बुलंदशहर हिंसा: इंस्पेक्टर सुबोध की हत्या में बड़ा खुलासा, किसी रिटॉयर्ड फौजी ने मारी थी गोली: सूत्र
बुलंदशहर हिंसा: फिलहाल स्थिति को देखते हुए इलाके में धारा 144 लागू कर दी गई है. 5 कंपनी आरएएफ की, 6 कंपनियां पीएसी की भी तैनाती की गई है. एडीजी इटेलिंजेंस एस बी शिरोडकर को मेरठ भेजा गया है. उन्हें 48 घंटों में रिपोर्ट देने को कहा गया है. डीएम ने इस पूरी घटना की मैजिस्ट्रेट जांच का आदेश दिया है.
नई दिल्ली: यूपी के बुलंदशहर में सोमवार को गोकशी के शक में हिंसक प्रदर्शन के दौरान इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह समेत दो लोगों की मौत हो गई. सूत्रों के मुताबिक इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह को गोली मारने वाला एक रिटायर्ड फौजी है. अब तक 7 लोगों की पहचान की गई है जिसमें गोली मारने वाला व्यक्ति रिटायर्ड फौजी बताया जा रहा है. जानकारी के मुताबिक रहने वाला है जो कि घटनास्थल से कुछ ही दूरी पर मौजूद है.
27 नामजद और 50-60 अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. पुलिस ने आईपीसी की धारा 147, 148, 149, 307, 302, 333, 353, 427, 436, 394 और 7-क्रिमिनल अमेंडमेंट लॉ के तहत मामला दर्ज किया है. वहीं इस पूरे मामले की जांच के लिए आईजी मेरठ की अध्यक्षता में SIT का गठन कर दिया गया है.
बुलंदशहर के जिलाधिकारी ने अनुझ झा ने एबीपी न्यूज़ से बात करते हुए कहा कि इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह को आंख के ऊपर गोली मारी गई. इसके साथ ही उनके हाथ में भी धारदार हथियार से वार किया गया था और पत्थर भी मारा गया था. फिलहाल स्थिति को देखते हुए इलाके में धारा 144 लागू कर दी गई है. 5 कंपनी आरएएफ की, 6 कंपनियां पीएसी की भी तैनाती की गई है.
सीएम ने जताया दुख, 50लाख रुपये मुआवजे का एलान यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ ने मामले पर दुख व्यक्त किया है, और दो दिन के अंदर जांच रिपोर्ट देने को कहा है. सीएम योगी ने ने इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह के परिवार को 50 लाख रुपए की मदद का एलान भी किया है. आज सुबह बुलंदशहर पुलिस लाइन में सुबोध कुमार सिंह को श्रद्धांजलि दी गई. उनका अंतिम संस्कार एटा स्थित उनके पैतृक निवास पर किया जाएगा.
इंस्पेक्टर की मौत के बाद गांव में मातम, परिजनों का बुरा हाल इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह की मौत से उनके पैतृक गांव तरगंवा में मातम छा गया है. सुबोध कुमार सिंह के घर में सांत्वना देने वालों की भीड़ लगी है और लोगों की जुबान पर उनकी बहादुरी के चर्चे हैं. इंस्पेक्टर सुबोध दादरी के बहुचर्तित अखलाक हत्याकांड के जांच अधिकारी भी रहे थे. भीड़तंत्र जैसे मामलों की जांच कर चुके इंस्पेक्टर सुबोध की हत्या का आरोप भी भीड़ पर ही लगा है.
इंस्पेक्टर के अलावा एक युवक को भी गोली लगी बुलंदशहर की हिंसा में इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह के अलावा सुमित नाम के युवक की भी मौत हुई है. सुमित बीए सेकेंड ईयर का छात्र था. परिवार वाले कह रहे हैं कि भीड़ से सुमित का कोई लेना देना नहीं था, वो तो शादी का कार्ड घर देने आए दोस्त को बस स्टैंड छोड़ने गया था. परिवार का आरोप है कि पुलिस की गोली से सुमित की जान गई.
सवालों में सुरक्षा, घेरे में योगी आदित्यनाथ बुलंदशहर में भीड़ की हिंसा ने यूपी की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं, सवालों के घेरे में खुद सीएम योगी आदित्यनाथ हैं. कल जब बुलंदशहर हिंसा की आग में जल रहा था तो सीएम योगी राजस्थान में बीजेपी के लिए वोट मांग रहे थे,.शाम को यूपी वापस लौटे योगी आदित्यनाथ घटनास्थल पर जाने के बजाय गोरखपुर पहुंचे और वहां उन्होंने छत्तीसगढ़ के सीएम रमन सिंह के साथ नाथ समुदाय के एक कार्यक्रम में शिरकत की.
यूपी में सत्ता में आने से पहले बीजेपी कानून व्यवस्था के मोर्चे पर अखिलेश सरकार को घेरती थी लेकिन अब योगी सरकार विपक्ष निशाने पर है. अखिलेश यादव ने ट्वीट कर कहा, ''बुलंदशहर में पुलिस व ग्रामीणों के संघर्ष में स्याना कोतवाल सुबोध कुमार सिंह की मौत का समाचार बेहद दुखद है. भावपूर्ण श्रद्धांजलि. उप्र भाजपा के शासनकाल में हिंसा और अराजकता के दुर्भाग्यपूर्ण दौर से गुज़र रहा है.''
आखिर क्या हुआ था बुलंदशहर में? गोकशी के शक में बुलंदशहर में हिंसा की चिंगारी भड़की. हिंसा कल दोपहर तब शुरू हुई, जब गांव में कथित रुप से गोवंश के अवशेष मिले. आरोप लगा कि गांव के दूसरे समुदाय ने गोकशी की है. गांव के लोगों ने सड़क जाम कर दी. महाव और चिगलवाली समेत तीन गांवों के लोग वहां पर मौजूद थे. विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गया और लोगों ने पुलिस पर पत्थरबाजी शुरू कर दी, जिसके बाद पुलिस बल ने लाठीचार्ज कर दिया.
पुलिस ने हवाई फायरिंग भी की, जिसके बाद भीड़ उग्र हो गई. सुमित नाम के एक लड़के को भी गोली लगी, उसकी मौत हो गई. गुस्साई भीड़ ने बुलंदशहर के स्याना थाने को फूंक दिया. इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह पर घेरकर हमला किया. भीड़ से बचने के चक्कर में सुबोध कुमार सिंह और उनकी टीम खेत में जा घुसी लेकिन भीड़ ने वहां भी उन्हें नहीं बख्शा.