नई दिल्ली: क्या विधानसभा चुनावों के चलते संसद का बजट सत्र छोटा किया जा सकता है? क्या सभी पार्टियां इस बात के लिए राज़ी होंगी? आज से बजट सत्र शुरू हो रहा है और उधर बंगाल समेत पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के लिए चुनाव अभियान भी ज़ोर पकड़ रहा है. ऐसे में इस बात की सुगबुगाहट तेज़ हो गई है कि चुनावों के चलते बजट सत्र की अवधि कम की जाए.


चुनाव की वजह से संसद आना मुश्किल- टीएमसी सांसद


इस बारे में तृणमूल कांग्रेस के नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला को एक पत्र लिखा है. पत्र में बंदोपाध्याय ने बंगाल में चुनाव के मद्देनज़र बजट सत्र को स्थगित करने की मांग की है. पत्र में बंदोपाध्याय ने लिखा है, "बंगाल में चुनाव के चलते तृणमूल कांग्रेस के सांसदों का संसद में उपस्थित रहना बहुत मुश्किल होगा." लिहाज़ा उन्होंने सत्र को स्थगित करने मांग की है.


कांग्रेस के ज़्यादातर सांसद केरल और तमिलनाडु से


इसी तरह से तमिलनाडु, केरल, असम और पुड्डुचेरी में भी चुनाव के चलते इन राज्यों के सांसदों का संसद में आना मुश्किल होगा. लोकसभा में सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी यानि कांग्रेस के ज़्यादातर सांसद केरल और तमिलनाडु जैसे राज्यों से आते हैं. राहुल गांधी ख़ुद केरल से सांसद हैं. वहीं डीएमके के सभी सांसद तमिलनाडु से आते हैं. इसके अलावा टीएमसी के सांसद बंगाल से जबकि लेफ्ट पार्टियों के ज़्यादातर सांसद केरल से आते हैं.


दो हफ़्ते तक चलाकर उसे स्थगित किया जा सकता है सत्र


बजट सत्र के दूसरे भाग में सरकार का सबसे बड़ा एजेंडा बजट की अनुदान मांगों और वित्त विधेयक को पारित करवाना होता है. इस पूरी प्रक्रिया में क़रीब दो हफ़्ते का समय लगता है. लिहाज़ा अगर सरकार और विपक्ष में सहमति बनती है तो दो हफ़्ते तक सत्र चलाकर उसे स्थगित किया जा सकता है. सूत्रों के मुताबिक़, आज लोकसभा के बिजनेस एडवाइजरी कमिटी (कार्य मंत्रणा समिति) की बैठक बुलाई गई है, जिसमें सदन का सत्र छोटा करने की संभावना पर भी चर्चा हो सकती है.


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