नई दिल्ली: भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई भिड़ंत और हिंसक झड़प के बाद फिलहाल देश भर में चीन को लेकर गुस्सा नजर आ रहा है. इसी कड़ी में जहां देशभर में चीन को लेकर विरोध हो रहा है तो वहीं व्यापारी चीन के सामान के बहिष्कार करने की बात कर रहे हैं. कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के मुताबिक देशभर में उनसे जुड़े जो करीब 7 करोड़ व्यापारी हैं जो चीन के सामान का बहिष्कार करने की तैयारी कर रहे हैं. साल 2021 के अंत तक चीन से आयात में 1 लाख करोड़ की कमी लाने का लक्ष्य रखा गया है.


चीन पर निर्भरता कम करने के लिए व्यापारी संघ ने तैयार की रणनीति


कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के महामंत्री प्रवीण खंडेलवाल के मुताबिक देशभर में उनके व्यापार संघ से जुड़े करीब 7 करोड़ व्यापारी हैं और इन व्यापारियों ने चीन के लगातार रवैया को देखते हुए यह तय किया है कि अगले साल के अंत तक चीन पर निर्भरता कम की जाएगी और व्यापार के लिए आयात होने वाला कम सामान में कमी लाई जाएगी. लक्ष्य रखा गया है कि अगर ऐसा मुमकिन हो पाया तो चीन को इससे सालाना 1 लाख करोड़ों रुपए का नुकसान होगा. इस बहिष्कार की शुरुआत भी हो गई है 500 ऐसे कैटेगरी के आइटम्स की लिस्ट बनाकर जिनका रॉ मैटेरियल भारत में उपलब्ध है और भारत में उनका उत्पादन हो सकता है.


पिछले 2 सालों में आयात में आ चुकी है कमी लक्ष्य और कमी लाने का


प्रवीण खंडेलवाल के मुताबिक पिछले 2 सालों के दौरान यानी साल 2018 से 2020 के बीच चीन से आयात 76 बिलियन डॉलर की जगह 70 बिलियन डॉलर पर आ गया है यानी पिछले 2 सालों में 6 बिलियन डॉलर की कमी आई है. इस कमी के आने के पीछे की वजह बताई जा रही है कि जब चीन ने पाक की नापाक हरकतों को अपना समर्थन दिया तो देशभर के व्यापारियों ने चीनी सामान के आयात में कमी करनी शुरू की. उसी कमी के चलते है कि पिछले 2 सालों में 6 बिलियन डॉलर की कीमत का आयात कम हुआ है. पिछले अनुभव को देखते हुए अब यह लक्ष्य साल 2021 के अंत तक 13 बिलियन डॉलर की और कमी लाने का तय किया गया है. यानी साल 2021 के अंत तक चीन से भारत का आयात 57 अरब डॉलर तक पहुंचाने की कोशिश रहेगी.


आयात घटाने के लिए घरेलू उद्योग पर देना होगा ज़ोर


व्यापार संघ के मुताबिक इस लक्ष्य को प्राप्त करना आसान है क्योंकि हमारे घरेलू उद्योगों के पास यह क्षमता है कि वह चीन के विकल्प के तौर पर सामान तैयार कर सके लेकिन इसमें सरकार से भी सहयोग जरूरी होगा. सरकार को लघु और मध्यम उद्योगों को आर्थिक तौर पर मदद करने के साथ ही उनके हितों को ध्यान में रखते हुए योजनाएं तैयार करनी होंगी जिससे कि वह अपने उद्योग को आगे बढ़ा सकें. इसके साथ ही जनता के बीच और बड़े पैमाने पर जागरूकता अभियान चलाना होगा जिससे कि ग्राहक और व्यापारी दोनों ही चीनी सामान की मांग कम करें. चीनी सामान के बहिष्कार के इस कदम से चीन को एक बड़ा आर्थिक झटका दिया जा सकता है.


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