नई दिल्ली: यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ की सीट से उनकी पार्टी बीजेपी को मुंह की खानी पड़ी है. गोरखपुर सीट पर एसपी के प्रवीण निषाद ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी बीजेपी के उपेंद्र दत्त शुक्ला को 21 हजार 881 मतों से हराया. अखिलेश की समाजवादी पार्टी को मायावती के साथ का भरपूर फायदा मिला है. एसपी-बीएसपी ने साथ मिलकर ये चुनाव लड़ा है. वहीं आरएलडी का भी इस गठबंधन को समर्थन हासिल है.
गोरखपुर लंबे समय तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सीट रही है जो उनके सीएम बनने के बाद खाली हो गई. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने गोरखपुर से उपेंद्र दत्त शुक्ला को मैदान में उतारा था. वहीं समाजवादी पार्टी ने प्रवीण निषाद को इस सीट से अपना प्रत्याशी बनाया था. वहीं कांग्रेस ने सुरीथा करीम को मैदान में उतारा था. हाल में पूर्वोत्तर के तीनों राज्यों में सरकार बनाने में सफल रही इस पार्टी के लिए ये सही संकेत नहीं हैं क्योंकि हर बीतते दिन के साथ आम चुनाव नज़दीक आते जा रहे हैं.
जानें इस सीट की हर डीटेल
गोरखपुर लोकसभा सीट यूपी के 80 लोकसभा सीटों में से एक हैं. इसमें गोरखपुर जिले का ज़्यादातर शहरी इलाका आता है. गोरखपुर नगर निगम भी गोरखपुर लोकसभा सीट में आता है जिस पर बीजेपी (भारतीय जनता पार्टी) का कब्ज़ा है.
लोकसभा सीट का इतिहास- कब कौन जीता
देश में 1951-52 में पहली बार लोकसभा चुनाव हुए. तब गोरखपुर ज़िले और आसपास के ज़िलों को मिलाकर 4 सांसद चुने जाते थे. 1951-52 में गोरखपुर दक्षिण से सिंहासन सिंह कांग्रेस के सांसद चुने गए. यही सीट बाद में गोरखपुर लोकसभा सीट बनी. 1957 में गोरखपुर लोकसभा सीट से दो सांसद चुने गए. सिंहासन सिंह दूसरी बार सांसद बनें और दूसरी सीट कांग्रेस के महादेव प्रसाद ने जीती.
1962 के लोकसभा चुनाव में गोरखनाथ मंदिर ने चुनाव में दस्तक दी. गोरक्षपीठ के महंत दिग्विजय नाथ हिंदू महासभा के टिकट पर मैदान में उतरे. उन्होंने कांग्रेस के सिंहासन सिंह को कड़ी टक्कर दी लेकिन 3,260 वोटों से हार गए. सिंहासन सिंह लगातार तीसरी बार सांसद बनें. 1967 में दिग्विजय नाथ निर्दलीय चुनाव लड़ें और कांग्रेस के विजय रथ को रोक दिया. दिग्विजय नाथ 42,000 से ज्यादा वोटों से चुनाव जीते.
1969 में दिग्विजय नाथ का निधन हो गया जिसके बाद 1970 में उपचुनाव हुआ. दिग्विजय नाथ के उत्तराधिकारी और गोरक्षपीठ के महंत अवैद्यनाथ ने निर्दलीय चुनाव लड़ा और सांसद बने. 1971 में फिर से कांग्रेस ने इस सीट पर वापसी की. कांग्रेस के नरसिंह नरायण पांडेय चुनाव जीते. वहीं निर्दलीय अवैद्यनाथ चुनाव हार गए.
1977 में इमरजेंसी के बाद हुए चुनाव में भारतीय लोकदल के हरिकेश बहादुर चुनाव जीते. कांग्रेस के नरसिंह नरायण पांडेय चुनाव हार गए, वहीं अवैद्यनाथ लड़े ही नहीं. 1980 के चुनाव से पहले हरिकेश बहादुर कांग्रेस में चले गए. कांग्रेस ने सत्ता में वापसी की और हरिकेश बहादुर कांग्रेस के टिकट पर दूसरी बार सांसद बने.
1984 के लोकसभा चुनाव से पहले हरिकेश लोकदल में चले गए. लेकिन इस बार पार्टी बदलने के बावजूद वे चुनाव नहीं जीत सके. कांग्रेस ने मदन पांडेय को चुनाव लड़ाया और मदन जीतकर सांसद बनें. 1989 के चुनाव में राम मंदिर आंदोलन के दौरान गोरखनाथ मंदिर के मंहत अवैद्यनाथ फिर से चुनावी मैदान में उतर गए और हिंदू महसभा के टिकट पर अवैद्यनाथ दूसरी बार सांसद बने.
1991 की रामलहर में अवैद्यनाथ बीजेपी में शामिल होकर चुनाव लड़े और फिर सांसद बने. 1996 में अवैद्यनाथ फिर बीजेपी से लगातार तीसरी बार सांसद बने. 1998 में मंदिर के योगी और अवैद्यनाथ के उत्तराधिकारी युवा योगी आदित्यनाथ पहली बार सांसद बने. तब योगी सबसे कम उम्र के सासंद थें.
1999, 2004, 2009 और 2014 में लगातार पांच बार योगी गोरखपुर से बीजेपी के टिकट पर सांसद चुने गए. मार्च 2017 में यूपी के सीएम चुने जाने के बाद उन्होंने सांसद पद से त्याग पत्र दे दिया. अब गोरखपुर लोकसभा सीट के लिए उपचुनाव होना है.
