2024 के लोकसभा चुनाव से पहले चल पड़ेगी बुलेट ट्रेन, जानिए कैसे
अहमदाबाद-मुंबई बुलेट ट्रेन गुजरात और महाराष्ट्र से हो कर गुज़रेगी. साथ ही इसका कुछ हिस्सा केंद्र शासित प्रदेश दादरा और नगर हवेली से भी गुज़रेगा. पिछले साल गुजरात में काम शुरू हो गया है. यहां दो हिस्सों में काम चल रहा है.
नई दिल्ली: अहमदाबाद-मुंबई बुलेट ट्रेन को 2023 के अंत तक बन जाना था, लेकिन महाराष्ट्र में ज़मीन अधिग्रहण न होने के कारण सरकार अब इसे 2024 चुनाव से पहले शुरू करना चाहती है. पर इस अवधि में पूरे बुलेट ट्रेन रूट को बना पाना सम्भव नहीं है. ऐसे में अब इसे पूरे रूट के सिर्फ़ गुजरात वाले हिस्से में शुरू करने की योजना है. पर ये भी इसलिए सम्भव नहीं है क्योंकि 2024 में गुजरात हिस्से के बन जाने के बाद भी डेढ़ साल का और समय ट्रायल रन को देना होगा उसके बाद ही यात्री सेवा शुरू हो पाएगी. ऐसे में अब रेल मंत्रालय की नई प्लानिंग के मुताबिक़ 2024 के आम चुनाव से पहले बुलेट ट्रेन के गुजरात हिस्से में ट्रायल रन शुरू किया जाएगा. इसके लिए एक या दो रेक बुलेट ट्रेन जापान से मंगाई जाएगी और उसका ट्रायल रन शुरू कर दिया जाएगा.
गुजरात में कुल 351 किलोमीटर का बुलेट ट्रेन कॉरिडोर बनना है
अहमदाबाद-मुंबई बुलेट ट्रेन गुजरात और महाराष्ट्र से हो कर गुज़रेगी. साथ ही इसका कुछ हिस्सा केंद्र शासित प्रदेश दादरा और नगर हवेली से भी गुज़रेगा. पिछले साल गुजरात में काम शुरू हो गया है. यहां दो हिस्सों में काम चल रहा है. एक 237 किलोमीटर लम्बा है और दूसरा 88 किलोमीटर का है. यानी गुजरात के कुल 351 किलोमीटर हिस्से में से 325 किलोमीटर के हिस्से में काम शुरू हो चुका है. ये काम लार्सन एंड टूब्रो कम्पनी को दिया गया है.
गुजरात में 95% ज़मीन का अधिग्रहण हो चुका है
गुजरात में ये काम इसलिए शुरू हो सका है क्योंकि गुजरात में क़रीब 95% ज़मीन का अधिग्रहण हो चुका है. जबकि महाराष्ट्र में अभी केवल 23% ज़मीन का ही अधिग्रहण हो सका है. वहां राज्य सरकार बुलेट ट्रेन के लिए ज़मीन अधिग्रहीत कराने में विशेष दिलचस्पी नहीं दिखा रही.
2024 में शुरू होगा साबरमती से वापी तक का ट्रायल रन
अहमदाबाद के साबरमती डिपो से ही बुलेट ट्रेन की शुरुआत होनी है और इसका काम तेज़ी से चल रहा है. वड़ोदरा बुलेट ट्रेन स्टेशन का टेंडर मई के पहले हफ्ते में दे दिया जाएगा, जिसके बाद यहां काम भी शुरू हो जाएगा. इसके अलावा कुछ ब्रिज बनाने का काम भी इस वक़्त चालू है. इस साल के अंत तक अहमदाबाद के साबरमती से लेकर वलसाड़ के वापी तक की बुलेट ट्रेन रेल लाइन से जुड़े सभी टेंडर अवॉर्ड कर दिए जाएंगे. ये पूरा हिस्सा गुजरात के अंतर्गत ही आता है.
सरकार के प्लान-बी पर जापान से हो रही है बातचीत
महाराष्ट्र में जैसे ही ज़मीन अधिग्रहण 80 फीसदी तक हो जाएगा, वहां भी सिविल के काम शुरू कर दिए जाएंगे. लेकिन यहां मौजूदा शिवसेना नेतृत्व वाली सरकार के सुस्त रवैए को देखते हुए एक प्लान बी भी बनाया गया है, जिसके अंतर्गत अगर अगले 6 महीनों में महाराष्ट्र में ज़मीन अधिग्रहण नहीं हो पाया, तो फिर बुलेट ट्रेन को दो फ़ेज में चलाया जाएगा और पहले फ़ेज में गुजरात के 351 किलोमीटर के हिस्से में ही बुलेट ट्रेन की शुरुआत की जाएगी. इस तरह 2024 के तय टार्गेट में बुलेट ट्रेन का पहला फ़ेज शुरू हो जाएगा. बुलेट ट्रेन के मैनेजिंग डायरेक्टर अचल खरे ने एबीपी न्यूज़ से एक ख़ास बातचीत में बताया कि गुजरात में मुख्य दिक्कत सिर्फ़ नवसारी ज़िले की ज़मीन अधिग्रहण को लेकर आ रही थी, लेकिन अब यहां भी ज़मीन अधिग्रहण का काम पूरा हो गया है. जापानी फ़ंडिंग एजेंसी व मदद कर रही जापानी इंजीनियरिंग संस्था से बुलेट ट्रेन को दो फ़ेज में चलाने को लेकर बात चल रही है.
