नई दिल्ली: दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शुक्रवार को कहा कि नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) हिन्दू और मुसलमान दोनों को प्रभावित करेगा. उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि वे “अनावश्यक” कानून का बहिष्कार करें. केजरीवाल ने कहा कि वह केंद्र सरकार से “हाथ जोड़कर” अनुरोध करते हैं कि “विवादास्पद कानून” को वापस लिया जाए.
मुख्यमंत्री ने कहा, “हमें इस कानून की कोई जरूरत नहीं, यह पूरी तरह से गैरजरूरी है. हम पाकिस्तान से आए दो करोड़ हिन्दुओं को कहां रखेंगे.उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को पहले अपने देश के नागरिकों का ध्यान रखना चाहिए फिर दूसरे देश के लोगों का.”
केजरीवाल ने कहा, “सीएए हिन्दुओं और मुसलमानों के बारे में नहीं है इससे दोनों धर्मों के लोगों पर असर पड़ेगा.”
इससे पहले अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि नागरिकता संशोधन कानून से कुछ भी हासिल नहीं होने वाला है और न ही इसकी वर्तमान में कोई आवश्यकता है. केजरीवाल ने कहा था, "इस कानून से कुछ भी हासिल नहीं होगा. मैं केंद्र से आग्रह करता हूं कि फिलहाल इस कानून की कोई जरूरत नहीं है. युवाओं को नौकरी उपलब्ध कराना ही प्रमुखता होनी चाहिए."
कानून को लेकर राजधानी में हो रहे विरोध प्रदर्शन के बीच केजरीवाल ने कहा था कि सिर्फ दिल्ली ही नहीं, बल्कि पूरे देश को कानून और व्यवस्था का सामना करना पड़ रहा है. लोगों में डर है, सिर्फ मुस्लिम ही नहीं, बल्कि हिदू, सिख और क्रिश्चियन भी डरे हुए हैं. लोग डरे हुए हैं कि वे अपनी नागरिकता कैसे साबित करेंगे.
क्या है सीएए
सीएए पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 तक आए हिंदू, सिख, ईसाई, बौद्ध, जैन और पारसी समुदाय के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान करता है, जिन्होंने इन तीन पड़ोसी देशों में धार्मिक उत्पीड़न का सामना किया है.
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