देश में बुलडोजर एक्शन पर चर्चाओं के बीच सुप्रीम कोर्ट ने शत्रु संपत्ति पर अवैध निर्माण को लेकर पश्चिम बंगाल सरकार से पूछा है कि इन्हें गिराने में समय क्यों लग रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार और कोलकाता नगर निगम को निर्देश दिया है कि वे सुनिश्चित करें कि शहर में शत्रु संपत्ति पर अवैध और अनधिकृत निर्माण को तत्काल ध्वस्त कर दिया जाए.
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्ज्ल भुइयां की बेंच ने पीड़ित पक्षों के लिए कार्यात्मक नगर भवन न्यायाधिकरण नियुक्त करने के अपने आदेश का पालन नहीं करने के लिए पश्चिम बंगाल सरकार की खिंचाई की और अवमानना कार्रवाई की चेतावनी दी. यह संपत्ति पाकिस्तानी नागरिकों की थी.
जस्टिस सूर्यकांत ने ओपन कोर्ट में आदेश सुनाते हुए कहा, 'दूसरे शब्दों में, पश्चिम बंगाल राज्य, कोलकाता नगर निगम, भारत के शत्रु संपत्ति के संरक्षक और अन्य सभी संबंधित प्राधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया जाता है कि हाईकोर्ट के निर्देशानुसार अवैध और अनधिकृत निर्माणों को तत्काल ध्वस्त कर दिया जाए और अनुपालन रिपोर्ट हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ को प्रस्तुत की जाए.'
नगर निकाय के वकील ने जब कहा कि स्थल पर अवैध निर्माण को गिराने में समय लग रहा है, क्योंकि उन्हें सत्यापन करना है, तो बेंच ने कहा, 'ऐसा लग रहा है कि राज्य और नगर निगम मिलीभगत कर रहे हैं.' भारत के शत्रु संपत्ति संरक्षक की ओर से एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने दलील दी कि उन्हें कोई सहयोग नहीं मिल रहा है और इमारत खाली कराने के लिए उन्हें केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) की मदद लेनी पड़ रही है.
सुप्रीम कोर्ट ने भारत के शत्रु संपत्ति के संरक्षक की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया, जिसमें कलकत्ता हाईकोर्ट के 22 अगस्त, 2023 के आदेश को चुनौती दी गई थी. हाईकोर्ट ने निर्देश दिया था कि नगर भवन न्यायाधिकरण के गठन तक अवैध निर्माण के खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी. हाईकोर्ट ने कोलकाता नगर निगम के कार्यकारी अभियंता द्वारा 30 दिसंबर, 2022 को पारित आदेश के खिलाफ एक याचिका पर निर्देश पारित किया था, जिसमें शहर के केशव चंद्र सेन स्ट्रीट पर स्थित उक्त शत्रु संपत्ति पर अवैध निर्माण को ध्वस्त करने का आदेश दिया गया था.
शत्रु संपत्ति अधिनियम, 1968 क्या है?
साल 1965 और 1971 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान कई लोग भारत से पाकिस्तान चले गए. तब सरकार ने भारत रक्षा अधिनियम 1962 के तहत बनाए गए भारत रक्षा नियमों के तहत उन नागरिकों की अचल संपत्तियों को टेक ओवर कर लिया, जो पाकिस्तानी नागरिकता ले चुके थे. इन शत्रु संपत्तियों को केंद्र सरकार ने भारत के लिए शत्रु संपत्ति का संरक्षक के तहत निहित किया गया है. साल 1962 भारत-चीन युद्ध के दौरन चीन गए नागरिकों की संपत्ति के लिए भी सरकार ने यही किया था.
10 जनवरी, 1966 के ताशकंद घोषणा के तहत एक क्लोज था कि भारत और पाकिस्तान अपने-अपने देशों में शत्रु संपत्ति वापस करने को लेकर बात कर सकते हैं. हालांकि, पाकिस्तान सरकार ने 1971 में सभी शत्रु संपत्तियों को नष्ट कर दिया था. शत्रु संपत्ति अधिनियम, 1968 के तहत, शत्रु संपत्ति को किसी शत्रु देश के नागरिक या शत्रु फर्म के स्वामित्व, धारित या प्रबंधित किसी भी संपत्ति के रूप में परिभाषित किया जाता है. यह अधिनियम शत्रु संपत्तियों को शत्रु संपत्ति संरक्षक में निहित करने का प्रावधान करता है. इसके तहत केंद्र सरकार देशभर में फैली शत्रु संपत्तियों को टेकओवर कर लेती है.