नई दिल्ली: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने संशोधित नागरिकता कानून (CAA) के खिलाफ प्रस्तावों को लेकर यूरोपीय संसद के अध्यक्ष डेविड मारिया सासोली को पत्र लिखा है. इसमें उन्होंने सांसद के प्रस्ताव पर कड़ी आपत्ति जताई है. उन्होंने कहा, ''अंतर-संसदीय यूनियन के सदस्य होने के नाते हमें अन्य विधानमंडलों की संप्रभु प्रक्रियाओं का सम्मान करना चाहिए''


ओम बिरला ने कहा, ''एक विधान मंडल का दूसरे विधान मंडल पर फैसला देना अनुचित है, इस चलन का निहित स्वार्थों द्वारा दुरूपयोग किया जा सकता है.'' उन्होंने कहा कि हमें एक दूसरे की सार्वभौमिकता का सम्मान करना चाहिए और ऐसी किसी भी अस्वस्थ परंपरा की शुरुआत नहीं करनी चाहिए.


लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने अपने पत्र में लिखा है, ''भारत में संसद सर्वोच्च है और कोई भी कानून संसद के दोनों सदनों में चर्चा बहस के बाद बहुमत से पास किया जाता है सिटीजन अमेंडमेंट एक्ट भी संसद के दोनों सदनों में चर्चा के बाद बहुमत से पास किया गया है ऐसे में भारतीय संसद में बहुमत से पास हुए प्रस्ताव पर यूरोपियन यूनियन की संसद कोई प्रस्ताव लाए या कोई फैसला सुनाए यह उचित नहीं होगा.''


यूरोपीय संसद में इस सप्ताह की शुरुआत में यूरोपियन यूनाइटेड लेफ्ट/नॉर्डिक ग्रीन लेफ्ट (जीयूई/एनजीएल) समूह ने CAA को लेकर प्रस्ताव पेश किया था जिस पर बुधवार को बहस होगी और इसके एक दिन बाद मतदान होगा.


प्रस्ताव में कहा गया है, ‘‘सीएए भारत में नागरिकता तय करने के तरीके में खतरनाक बदलाव करेगा. इससे नागरिकता विहीन लोगों के संबंध में बड़ा संकट विश्व में पैदा हो सकता है और यह बड़ी मानव पीड़ा का कारण बन सकता है. सीएए पिछले साल दिसंबर में लागू किया गया था जिसे लेकर देशभर में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं.