Bypolls Results 2022:  यूपी (UP) बीजेपी अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह (Swatantra Dev Singh) ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) का मुंह मीठा कराया. फिर योगी ने भी उन्हें लड्डू खिलाया. आख़िर जीत ही इतनी बड़ी थी तो मीठा तो बनता ही था. बीजेपी (BJP) ने रामपुर (Rampur) और आज़मगढ़ (Azamgarh) का लोकसभा उप-चुनाव जीत लिया है. ये समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) का गढ़ माना जाता है. 2019 की मोदी लहर में भी बीजेपी यहां चुनाव हार गई थी. लेकिन इस बार तो योगी और स्वतंत्र देव की जोड़ी ने कमाल कर दिया. बीजेपी ने दोनों ही सीटें समाजवादी पार्टी से छीन ली.


योगी आदित्यनाथ ने कहा प्रधानमंत्री मोदी की जन कल्याणकारी योजनाओं के कारण जीत मिली. उन्होंने आजमगढ़ और रामपुर की जनता को इसके लिए धन्यवाद दिया. कुछ दिनों बाद स्वतंत्र देव सिंह की जगह किसी और नेता को यूपी बीजेपी अध्यक्ष बना दिया जाएगा. क्योंकि उनका कार्यकाल ख़त्म हो चुका है. जाते-जाते उनकी अध्यक्षता में बीजेपी ने अब तक नामुमकिन को मुमकिन कर दिया. पर सवाल ये है कि समाजवादी पार्टी अपने सबसे सुरक्षित गढ़ में ही कैसे हार गई ? इसे विस्तार से समझते हैं.


अखिलेश यादव ने नहीं किया प्रचार
अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने इस बार चुनाव प्रचार ही नहीं किया. समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष होने के बावजूद प्रचार और चुनावी तैयारी से वे दूर रहे. ऐसा आम तौर पर दो ही हालात में हो सकता है. या तो अखिलेश को यक़ीन था कि हर हाल में उनकी ही पार्टी चुनाव जीतेगी. या फिर उन्हें लग रहा था कि पार्टी हार ही रही है फिर जाकर चुनाव प्रचार करने का क्या फ़ायदा ! कहीं ऐसा तो नहीं कि अखिलेश को इस बात की आशंका था कि उनकी पार्टी चुनाव हार जाएगी.


अखिलेश यादव के इस्तीफे से खाली हुई थी आजमगढ़ की सीट
आज़मगढ़ की सीट अखिलेश यादव के इस्तीफ़े के कारण ख़ाली हुई थी. 2019 में अखिलेश तो 2014 के लोकसभा चुनाव में उनके पिता मुलायम सिंह यादव यहां से चुनाव जीते थे. यहां के चुनाव का सबसे बड़ा फ़ैक्टर होता है MY- मतलब मुस्लिम और यादव समीकरण. यहां के 19 प्रतिशत वोटर यादव हैं और इतने ही दलित हैं और क़रीब क़रीब इतने ही मुस्लिम भी.


आज़मगढ़ में कुल 1838000 वोटर हैं जिसमें - 350000 यादव, 300000 मुसलमान और 350000 दलित हैं.


मायावती ने इस बार रामपुर में उम्मीदवार नहीं दिया और कहा कि आज़मगढ़ में अखिलेश से बदला लिया जाएगा. इस तरह समाजवादी पार्टी को हरा कर बदला पूरा हुआ. पर ये सब इतना आसान नहीं रहा. सबसे पहले आज़मगढ़ की बात करते हैं. पिछली बार जब चुनाव हुए तो समाजवादी पार्टी को 62 प्रतिशत वोट मिले और बीजेपी को 35 फीसदी. तब समाजवादी पार्टी और बीएसपी का गठबंधन था.  


अभी जो विधानसभा चुनाव हुए तो समाजवादी पार्टी आज़मगढ़ लोकसभा में पड़ने वाली सभी 5 विधानसभा सीट जीत गई. पर इस उप चुनाव में तो समाजवादी पार्टी के साथ खेला हो गया. इस बार तो समाजवादी पार्टी को पिछले विधानसभा चुनाव से भी कम वोट मिले. विधानसभा चुनाव 2022 में पांचों विधानसभा गोपालपुर, सगड़ी, मुबारकपुर, सदर और मेहनगर में समाजवादी पार्टी को कुल मिले 434864 वोट, बीजेपी को 329031 और बीएसपी को 224202 वोट मिले.


इस बार समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार और अखिलेश यादव के भाई धर्मेंद्र यादव को इससे भी कम वोट मिले. जबकि बीएसपी का प्रदर्शन पहले से बेहतर रहा.


योगी आदित्यनाथ ने जम कर चुनाव प्रचार किया
मुस्लिम वोटों का बंटवारा हो गया. अखिलेश यादव ने चुनाव प्रचार नहीं किया. जिसके कारण यादव वोटर भी गोलबंद नहीं हो पाए. जबकि इसी बिरादरी के कुछ लोगों ने बीजेपी को भी वोट किया. बीजेपी उम्मीदवार दिनेश लाल यादव निरहुआ भी इसी बिरादरी के हैं. योगी आदित्यनाथ ने जम कर चुनाव प्रचार किया. हिंदुत्व का कार्ड खेला. ग़ैर यादव पिछड़ी जातियां और अगड़ी जातियां बीजेपी के साथ जुड़ गईं.


सोचिए अगर अखिलेश यादव ने अपनी पत्नी डिंपल यादव को चुनाव लड़ाया होता और यही नतीजा होता तो उनका क्या हाल होता ? जिस किसी ने भी उन्हें ऐसा न करने की सलाह दी उससे अखिलेश के घर की इज़्ज़त तो कम से कम बच गई. वरना अखिलेश क्या जवाब देते? आज़मगढ़ में उनकी पार्टी के नेता आपस में झगड़ते रहे और उधर योगी आदित्यनाथ, स्वतंत्र देव सिंह और सुनील बंसल के करिश्माई नेतृत्व में बीजेपी ने पूरी ताक़त झोंक दी.


आजम के उम्मीदवार को उनके ही चेले ने हराया
कहते थे रामपुर में तो बस आज़म खान की चलती है. राजनीति वाला पत्ता उनकी ही मर्ज़ी से हिलता है. अखिलेश यादव ने रामपुर को इस चुनाव में आज़म खान के हवाले कर दिया. उन्होंने अपने चेले आसिम रजा को टिकट दिला दिया. अखिलेश यादव की तरह ही उन्होंने भी परिवार के किसी सदस्य को चुनाव नहीं लड़ाया. वरना हारने पर आज़म किसी को क्या मुह दिखाते. आज़म के उम्मीदवार को कभी उनके ही चेले रहे घनश्याम लोधी ने हरा दिया.


रामपुर में 54 प्रतिशत मुस्लिम वोटर हैं और बाक़ी 46 प्रतिशत हिंदू. फिर भी समाजवादी पार्टी हार गई. कहा जा रहा है कि आज़म खान (Aajam Khan) के धुर विरोधी नवाब काजिम अली के परिवार ने भी बीजेपी (BJP) की मदद की. बीएसपी (BSP) चुनाव नहीं लड़ी. ऐसे में दलित और पिछड़ों ने बीजेपी का साथ दिया और आज़म के लोग चुनाव हार गए.


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