एक्सप्लोरर

दिल्ली में दफन है वो खिलजी जिसे वक्त की एक करवट ने शैतान बना दिया

कब्र के चारों ओर लोग खड़े होकर दिल्ली सल्तनत के बिखरे पन्नों के साथ सेल्फी लेने में मशगूल हैं लेकिन किसी को खबर नहीं कि वो सामने ही अलाउद्दीन खिलजी अपनी कब्र में सोया हुआ है जिसे वक्त की एक छोटी सी करवट ने शैतान बना दिया है.

नई दिल्ली: जमाने भर में उसके नाम पर बवाल मचा है, लेकिन उसकी कब्र के करीब से लोगों का हुजूम खामोशी से गुजर जाता है. कब्र के चारों ओर लोग खड़े होकर दिल्ली सल्तनत के बिखरे पन्नों के साथ सेल्फी लेने में मशगूल हैं लेकिन किसी को खबर नहीं कि वो सामने ही अलाउद्दीन खिलजी अपनी कब्र में सोया हुआ है जिसे वक्त की एक छोटी सी करवट ने शैतान बना दिया.

संजय लीला भंसाली की फिल्म "पद्मावती" को लेकर देशभर में हो रहे हो हल्ले के बीच अलाउद्दीन खिलजी फिर से सुर्खियों में है

दक्षिणी दिल्ली में एक इलाका है महरौली और इसी में कुतुब मीनार है. मामलुक वंश के कुतुबुद्दीन ऐबक ने इस विशाल मीनार की आधारशिला रखी थी. कुतुब मीनार को देखने देशभर से हजारों लोग रोजाना आते हैं.

कुतुब मीनार से सटे परिसर में "अलाउद्दीन खिलजी का मदरसा" है. मदरसे के बाहर पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की ओर से एक पत्थर लगा है जिस पर कुछ यूं लिखा है,"ये चतुर्भुजीय अहाता जो ऊंची दीवारों से घिरा है, यह मूल रूप से एक मदरसा था जिसका प्रवेश द्वार पश्चिम में है. इसका निर्माण पारंपरिक तालीम देने के लिए अलाउद्दीन खिलजी ( 1296ईसवी -1316ईसवी ) ने कराया था. अहाते के दक्षिणी हिस्से के बीच में शायद खिलजी का मकबरा है. मदरसे के साथ ही मकबरे के चलन का यह हिंदुस्तान में पहला नमूना है. यह शायद सलजुकियान रवायत से मुत्तासिर है." दोपहर होने को है..... उधर खिलजी अपनी कब्र में आराम फरमा रहे हैं और बगल से स्कूली बच्चे एक दूसरे का हाथ पकड़े जा रहे हैं. ढह चुकी इमारतों और पत्थरों के बीच से गुजरते ये बच्चे दक्षिणी दिल्ली के ही जल विहार इलाके के प्राइमरी स्कूल से आए हैं.

बच्चों को नहीं मालूम कि किसकी कब्र है. उनके साथ चल रही उनकी मास्टरनी साहिबा भी अनजान है कि उस कमरे के बीचों बीच कौन इतनी बेफिक्री से सोया हुआ है. जब उन्हें बताया गया कि ये पद्मावती वाले अलाउद्दीन खिलजी हैं तो वह कुछ हैरानी से कहती हैं, "ओहो, अच्छा तो ये है वो?" दिल्ली के इतिहास को अपने कदमों से नापने वाले स्तंभकार और आम आदमी के इतिहासकार आर वी स्मिथ से जब अल्लाउद्दीन खिलजी को लेकर बात हुई तो उन्होंने खिलजी का कुछ इस तरह बखान किया, "अलाउद्दीन खिलजी औरतबाज नहीं था, जैसा कि पद्मावती फिल्म में उसे दिखाया गया है. पद्मावती फिल्म ने एक ऐसे बादशाह की छवि को बिगाड़ कर रख दिया है जिसने मंगोलों से हिंदुस्तान की हिफाजत की.अगर अलाउद्दीन खिलजी नहीं होता तो आज हिंदुस्तान की शक्ल कुछ और होती."

"दिल्ली दैट नो वन नोज" और "दिल्ली: अननोन टेल्स आफ ए सिटी" जैसी किताबों के लेखक आर वी स्मिथ कहते हैं, ‘‘खिलजी ने अपने साम्राज्य के विस्तार के लिए चितौड़ पर आक्रमण किया था, पद्मावती को जीतने के लिए नहीं और चितौड़ के राजा रतन सिंह को हराने के बाद जब उन्होंने रानी पद्मिनी की खूबसूरती के चर्चे सुने तो वह उत्सुकतावश उसे देखना चाहता था." जैसा कि सब किस्सों कहानियों में सुनते आए हैं कि राजपूत रानी एक विशाल आईने के सामने आकर खड़ी हो गई और खिलजी ने उस आईने में केवल रानी पद्मिनी का अक्स देखा था.

