Suvendu Adhikari on CAA Implementation: लोकसभा चुनाव 2024 से पहले देश में नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) को लेकर सियासी बहस फिर तेज होती दिखी है. केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर के दावे के बाद पश्चिम बंगाल में बीजेपी के विधायक और नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी ने भी इसके एक हफ्ते में लागू होने से जुड़ा दावा किया है. उन्होंने कहा कि बहुत जल्दी सीएए लागू होने की उम्मीद है. यह फरवरी तक लागू किया जा सकता है.
समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, सुवेंदु अधिकारी ने बताया कि मार्च में मॉडल कोड ऑफ कंडक्ट लागू हो सकता है. ऐसे में उन्हें उम्मीद है कि फरवरी में ही सीएए लागू कर दिया जाएगा. हालांकि, वह यह भी बोले कि आधिकारिक तौर पर गृह मंत्रालय ही इससे जुड़ी घोषणा करेगा मगर उन्हें फरवरी में इसके लागू होने की आस है.
शांतनु ठाकुर और अमित शाह दे चुके हैं बयान
सुवेंदु अधिकारी से पहले केंद्रीय मंत्री शांतनु ठाकुर (बंगाल के मतुआ बहुल क्षेत्र बनगांव से सांसद) ने सीएए को लेकर बयान दिया था. उन्होंने रविवार (28 जनवरी) को पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना में बांग्लादेश के शरणार्थी "मतुआ" समुदाय बहुल क्षेत्र बनगांव में जनसभा के दौरान दावा किया था कि हफ्ते भर में बंगाल समेत पूरे देश में सीएए लागू हो जाएगा. सीएए को लेकर उनके हालिया बयान के बाद इस मसले पर जुबानी जंग छिड़ती दिखी. वैसे, उनसे पहले गृह मंत्री अमित शाह ने पिछले साल नवंबर के आखिरी हफ्ते में बंगाल दौरे पर संकेत दिए थे कि सीएए जल्द लागू होगा.
Mamata Banerjee को है ऐतराज
उधर, इस मामले पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी चीफ ममता बनर्जी की भी प्रतिक्रिया आई है. उन्होंने 29 जनवरी को उत्तर बंगाल के कार्यक्रम में आरोप लगाया था कि बीजेपी नेता राजनीति करने के लिए लोकसभा चुनाव से पहले सीएए का मुद्दा उठा रहे है. सीएम ममता के मुताबिक, 'बीजेपी ने फिर से सीएए के बारे में बोलना शुरू कर दिया है. यह राजनीति के अलावा कुछ नहीं है. हमने सभी को नागरिकता दी है. उन्हें (शरणार्थियों को) सब कुछ मिल रहा है. वे नागरिक हैं इसलिए उन्हें वोट देने का अधिकार है.'
2019 में Lok Sabha से पास हुआ था CAA
सीएए 2019 में संसद के निचले सदन लोकसभा से पास हुआ था लेकिन अभी तक यह लागू नहीं हो सका है. देश भर में इसे लेकर कई जगहों पर विरोध-प्रदर्शन भी हुए थे. जो लोग सीएए के खिलाफ हैं उनका मानना है कि यह कानून देश को धर्म के आधार पर बांटता है, जबकि सरकार ने बताया कि यह सिर्फ नागरिकता देने वाला कानून है. सीएए लागू होने के बाद भारत के तीन मुस्लिम बाहुल्य पड़ोसी देशों (अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान) से पलायन कर आए ऐसे लोगों को नागरिकता देने का प्रावधान है जो दिसंबर 2014 तक प्रताड़ना के चलते भारत आए थे. इनमें हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई हैं.
क्यों विरोध कर रहा है विपक्ष?
विपक्षी दलों के नेताओं ने सीएए को संविधान के आर्टिकल 14 यानी समानता के अधिकार का उल्लंघन बताया है. विरोध करने वालों का तर्क है कि इस कानून में मुस्लिम समुदाय के साथ भेदभाव किया जा रहा है. तीन पड़ोसी मुस्लिम बाहुल्य देशों से आकर जो गैर मुस्लिम रह रहे हैं उनको बिना किसी डॉक्युमेंट के ही नागरिकता देने का प्रावधान है लेकिन मुस्लिमों को इसमें दरकिनार किया जा रहा है.