कौन सी पार्टी कितनी बार जीती
अब तक हुए 16 लोकसभा चुनावों और एक उपचुनाव में बीजेपी ने सात बार, कांग्रेस ने छह बार, निर्दलीय ने दो बार, हिंदू महासभा ने एक बार और भारतीय लोकदल ने एक बार जीत दर्ज की. सपा (समाजवादी पार्टी) और बसपा (बहुजन समाज पार्टी) इस सीट पर खाता भी नहीं खोल सके हैं.
इस सीट पर कौन से बड़े नेता जीते
सिंहासन सिंह– स्वतंत्रता संग्राम सेनानी.
महंत दिग्विजय नाथ– हिंदू महासभा के बड़े नेता और राम जन्मभूमि आंदोलन के अहम नेता.
अवैद्यनाथ– पांच बार विधायक और चार बार सांसद रहे, राम जन्मभूमि आंदोलन के बड़े नेता.
योगी आदित्यनाथ– यूपी के वर्तमान मुख्यमंत्री.
कितनी विधानसभा सीटें और कौन कौन जीता
गोरखपुर लोकसभा सीट में विधानसभा की पांच सीटें आती हैं. ये विधानसभा सीटें- कैंपियरगंज, पिपराइच, गोरखपुर शहर, गोरखपुर ग्रामीण और सहजनवा विधानसभा हैं. साल 2017 में पांचों विधानसभा चुनाव में सभी सीटों पर बीजेपी को जीत मिली थी.
जातिगत समीकरण
गोरखपुर के समीकरण को समझें तो यहां पिछड़े और दलित वोटरों की बहुलता है. मुस्लिम समाज की भी व्यापकता इस लोकसभा क्षेत्र में है. गोरखपुर लोकसभा सीट में सबसे ज्यादा निषाद मतदाता है जिनकी संख्या लगभग चार लाख है.
पिपराइच और गोरखपुर ग्रामीण में सबसे ज्यादा निषाद मतदाता हैं. करीब 1,50,000 मुस्लिम मतदाता हैं. ब्राह्मण 1,50,000, राजपूत 1,30,000 यादव 1,60,000 और सैंथवार मतदाताओं की संख्या 1,40,000 है. वैश्य और भूमिहार मतदाता भी लगभग एक लाख के करीब हैं.
मतदाताओं की संख्या और इसमें कितने महिला, कितने पुरुष
2014 के लोकसभा चुनाव में गोरखपुर लोकसभा सीट में कुल 19,03,988 वोटर थे जिनमें से 54.67 मतदाताओं ने मतदान किया. कुल 10,40,822 लोगों ने मतदान किया था जिसमें 5,82,909 पुरुष और 4,57,008 महिला वोटरों ने मतदान किया था.
गोरखनाथ मंदिर की भूमिका
1989 से ही गोरखपुर लोकसभा सीट पर मंदिर से जुड़ा ही कोई सांसद बनता है. पिछले 8 बार और 28 सालों से मंदिर के महन्त ही गोरखपुर लोकसभा सीट से लगातार सांसद चुने जा रहे हैं. गोरखनाथ मंदिर के तीन महन्त 10 बार सांसद चुने जा चुके हैं. महन्त दिग्विजय नाथ एक बार, महन्त अवैद्यनाथ चारबार और महन्त योगी आदित्यनाथ पांच बार सांसद चुने जा चुके हैं. पिछले 65 सालों में गोरखनाथ मंदिर से जुड़े लोगों तीन लोगों ने 32 साल तक लोकसभा में गोरखपुर का प्रतिनिधित्व किया
योगी आदित्यनाथ का प्रोफाइल
योगी आदित्यनाथ का जन्म पांच जून 1972 को उत्तराखंड के पौड़ी ज़िले के पंचूर गांव में हुआ था. सात भाई-बहनों में योगी आदित्यनाथ दूसरी संतान हैं. योगी आदित्यनाथ के तीन और भाई और तीन बहनें हैं. योगी आदित्यनाथ के पिता का नाम आनंद बिष्ट है. वे रिटायर्ड फॉरेस्ट रेंजर हैं. योगी आदित्यनाथ का बचपन का नाम अजय बिष्ट था. आदित्यनाथ ने विज्ञान से स्नातक तक की शिक्षा ग्रहण की.
1990 में राम मंदिर आंदोलन के समय आदित्यनाथ महंत अवैद्यनाथ के सम्पर्क में आए. योगी ने 22 साल की उम्र में सांसारिक जीवन त्यागकर संन्यास ग्रहण कर लिया. 15 फरवरी 1994 को गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवैद्यनाथ ने योगी आदित्यनाथ नाथ सम्प्रदाय में योग की दीक्षा दी. साल 1998 में वे पहली बार गोरखपुर लोकसभा सीट से सांसद बने.
26 साल में भारतीय संसद के सबसे युवा सांसद के तौर पर अपनी धमक दी. तब से योगी आदित्यनाथ लगातार पांच बार सांसद चुने जा चुके हैं. योगी लगभग 36 शिक्षा और अस्पताल संस्थानों के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, मंत्री, मैनेजर या ज्वाइंट सेकेरेट्री हैं. वे 19 मार्च 2017 को यूपी के सीएम बने थे. उनका कार्यकाल 2022 में समाप्त होगा.