C Voter Survey: कोरोना की दूसरी लहर में देश ने बहुत कुछ झेला. हजारों लोगों ने अपनों को खोया, अस्पतालों में बेड नहीं मिले, दवाइयां नहीं मिली, ऑक्सीजन नहीं मिला. लोग दर दर भटकते रहे. सरकारों की व्यवस्था पर लोगों ने सवाल उठाए.
इन सब के बीच सर्वे एजेंसी सी वोटर ने एबीपी न्यूज के लिए लोगों का मूड जाना है. लोगों से पूछा गया कि कोरोना काल में सरकार के कामकाज से कितने संतुष्ट हैं. इसके जवाब में 74 फीसदी लोगों ने हां में जवाब दिया यानी वो संतुष्ट हैं. जबकि 21 फीसदी लोग असंतुष्ट दिखे. 5 प्रतिशत ऐसे भी थे जो इस सवाल का जवाब नहीं दे पाए. सर्वे में सी वोटर ने देशभर के 40 हजार लोगों की राय ली है.
कोरोना पर सरकार के कामकाज से संतुष्ट हैं?
हां-74 फीसदी
नहीं- 21 फीसदी
कह नहीं सकते-5 फीसदी
दरअसल, पिछले तीन महीने में कैसे कोरोना बढ़ने पर सरकार के खिलाफ नाराजगी बढ़ी थी और जब सरकार ने काम किया तो नाराजगी कम हुई. 15 अप्रैल के आसपास सरकार से संतुष्ट लोगों की संख्या 57.7 प्रतिशत थी, ये वो वक्त था, जब दूसरी लहर की शुरुआत हो रही थी.
बढ़ते कोरोना केसे के बीच बीजेपी पर पश्चिम बंगाल चुनावों में रैलियां करने का आरोप लग रहा था, तो 22 अप्रैल को प्रधानमंत्री ने रैली रोकने का एलान किया. तब भी 51.2 प्रतिशत लोग सरकार के कामकाज से संतुष्ट थे.
इसके बाद कोरोना से देश में कोहराम मच गया. 2 मई को 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों की मतगणना हुई, तो असंतुष्टि भी बढ़ गई. तब तक संतुष्ट रहने वालों की संख्या सिर्फ 37.3 प्रतिशत ही बची.
7 मई वो वक्त था, जब दूसरी लहर चरम पर थी, उस वक्त केन्द्र के काम से संतुष्ट रहने वालों की संख्या थी 34.6 प्रतिशत. 16 मई तक आते आते असंतुष्टों की संख्या ज्यादा हो गई, यहां सिर्फ 32.9 प्रतिशत लोग ही संतुष्ट बचे थे. फिर हालात सुधरे, 7 जून को प्रधानमंत्री ने एक देश एक वैक्सीन का ऐलान किया. तो संतुष्टों की संख्या भी बढ़ी और 45.4% लोग सरकार के काम से संतुष्ट दिखे.
सी-वोटर ने सवाल किया कि लोगों को कोरोना काल में जरूरत पड़ने पर बेड, ICU, ऑक्सीजन मिला? तो 32 फीसदी लोगों ने कहा कि आसानी से मिल गया. 14 फीसदी ने कहा कि थोड़ी सी परेशानी हुई. 6 फीसदी ने कहा कि बहुत ज्यादा परेशानी हुई. 9 फीसदी ने कहा कि ये सब नहीं मिला. जबकि 39 फीसदी ने कहा कि जरूरत नहीं पड़ी.