नई दिल्ली: 2019 के आम चुनाव से पहले राम मंदिर पर राजनीति तेज हो गई है. केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने राम मंदिर का निर्माण ना होने का ठीकरा विपक्ष पर फोड़कर धमकी के अंदाज में हिंदुओं के सब्र का बांध टूटने की बात कही है. उमा भारती ने न्यूज एजेंसी पीटीआई को दिए इंटरव्यू में कहा, ''हिंदू दुनिया में सबसे ज्यादा सहिष्णु लोग हैं लेकिन अयोध्या में राम मंदिर की परिधि में मस्जिद बनाने की बात उन्हें 'असहिष्णु' बना सकती है. मैं सभी नेताओं से अपील करती हूं कि अयोध्या में भगवान राम के जन्मस्थान के बाहरी दायरे में एक मस्जिद निर्माण की बात करके उन्हें असहिष्णु न बनाएं.''


उन्होंने कहा, ''जब मदीना में एक भी मंदिर नहीं, वेटिकन सिटी में एक भी मस्जिद नहीं तो अयोध्या में मस्जिद की बात अनुचित है. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए उमा ने कहा कि राहुल को मंदिर निर्माण में योगदान देकर अपने पापों का प्रायश्चित कर लेना चाहिए. इसके साथ ही उमा भारती ने समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव, बीएसपी प्रमुख मायावती और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी सहित सभी राजनीतिक नेताओं से इसका समर्थन करने की अपील की.


स्वामी परमहंस ने दी आत्मदाह की धमकी
राम मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जनवरी तक के लिए टलने के बाद साधु संत भी सक्रिय हो गए है. अब अयोध्या में तपस्वी छावनी मंदिर के महंत स्वामी परमहंस ने चेतावनी भरे अंदाज में एलान किया है कि अगर अयोध्या में राम मंदिर निर्माण की आधिकारिक घोषणा नहीं होती तो मैं 6 दिसम्बर को आत्मदाह करुंगा. परमहंस की मांग है कि पीएम मोदी और सीएम योगी 5 दिसंबर तक राम मंदिर निर्माण के लिए कानून बनाने का एलान करें


संतों का सरकार को अल्टीमेटम
दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में दो दिन के धर्मादेश में संतों ने सरकार को साफ कह दिया है कि राम मंदिर निर्माण के लिए संसद से कानून बनाया जाए. इसके साथ ही दूसरा विकल्प ये है कि सरकार राम मंदिर के लिए अध्यादेश लाए. मंदिर से कम पर कोई कम पर कोई समझौता नहीं होगा.


गिरिराज ने कहा था- सब्र टूट रहा है
केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा है कि मंदिर बनने से कोई नहीं रोक सकता. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले की सुनवाई वाले दिन गिरिराज सिंह ने विवादित बयान दिया. उन्होंने कहा था, ''अब हिंदुओं का सब्र टूट रहा है. मुझे भय है कि हिंदुओं का सब्र टूटा तो क्या होगा?'' अपने इस बयान के बाद गिरिराज सिंह विपक्षी नेताओं के निशाने पर आ गए थे.