स्मिथ कहते हैं कि खिलजी की मौत के करीब ढाई सौ साल बाद भक्तिकाल की निर्गुण प्रेमाश्रयी धारा के कवि मलिक मुहम्मद जायसी ने 'पद्मावती' की रचना की और उसे रोचक बनाने के लिए उसमें बहुत सी काल्पनिक बातें जोड़ी. फिल्म उसी काल्पनिक कहानी पर आधारित है.

वह इस आम धारणा को भी गलत बताते हैं कि अलाउद्दीन खिलजी के हाथों में पड़ने से बचने के लिए रानी पद्मावती ने जौहर किया था. वह राजपूत राजा रतन सिंह के जंग में हार जाने के बाद रवायत के चलते महल की बाकी महिलाओं के साथ चिता में कूद गई थी. लौह स्तंभ के पास खड़े एक गार्ड से जब खिलजी की दरगाह का पता पूछा तो उसने हाथ का इशारा किया लेकिन उन्हें यह नहीं पता कि उसमें क्या खास बात है. पता चलने पर उनके चेहरे पर हैरानी कुछ इस तरह की थी, "अच्छा, ये वही अलाउद्दीन खिलजी है?" जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में इतिहास के प्रोफेसर राकेश बाताबयाल पद्मावती को लेकर छिड़े विवाद में कहते हैं कि इस विषय में इतिहासकारों के लिए कुछ बोलने की गुंजाइश ही नहीं बची है क्योंकि यह अभिव्यक्ति की आजादी, कलात्मकता और राजनीतिक बहस का रूप ले चुका है.

प्रोफेसर बाताबयाल कहते हैं, "हिस्ट्री इज प्रोडक्शन आफ नॉलेज लेकिन आज देश में ऐसी ताकतें पैदा हो गई हैं जो इतिहास को नहीं मानतीं." उनका कहना है कि इतिहास के ज्ञान के नाम पर जहालत इतनी है कि फिल्मों को ही इतिहास मान लिया जाता है. हमें यह समझना होगा कि फिल्म इतिहास नहीं है.

वह बताते हैं, "खिलजी दिल्ली का पहला ऐसा शासक था जिसने कालाबाजारी रोकने के लिए वस्तुओं के दाम तय किए और कीमतें घटाईं. साहूकारों की लूट खसोट को रोकने के लिए उन्होंने घोड़ों को दागने की प्रथा की शुरूआत की." इतिहास बताता है कि अलाउद्दीन खिलजी ने अक्तूबर 1296 को अपने चाचा जलालुद्दीन की हत्या धोखे से उस समय करवा दी थी जब वो उससे गले मिल रहे थे. उसने अपने सगे चाचा के साथ विश्वासघात कर खुद को सुल्तान घोषित कर दिया और दिल्ली में स्थित बलबन के लालमहल में अपना राज्याभिषेक 22 अक्तूबर 1296 को सम्पन्न करवाया. दिल्ली के निजामुद्दीन बस्ती इलाके में स्थित बलबन का यह लाल महल भी ढह चुका है. घनी बस्ती के बीच लाल महल के निशान ढूंढ पाना मुश्किल है.

ओकिडा जापान से आयी हैं. अपने मित्र के साथ खिलजी के मदरसे की गिरती हुई दीवारों को देख रही हैं लेकिन वह भी बेखबर हैं कि सामने ये किसकी कब्र है? कब्र को चारों ओर से दीवारों ने घेर रखा है. मकबरे के गुम्बद को वक्त के थपेड़े कब का उड़ा ले गए लेकिन बगल की एक दीवार पर किसी ने लिख दिया है, "गुड्डू लव्स रिंकी." मदरसे के कोनों में कई ओर जोड़े खड़े हैं. "अबे, औरंगजेब ने बनवाई थी कुतुब मीनार." पास से कुछ बड़े स्कूली बच्चे एक दूसरे के कंधे पर हाथ रखे जा रहे हैं. यह सुनकर खिलजी को बेहद सुकून मिला होगा कि जब कुतुब मीनार जैसी विशाल मीनार को बनवाने का सेहरा मुगल शासक औरंगजेब के सिर बांधा जा रहा है तो ऐसे में उसका गुमनाम रहना ही बेहतर होगा.

