चेन्नई: नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ डीएमके समेत उसकी सहयोगी पार्टियों ने आज चेन्नई में एक बड़ी रैली निकाली और इस कानून को वापस लेने की मांग की गई. डीएमके अध्यक्ष एम के स्टालिन, कांग्रेस नेता पी चिदंबरम, एमडीएमके नेता वाइको और वामदलों की राज्य इकाई के नेता इस विशाल रैली में उपस्थित थे.
यह रैली एगमोर से राज रत्नम स्टेडियम तक थी. करीब 2 किलोमीटर की इस रैली में इन सभी पार्टियों के कार्यकर्ताओं के अलावा आम जनता भी मौजूद रही. आपको बता दें कि यह कानून पास होने के समय से ही लगातार राज्य में डीएमके समेत उसके सहयोगी दल एआईएडीएमके समेत केंद्र की बीजेपी सरकार पर हमला बोल रहे हैं. आपको बता दें कि राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी एआईएडीएमके ने केंद्र के इस बिल को लोकसभा समेत राज्यसभा में भी समर्थन दिया. जिसके कारण इस बिल के राज्यसभा से पास होने में आसानी हुई. इस विशाल रैली के लिए पुलिस बंदोबस्त भी खड़ा कर दिया गया जिसमें 5000 पुलिसकर्मी सुरक्षा ड्यूटी पर मौजूद रहे और साथ ही ड्रोन कैमरे को भी तैनात किया गया था. दरअसल, चेन्नई पुलिस ने इस रैली को अनुमति देने से इनकार कर दिया था. जिसके बाद मद्रास हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया और रविवार को सुनवाई करते वक्त मद्रास हाई कोर्ट ने इस पूरी रैली पर ड्रोन कैमरे से नजर रखने के आदेश दिए थे.
मद्रास हाई कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार के वकील द्वारा सूचित किए जाने के बाद रैली का विरोध करने वाली जनहित याचिका पर रविवार देर रात अंतिम निर्देश दिया था. दरअसल, पुलिस की ओर से इस रैली को अनुमति नहीं दी गई थी क्योंकि आयोजकों की ओर से किसी भी हिंसा और संपत्ति को नुकसान के मामले में जिम्मेदारी पर कोई ठोस प्रतिबद्धता नहीं दिखाई गई.
इस पर सुनवाई करते वक्त मद्रास हाई कोर्ट ने कहा कि एक लोकतांत्रिक देश में शांतिपूर्ण प्रदर्शन को रोका नहीं जा सकता क्योंकि यह लोकतांत्रिक व्यवस्था की रीढ़ है. कोर्ट ने इसके बाद पुलिस को निर्देश दिया कि यदि आवश्यक हो तो विरोध प्रदर्शन की वीडियोग्राफी करें और ड्रोन कैमरे का भी उपयोग करें ताकि किसी भी तरह की गैरकानूनी घटनाओं पर नजर रखी जा सके.
कोर्ट से हरी झंडी मिलने के बाद चेन्नई में इस विशाल रैली को संबोधित किया गया. 2 किलोमीटर चली इस रैली में स्टालिन, पी चिदंबरम, वाइको समेत सभी नेता हाथ में प्लैक कार्ड लेकर पैदल राज रत्नम स्टेडियम तक पहुंचे. नेताओं ने इस कानून को वापस लेने की मांग की. डीएमके अध्यक्ष एम के स्टालिन ने कहा कि हम तब तक नहीं रुकेंगे जब तक केंद्र की मोदी सरकार इस कानून को वापस नहीं ले लेती. इससे पहले डीएमके ने इस कानून में श्रीलंकाई तमिलों को ना शामिल करने को लेकर भी केंद्र और राज्य सरकार पर हमला बोला था. साथ ही कहा था कि तमिलों के साथ विश्वासघात है.
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