गांधीनगरः नागरिकता कानून को लेकर देश भर में जारी विरोध प्रदर्शन को लेकर पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगई ने अपना पक्ष रखा है. उन्होंने कहा है कि जब पहले ही यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है तो लोगों को 'दो समानांतर मंच' नहीं पैदा करने चाहिए. उन्होंने कहा कि देश की एकता और अखंडता का सम्मान करना सबसे महत्वपूर्ण मौलिक कर्तव्य है. पूर्व चीफ जस्टिस ने कहा कि संशोधित नागरिकता कानून पर बहुत प्रदर्शन हुए हैं.


पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा, ''संशोधित नागरिकता कानून पर बहुत प्रदर्शन हुए हैं और मामला जब पहले ही सुप्रीम कोर्ट में है तो लोगों को 'दो समानांतर मंच' नहीं पैदा करने चाहिए.'' पूर्व चीफ जस्टिस गुजरात राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय में छात्रों को संबोधित करते हुए यह बात कही.


'देश की एकता और अखंडता का सम्मान करें'


असम में नागरिकता कानून को लेकर प्रदर्शनों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि कुछ ऐसे तत्व हैं जो देश की अखंडता को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं. छात्र समुदाय ने कुछ दिन में ही वहां हिंसक प्रदर्शन बंद कर दिया जिससे तुरंत ही कानून और व्यवस्था की स्थिति सुधर गई.


छात्रों को संबोधित करते हुए पूर्व चीफ जस्टिस ने कहा, ''सबसे महत्वपूर्ण मौलिक कर्तव्य देश की एकता और अखंडता का सम्मान करना है. इसमें समस्याएं हैं, और उन्हें प्रचारित क्यों किया जाता है.''


'नागरिकता कानून को लेकर हो सकता है विचार मेल न खाएं'


उन्होंने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून यह एक मुद्दा है. आपका भी इस पर नजरिया हो सकता है और मेरा भी इस पर दृष्टिकोण है. हो सकता है कि इस कानून को लेकर हमारे विचार आपसे मेल नहीं खाएं.


उन्होंने कहा कि मेरे पास अपना दृष्टिकोण रखने के लिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है, आपके पास भी अपना विचार रखने के लिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है. लेकिन, समाधान संवैधानिक दायरे में ही होना चाहिए.


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