Budget: कैश पेमेंट की पुरानी लिमिट बहाल से लेकर आयकर छूट तक, व्यापारियों ने बजट से पहले मोदी सरकार को भेजे ये सुझाव
Budget: चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (सीटीआई) ने दिल्ली के कारोबारियों की महापंचायत बुलाई जिसमें दिल्ली की 100 बड़ी व्यापारिक संस्थाओं ने हिस्सा लिया है.
Budget: देश का आम बजट पेश होने से पहले चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (सीटीआई) ने दिल्ली के कारोबारियों की महापंचायत बुलाई. यह महापंचायत विडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए हुई. इसमें दिल्ली की 100 बड़ी व्यापारिक संस्थाओं ने हिस्सा लिया. सीटीआई चेयरमैन बृजेश गोयल और अध्यक्ष सुभाष खंडेलवाल ने बताया कि 1 फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद में बजट पेश करेंगी. इसी पर दिल्ली के व्यापारियों से विचार विमर्श किया गया और उनके सुझावों को सरकार को भेज दिया गया है.
कोविड महामारी के दौर में तमाम सेक्टर को सरकार से राहत की दरकार है. किस क्षेत्र में कितना नुकसान हुआ है, उन्हें सरकार से किस तरह की मदद चाहिए, इन्हीं तमाम विषयों पर चर्चा हुई. इस चर्चा में 5 प्रतिशत और 20 प्रतिशत के बीच 10 प्रतिशत का टैक्स स्लैब वापस लिए जाने की मांग हुई. साथ ही 10 लाख तक अधिकतम 10 प्रतिशत और उसके बाद कॉर्पोरेट टैक्स की तरह अधिकतम 25 प्रतिशत टैक्स होने पर बात भी उठाई गई.
तिमाही टीडीएस रिटर्न को खत्म कर दिया जाए
टैक्सपेयर को उनके टैक्स के आधार पर ओल्ड ऐज बेनीफिट मिलना चाहिए. टैक्सपेयर की वृद्धावस्था में पिछले सालों में दिए गए इनकम टैक्स के हिसाब से उसे सोशल सिक्योरिटी और रिटायरमेंट बेनिफिट दिये जाएं. तिमाही टीडीएस रिटर्न को खत्म कर दिया जाए और सारी डिटेल टीडीएस चालान के साथ ही ले ली जाए.
व्यापारियों ने उठाई मांगे
व्यापारी की मृत्यु होने पर आईटीआर फाइल करने की टाइम लिमिट में छूट दी जाए. कोरोना काल में कई मामले सामने आए जहां टैक्स पेयर की मृत्यु हो जाने पर समय से कानूनी उत्तराधिकारी की प्रक्रिया पूरी नहीं होने से पूरे दस्तावेज और लेन-देन का रेकॉर्ड उपलब्ध न होने पर उनकी आईटीआर फाइल नहीं हो पाई.
व्यापारियों की चिंता है कि 7 साल से इनकम टैक्स में छूट की सीमा नहीं बढ़ाई गई. 5 लाख रुपये तक की आय वालों को टैक्स नहीं देना पड़ता लेकिन बीते 7 साल से छूट की सीमा 2.5 लाख रुपये ही बनी हुई है. इसकी वजह से टैक्स नहीं लगने के बावजूद 5 लाख की इनकम वालों को भी रिटर्न जमा कराना पड़ता है. इसीलिए आयकर छूट की सीमा 5 लाख की जानी चाहिए.
नकद लेन-देन की लिमिट बीसियों साल से नहीं बढ़ी. 5 साल पहले डिजिटल लेन-देन को बढ़ावा देने के लिए नकद पेमेंट की लिमिट 20 हजार से घटाकर 10 हजार कर दी गई. 20 हजार की लिमिट 22 सालों से चली आ रही थी. सुगम व्यापार के लिए नकद पेमेंट की पुरानी लिमिट बहाल की जाए.
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