Citizenship Amendment Act: असम में नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) का विरोध एक बार फिर भड़क उठा. अब ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (एएएसयू) और 30 अन्य संगठन इसका विरोध प्रदर्शन करेगी. 9 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी असम के दौरे पर रहेंगे. उसी दिन इन संगठनों ने असम के सभी जिलों में 12 घंटे की भूख हड़ताल करने की बात कही है.


'असम के लोगों ने सीएए को स्वीकार नहीं किया'


एएएसयू अध्यक्ष उत्पल सरमा ने गुवाहाटी में अलग-अलग संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक के बाद कहा कि सीएए के इंप्लीमेंटेशन को लोगों के साथ अन्याय करार दिया. उन्होंने कहा कि असम के लोगों ने सीएए को कभी स्वीकार नहीं किया है और इसके इंप्लीमेंटेशन की दिशा में किए जाने वाले सरकार के किसी भी कदम का विरोध किया जाएगा.


सीएए को लागू करने के विरोध को लेकर उन्होंने कहा, "हम कानूनी लड़ाई के साथ-साथ केंद्र के फैसले के खिलाफ लोकतांत्रिक और शांतिपूर्ण आंदोलन जारी रखेंगे." फरवरी महीने की शुरुआत में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि सीएए नियमों को लोकसभा चुनाव से पहले अधिसूचित और लागू किया जाएगा.


यूओएफए ने भी सौंपा ज्ञापन


इससे पहले गुरुवार (29 फरवरी) को संयुक्त विपक्षी मंच असम (यूओएफए) ने भी राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया के जरीए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक ज्ञापन सौंपा था, जिसमें सीएए को रद्द करने और असम में इसे लागू नहीं करने की मांग की गई थी. यूओएफए की ओर से कहा गया कि अगर सीएए रद्द नहीं किया गया तो वे राज्य भर में लोकतांत्रिक जन आंदोलन चलाएंगे.


असम में दिसंबर 2019 में सीएए के विरोध में हिंसक विरोध प्रदर्शन किया गया था. सीएए के खिलाफ भारत के अन्य हिस्सों में विरोध प्रदर्शन मुसलमानों को इसके दायरे से बाहर करने को लेकर था. वहीं यूओएफ गैर-मुस्लिम अवैध अप्रवासियों को नागरिक बनने की अनुमति देने के खिलाफ है.


यूओएफए की ओर से राज्यव्यापी बंद की धमकी देने के बाद असम के पुलिस महानिदेशक ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने चेतावनी दी है कि आंदोलन के दौरान होने वाले वित्तीय नुकसान की वसूली आंदोलन के आयोजकों से की जाएगी.


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