और देखें
Advertisement
Advertisement
25°C
New Delhi
Rain: 100mm
Humidity: 97%
Wind: WNW 47km/h
Advertisement

टॉप हेडलाइंस

'ज्यादा बच्चे पैदा करने वालों के लिए लाडली बहना की तरह स्कीम चलाएं मोहन भागवत', RSS चीफ पर असदुद्दीन ओवैसी का पलटवार
'ज्यादा बच्चे पैदा करने वालों को भी दें पैसे', मोहन भागवत पर असदुद्दीन ओवैसी का पलटवार
क्या दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए गठबंधन के मूड में AAP? अरविंद केजरीवाल ने दे दिया जवाब
क्या दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए गठबंधन के मूड में AAP? अरविंद केजरीवाल ने दे दिया जवाब
‘एक दिन मेरी मां का रोल करोगी’, क्यों इंडस्ट्री की इस खूबसूरत हसीना से सलमान खान ने कही थी ये बात ?
‘एक दिन मेरी मां का रोल करोगी’, क्यों सलमान ने इस हसीना से कही ये बात
IND vs PM XI: हर्षित राणा ने बरपाया कहर, 6 गेंद में ले डाले 4 विकेट; अकेले कंगारुओं की निकली हवा
हर्षित राणा ने बरपाया कहर, 6 गेंद में ले डाले 4 विकेट; अकेले कंगारुओं की निकली हवा
Advertisement
ABP Premium

वीडियोज

Cyclone Fengal Breaking: चक्रवाती तूफान फेंगल से बढ़ी मुसीबत, सेना के जवान रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटेCampus Beats S4: Shantanu, Shruti और Sahaj ने dance, drama, romance, और Set की मस्ती के बारे में की बात.कितने करोड़ के हैं मालिक Pawan Singh? क्या जानते हैं आप PowerStar की Networth?Sambhal Masjid Case: संभल हिंसा को लेकर सियासत, कांग्रेस के पूर्व नेता प्रमोद कृष्णम ने दिया बयान

फोटो गैलरी

पर्सनल कार्नर

टॉप आर्टिकल्स
टॉप रील्स
'ज्यादा बच्चे पैदा करने वालों के लिए लाडली बहना की तरह स्कीम चलाएं मोहन भागवत', RSS चीफ पर असदुद्दीन ओवैसी का पलटवार
'ज्यादा बच्चे पैदा करने वालों को भी दें पैसे', मोहन भागवत पर असदुद्दीन ओवैसी का पलटवार
क्या दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए गठबंधन के मूड में AAP? अरविंद केजरीवाल ने दे दिया जवाब
क्या दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए गठबंधन के मूड में AAP? अरविंद केजरीवाल ने दे दिया जवाब
‘एक दिन मेरी मां का रोल करोगी’, क्यों इंडस्ट्री की इस खूबसूरत हसीना से सलमान खान ने कही थी ये बात ?
‘एक दिन मेरी मां का रोल करोगी’, क्यों सलमान ने इस हसीना से कही ये बात
IND vs PM XI: हर्षित राणा ने बरपाया कहर, 6 गेंद में ले डाले 4 विकेट; अकेले कंगारुओं की निकली हवा
हर्षित राणा ने बरपाया कहर, 6 गेंद में ले डाले 4 विकेट; अकेले कंगारुओं की निकली हवा
क्या वाकई ज़्यादा पानी पीने से कम होता है वजन, जान लें कितनी सच ये बात
क्या वाकई ज़्यादा पानी पीने से कम होता है वजन, जान लें कितनी सच ये बात
Andhra Pradesh Waqf Board: आंध्र प्रदेश सरकार का बड़ा फैसला! CM चंद्रबाबू नायडू ने भंग किया वक्फ बोर्ड
आंध्र प्रदेश सरकार का बड़ा फैसला! CM चंद्रबाबू नायडू ने भंग किया वक्फ बोर्ड
प्रयागराज: चंद्रशेखर आजाद के नाम पर होगा रसूलाबाद घाट का नाम, 33 साल पहले आया था प्रस्ताव
प्रयागराज: चंद्रशेखर आजाद के नाम पर होगा रसूलाबाद घाट का नाम, 33 साल पहले आया था प्रस्ताव
क्या ट्रंप की वजह से बढ़ेगी भारतीय छात्रों की दिक्कत, टूट जाएगा यूएस में पढ़ने का सपना?
क्या ट्रंप की वजह से बढ़ेगी भारतीय छात्रों की दिक्कत, टूट जाएगा यूएस में पढ़ने का सपना?
Embed widget