नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अधिकारों की लड़ाई में गृहमंत्रालय और उपराज्यपाल पर हमलावर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने विवाद पर बातचीत के लिए बुधवार शाम गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मुलाक़ात की. लेकिन मुलाक़ात में क्या बात हुई इस पर ही विवाद हो गया है. गृहमंत्री राजनाथ से आधे घंटे की मुलाक़ात के बाद उनके घर बाहर निकलकर मुख्यमंत्री केजरीवाल ने बताया कि "हमने गृहमंत्री को बिस्तार से सुप्रीम कोर्ट जजमेंट के बारे में बताया, मैने उस स्पेसेफिक पैरा के बारे में बताया जिसमे सुप्रीम कोर्ट ने हमारे अधिकारों का जिक्र किया है..".


केजरीवाल के मुताबिक़ उन्होंने गृहमंत्री से साफ कहा कि दिल्ली के उपराज्यपाल सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले की ग़लत व्याख्या कर अफसरों के ट्रांसफर पोस्टिंग के अधिकार देने में आनाकानी कर रहे हैं. केजरीवाल ने कहा कि " ये कैसे हो सकता है कि बाकी अधिकारों के बारे में संविधान पीठ के फैसले को माना जाए और सर्विसेज का मुद्दा दो जजों के डिवीज़न बेंच के फैसले के बाद तय होगा. मानना है तो पूरा फैसला मानो." केजरीवाल ने दावा किया कि, "गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने हमारी बातें ध्यान से सुनी और वो हमारी बातों से आश्वस्त थे. उन्होने कहा कि वो इस बाबत अधिकारियों से बात करेंगे और बंग्लादेश से वापस लौटकर 16 तारीख को गृहमंत्री हमसे दोबारा मिलेंगे."





मुख्यमंत्री केजरीवाल के बयान मीडिया में आने के तत्काल बाद गृहमंत्री राजनाथ सिंह के ऑफिस ने बयान जारी कर कहा कि गृहमंत्री ने इस मुद्दे पर गृहमंत्रालय के अधिकारियों से इस मसले पर बात करने का बजाए ये कहा, "गृहमंत्रालय इस मसले पर एक बार फिर क़ानूनी सलाह लेगा. क्योंकि मंत्रालय का पहले का रुख भी क़ानूनी सलाह के आधार पर तय हुआ है." लेकिन सवाल ये है कि मुख्यमंत्री ने क्या गृहमंत्री से मुलाक़ात बारे में सहमति पर गलतबयानी की है. गृहमंत्रालय के सूत्रों ने एबीपी न्यूज़ को बताया कि गृहमंत्री के निर्देश पर एक बार फिर मसले पर क़ानून मंत्रालय की राय ली जाएगी.


सवाल ये है कि जब दिल्ली सरकार ने एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाकर 9 विवादित मुददों को सुलझाने की अपील की है तो मसला बातचीत से कैसे सुलझ सकता है. गृहमंत्रालय सूत्रों के मुताबिक जब मामले के सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में होगी तो एलजी और गृहमंत्रालय अपना रुख साफ करेंगे और ज़रूरत पड़ी तो अलग अलग हलफनामा दायर किया जाएगा.


दरअसल संविधान पीठ के फैसले के बाद गृहमंत्रालय ने क़ानून मंत्रालय के सलाह पर उपराज्यपाल से क़ानून के मुताबिक़ सर्विसेज के मसले पर यानि ऑफिसरों के ट्रांसफर पोस्टिंग का अधिकार अपने पास तबतक रखने को कहा था, जबतक सुप्रीम कोर्ट की डिवीज़न बेंच इस पर फैसला नहीं दे देती. गृहमंत्रालय के मुताबिक ये अलग मामला जो संविधान के अनुच्छेद 145 के धारा 3 के तहत सही है.


गृहमंत्रालय सूत्रों के मुताबिक अफसरों के ट्रांसफर पोस्टिंग के अधिकार का मसला बातचीत से शायद ही सुलझेगा. हालाँकि गृहमंत्री अपने वायदे के मुताबिक 16 जुलाई को फिर मुख्यमंत्री से दोबारा मुलाक़ात कर सकते हैं तब तक क़ानून मंत्रालय की राय भी मिल जाएगा.