हरिद्वार: नोटबंदी से पहाड़ी राज्य उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था भी चरमरा रही है. पर्यटन तो प्रभावित हुआ ही है उद्योगों पर भी असर पड़ा है. हरिद्वार के औद्योगिक क्षेत्र सिडकुल में ट्रांसपोर्ट का कारोबार लगभग ठप हो चुका है.
सिडकुल में कई दिनों से खड़े हैं ट्रक
उत्तराखंड के हरिद्वार में ओद्यौगिक क्षेत्र सिडकुल की सड़कों पर आम दिनों में चहल-पहल रहती है. ट्रक माल लाते-ले जाते दनदनाते हुए इन सड़कों से गुजरते हैं. लेकिन नोटबंदी ने इनके पहिए जाम कर दिए हैं.
नोटबंदी की वजह से मांग कम हुई है
नोटबंदी की वजह से मांग घटी तो आपूर्ति में भी कमी आ गई. सिडकुल में कई बड़ी-बड़ी कंपनियां हैं, लेकिन नोटबंदी की वजह से डिमांड गिरी तो इन कंपनियों ने उत्पादन ही कम कर दिया. लिहाजा ट्रांसपोर्ट का काम मंदा पड़ गया है.
हजारों लोगों को रोजगार देता है सिडकुल
सिडकुल में हीरो, सेलो, हिंदुस्तान लीवर, विप्रो समेत कई नामी गिरामी कंपनियों के प्लांट हैं. इन सभी कंपनियों को साल खत्म होने का इंतजार रहता है. क्योंकि इन दिनों में बिक्री ज्यादा होती है. लेकिन इस साल नोटबंदी ने धंधे की कमर तोड़ दी. देश के कोने कोने तक यहां से तैयार माल ले जाने वाले ट्रक ड्राईवर कई दिनों से यहां फंसे हुए हैं.
धंधा कम होने से रोजगार पर पड़ रहा है असर
प्रशासन और सरकार भी ये बात मान रही है कि नोटबंदी का उद्योगों पर असर पड़ा है लेकिन देश को कैशलेस करने के नाम पर थोड़ी परेशानी उठाने की बात कही जा रही है.
उत्तराखंड में सिडकुल वो ओद्योगिक क्षेत्र है, जो हजारों लोगों को नौकरी देता है. कई नामी कंपनियां यहां उत्पादन करती है. ऐसे में सिडकुल पर असर पड़ने से देश की अर्थव्यवस्था तो चरमराती ही है, पहाड़ी इलाके के हजारों घरों के चूल्हे भी सिडकुल के सहारे ही जलते हैं.