नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) पर जारी हंगामें के बीच आज नई दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अध्यक्षता में विपक्षी दलों की बैठक हुई. इस बैठक में सोनिया गांधी ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) पर देश को गुमराह किया है.
उन्होंने कहा, ''सरकार ने उत्पीड़न का ढीला शासन किया, नफरत फैलाई और हमारे लोगों को सांप्रदायिक आधार पर विभाजित करने की कोशिश की. संविधान को कमजोर किया जा रहा है और शासन के उपकरणों का दुरुपयोग किया जा रहा है.'' कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, ‘‘सरकार ने दमन चक्र चला रखा है, नफरत फैला रही है और लोगों को समुदाय के आधार पर बांट रही है.’’
उन्होंने कहा, ‘‘देश में अप्रत्याशित अशांति है. संविधान को कमजोर किया जा रहा है और सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग किया जा रहा है. देश के हिस्सों खासकर उत्तर प्रदेश में समाज के बड़े तबकों को प्रताड़ित किया जा रहा है और उन पर हमले किए जा रहे हैं.’’
उन्होंने दावा किया, ‘‘असम में एनआरसी उल्टा पड़ गया. मोदी-शाह सरकार अब एनपीआर की प्रक्रिया को करने में लगी है. यह स्पष्ट है कि एनपीआर को पूरे देश में एनआरसी लागू करने के लिए किया जा रहा है.’’
बैठक में कौन आया और कौन नहीं?
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा बुलाई गई इस बैठक में 20 दलों के नेता शामिल हुए. इस बैठक में सीएए के विरोध में हुए प्रदर्शनों और कई विश्वविद्यालय परिसरों में हिंसा के बाद पैदा हुए हालात, आर्थिक मंदी तथा कई अन्य मुद्दों पर चर्चा की गई.
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पार्लियामेंट एनेक्सी में हुई बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, माकपा के सीताराम येचुरी, भाकपा के डी राजा, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, आरजेडी के मनोज झा, नेशनल कांफ्रेस के हसनैन मसूदी और आरएलडी के अजित सिंह मौजूद थे.
इसके साथ ही आईयूएमएल के पी के कुन्हालीकुट्टी, लोकतांत्रिक जनता दल के शरद यादव, पीडीपी के मीर मोहम्मद फैयाज, जद (एस) के डी कुपेंद्र रेड्डी, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के जीतन राम मांझी, रालोसपा के उपेंद्र कुशवाहा तथा कई अन्य दलों के नेता भी बैठक में शामिल हुए.
विपक्षी दलों की बैठक से पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, बीएसपी अध्यक्ष मायावती, समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव, आम आदमी पार्टी और डीएमके ने दूरी बनाए रखी. शिवसेना भी बैठक में शामिल नहीं हुई.