा है और साल में 58 बैठके होती हैं. इस तरह भी इसके 331 दिनों से अधिक बैठने की संभावना नहीं है. इस तरह से यह 1952 के बाद से सबसे छोटी पूर्ण अवधि वाली लोकसभा बन सकती है. 1952 के बाद से यह छठा सबसे छोटा बजट सत्र रहा है.
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