वाराणसी: काशी हिंदू यूनिवर्सिटी (बीएचयू) के दीक्षांत समारोह में मंगलवार को संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) का विरोध और समर्थन दोनों देखने को मिला. जहां विरोध प्रदर्शन कर रहे बनारस के लोगों की गिरफ्तारी के विरोध में एक विद्यार्थी ने डिग्री लेने से मना कर दिया. वहीं, कई छात्रों ने "वी सपोर्ट सीएए एंड एनआरसी" का स्टीकर लगाकर उपाधि ली.


छात्रों के साथ यूनिवर्सिटी के कुछ शिक्षकों ने भी सीएए और एनआरसी का समर्थन किया. बीएचयू के 101 वें दीक्षांत समारोह में कला के इतिहास के विद्यार्थी रजत सिंह ने सीएए और एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान छात्रों की गिरफ्तारी के विरोध में डिग्री लेने से मना कर दिया. इस दौरान दर्जनों अन्य विद्यार्थियों ने "वी सपोर्ट सीएए एंड एनआरसी" का स्टीकर लगाकर उपाधि ग्रहण की.


उधर, कुछ विद्यार्थियों ने संशोधित नागरिकता कानून व राष्ट्रीय नागरिक पंजी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान छात्रों की गिरफ्तारी को लेकर पोस्टर हाथ में लेकर अपना विरोध जताया. छात्रों का आरोप है कि बनारस में शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे 69 लोगों को पुलिस ने जेल भेज दिया. उनका कहना है कि बनारस के प्रदर्शन में किसी भी प्रकार की कोई हिंसा नहीं हुई थी. इसके बावजूद पुलिस ने लोगों को डराने के लिए फर्जी मामले दर्ज किये हैं.


छात्र नेता अरुण कुमार चौबे ने संशोधित नागरिकता कानून व राष्ट्रीय नागरिक पंजी का समर्थन करते हुए कहा कि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय का प्रत्येक छात्र राष्ट्र के लिए समर्पित है. सीएए का विरोध करने वालों के खिलाफ सरकार को कठोर से कठोर कारवाई करनी चाहिए. गौरतलब है कि एक दिन पहले पांडिचेरी विश्वविद्यालय की जनसंचार की एक छात्रा रबीहा अब्दुर्रहीम ने सीएए और एनआरसी के विरोध में स्वर्ण पदक लेने से मना कर दिया था.


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