7 अन्य रूटों पर बुलेट ट्रेन कॉरिडोर बनाने के लिए डीपीआर बनाने का काम शुरू
अहमदाबाद-मुंबई बुलेट ट्रेन कॉरिडोर बनाने के मुख्य प्रॉजेक्ट के अलावा अभी रेल मंत्रालय ने एनएचआरसीएल को देश के 7 अन्य रूटों पर बुलेट ट्रेन कॉरिडोर बनाने के लिए डीपीआर बनाने का काम दिया है. ये नए रूट हैं- 1. दिल्ली- वाराणसी 2. दिल्ली-अहमदाबाद 3. दिल्ली-अमृतसर 4. चेन्नई-बैंगलोर-मैसूर 5. मुंबई-नासिक 6. मुंबई- हैदराबाद 7. वाराणसी- कलकत्ता
दिल्ली-वाराणसी बुलेट ट्रेन कॉरिडोर का सर्वेक्षण पूरा चुका है
दिल्ली-वाराणसी की डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट में हेलिकॉप्टर से किया गया अत्याधुनिक लीडार सर्वे पूरा हो चुका है. जल्द ही इसकी फ़ाइनल रिपोर्ट रेल मंत्रालय को सौंप दी जाएगी. इसके बाद इस रिपोर्ट को कैबिनेट से पास करा कर इस पर दिल्ली-वाराणसी बुलेट ट्रेन कॉरिडोर प्रॉजेक्ट की अनुमति ली जाएगी. प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी की विशेष दिलचस्पी के चलते ये माना जा रहा है कि कैबिनेट से जल्द ही इस रूट को अनुमति मिल जाएगी. अनुमति के बाद दिल्ली-वाराणसी बुलेट ट्रेन को शुरू होने में 8 साल का वक्त लगेगा.
नवम्बर तक सभी प्रस्तावित 7 बुलेट ट्रेन कॉरिडोर की डीपीआर तैयार हो जाएगी
देश में हालांकि अभी सिर्फ़ एक ही बुलेट ट्रेन प्रॉजेक्ट स्वीकृत है, अहमदाबाद से मुंबई तक का, लेकिन 7 अन्य रूटों पर भी बुलेट ट्रेन शुरू करने के लिए डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाने का काम शुरू हो चुका है. इन सात रूटों की डीपीआर बन जाने के बाद इन रूटों पर भी बुलेट ट्रेन शुरू करने के लिए केंद्र सरकार की कैबिनेट अपनी अंतिम मुहर लगाएगी. मुंबई-नासिक बुलेट ट्रेन कॉरिडोर की डीपीआर के लिए लिडार सर्वेक्षण का काम शुरू हो गया है. अगले चार महीनों में ये रिपोर्ट तैयार हो जाएगी. अगले दो हफ़्तों में दिल्ली-अहमदाबाद का लिडार सर्वेक्षण शुरू हो जाएगा. इसी तरह अन्य रूटों पर भी एक-दो महीनों में हवाई लिडार सर्वेक्षण का काम शुरू हो जाएगा. इन सभी की रिपोर्ट काम शुरू होने के चार महीनों में आ जाएगी. लिडार सर्वेक्षण के बाद इस सर्वे की एनालिसिस और प्रोजेक्शंस का काम होता है, जिसके बाद डिटेल्ड प्रॉजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार होती है. इसमें क़रीब दो महीने का वक़्त और लगता है. इस तरह इस साल अगस्त तक सभी प्रस्तावित रूटों की डीपीआर तैयार हो जाएगी.
डीपीआर से क्या पता चलेगा
डिटेल्ड प्रॉजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) से पता चलेगा की कॉस्ट कितनी आएगी, उसका रेट ऑफ़ रिटर्न कितना आएगा, क्या एलाइनमेंट है, ख़र्चा कितना आएगा. इसके बाद सरकार तय करेगी कि इसे कैसे करना है, फ़ंडिंग एजेंसी कौन होगी इत्यादि.
लिडार सर्वेक्षण से क्या पता चलता है
लाईट डिटेक्शन एंड रेंजिंग (लिडार) सर्वेक्षण के तहत रेल रूट का हवाई सर्वेक्षण करके लेज़र से डेटा इकट्ठा किया जाता है. इससे एक साल का काम महज़ चार महीनों में पूरा हो जाता है. ये एक अत्याधुनिक तकनीक है, जिसमें एक हेलिकॉप्टर पर लिडार यंत्रों के साथ ही 100 मेगा पिक्सल का कैमरा भी लगा होता है. इस तकनीक से रेल रूट पर बनने वाले स्टेशनों, डिपो व अन्य सभी ज़रूरी निर्माण कार्यों के लिए स्पेसिफ़िक डेटा प्राप्त हो जाता है.
अयोध्या तक चल सकती है बुलेट ट्रेन
दिल्ली-वाराणसी रूट 800 किलोमीटर लम्बा होगा और इसे अयोध्या तक ले जाना तय हुआ तो ये 930 किलोमीटर का बुलेट ट्रेन कॉरिडोर बनेगा. इस पर कैबिनेट से फ़ाइनल अप्रूवल मिलने के बाद एक साल का समय ज़मीन अधिग्रहण में लगेगा और इसके बाद 7 साल में ये पूरी तरह बन कर तैयार हो जाएगा. यानी 2030 दिल्ली-वाराणसी-अयोध्या बुलेट ट्रेन शुरू हो सकती है.
आपको बता दें कि देश में आम बोल चाल की भाषा में जिसे बुलेट ट्रेन कहा जाता है, उसे आधिकारिक रूप से हाई स्पीड ट्रेन ही कहा जाता है.