Bulldozer Politics: देश में अभी बुलडोजर की राजनीति चरम पर है. दूसरे राज्यों के साथ राजस्थान में भी बुलडोजर की राजनीति बढ़ती जा रही है. कुछ दिन पहले अलवर के राजगढ़ में गहलोत सरकार ने अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई में शिव मंदिर ध्वस्त करवा दिया था इसके बाद रूंध मैथना गांव में गौशाला पर बुलडोजर चलवा दिया. इसके बाद यहां सैकड़ों गोवंश बेघर हो गए. इस मामले की सच्चाई जानने के लिए हमारे संवाददाता रविकांत ने ग्राउंड जीरो पर जाकर सच्चाई को जाना.


इस गौशाला को हटाए जाने को लेकर राजनीति जोरों पर है. राज्य में बीजेपी के साथ-साथ कई हिंदू संगठनों ने कांग्रेस की गहलोत सरकार पर मंदिर के बाद गौशाला पर बुलडोजर चलवाने का आरोप लगाया है. इन आरोपों में कितनी सच्चाई है ये जानने के लिए एबीपी रिपोर्टर रविकांत जब रूंध मैथना गांव की गौशाला पहुंचे तो वहां पर गायों को हटाया जा रहा था और मवेशी गाड़ी में भरा जा रहा था.


गौशाला के पांच हिस्सों को वन विभाग ने गिराया


गौशाला काफ़ी बड़ी है. इसके चारों तरफ़ दीवार थी जिसे वन विभाग ने गिरा दिया है. इस गौशाला के पांच हिस्से हैं और सभी को अलग से दीवार से घेरा गया था इन दीवारों को भी वन विभाग ने गिरा दिया है.


क्या कहना है गांववालों का


इस मामले पर जब गांववालों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि इस गौशाला में गायों को पहले तो चारा ही नहीं मिलता और अगर मिलता भी है तो भूसा मिलावटी होता था जिससे गाएं आए दिन मरती रहती थीं. गांववालों ने आगे बताया कि इस गौशाला को चलाने वाला इसी गांव का एक व्यक्ति था जिसने किसी और जगह एक छोटी सी ज़मीन गौशाला के लिए रजिस्टर कराई थी लेकिन यहां पर 40 बीघा ज़मीन को अवैध रूप से गौशाला के लिए क़ब्ज़ा कर रखा था.


खेतों में नुकसान करते थे मवेशी


गांववालों ने कई बार इसकी शिकायत की थी कि मवेशी खेत चर जाते हैं. लिहाज़ा वन विभाग ने नियमों के तहत अपने अधिकार का प्रयोग करते हुए बिना प्रसाशन और पुलिस को सूचित किया गौशाला की दीवारें शनिवार को गिरा दीं. आपको बता दें कि कुल 400 गायों में से 150 गायों को गांववालों ने गोद ले लिया है और बाक़ी गायों को आस-पास की तीन गौशालाओं में भेजा जा रहा है.


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