NIA Special Court: सीएए विरोध प्रदर्शन के मामले में असम के विधायक अखिल गोगोई की मुसीबतें कम होती नहीं दिख रही हैं. गुवाहाटी कोर्ट के निर्देश के बाद एनआईए की विशेष अदालत ने गुरुवार (23 फरवरी) को एक बार फिर से गोगोई और उनके तीन सहयोगियों के खिलाफ मामले को फिर से खोल दिया. इसको लेकर अखिल गोगोई के वकील कोर्ट में पेश हुए और उन्होंने अपना पक्ष रखा.


समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, पहले दिन, गोगोई के वकील ने कोर्ट में सुप्रीम कोर्ट के आदेश को पेश किया जिसमें 24 फरवरी तक उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगी हुई है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले को ध्यान में रखते हुए एनआईए की विशेष अदालत के जज प्रांजल दास ने सुनवाई टाल दी और मामले को 28 फरवरी के लिए सूचीबद्ध किया है. तो वहीं, अखिल गोगोई के सैकड़ों समर्थक अदालत के बाहर दिखे.


एनआईए स्पेशल कोर्ट के आदेश को गुवाहाटी हाई कोर्ट में चुनौती


इस मामले में गुवाहाटी हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी. इस पर कोर्ट ने 9 फरवरी को राष्ट्रीय जांच एजेंसी को गोगोई और अन्य तीन के खिलाफ आरोप तय करने की इजाजत दी थी. हाई कोर्ट ने ये आदेश एनआईए की उस अपील पर दिया था जिसमें चारों को क्लीन चिट देने वाले आदेश को चुनौती दी गई थी. तीन अन्य अभियुक्तों की अगर बात करें तो इनमें धैज्य कंवर, बिट्टू सोनोवाल और मानश कोंवल शामिल हैं. इन सभी को मामले में जमानत मिली हुई है.






गोगोई की जमानत की थी खारिज


इन तीनों के अलावा, इस मामले में अखिल गोगोई ही एक ऐसे अभियुक्त थे जिनकी जमानत अदालत ने खारिज कर दी थी और 567 दिन जेल में बिताने के बाद उन्हें रिहा किया गया था. उन्हें एनआईए की विशेष अदालत के जज प्रांजल दास ने 3 अन्य आरोपियों के साथ रिहा कर दिया था.


एनआईए सीएए विरोधी हिंसा से संबंधित गोगोई के दो मामलों की जांच कर रही थी. उनमें से एक में  विशेष एनआईए अदालत ने उन्हें जमानत दी थी, जिसे गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने भी अप्रैल 2021 में जांच एजेंसी की चुनौती दिए जाने के बाद बरकरार रखा था. गोगोई ने साल 2021 में सिबसागर विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय चुनाव जेल में रहते हुए लड़ा था. इसके बाद गोगोई को विधायक पद की शपथ लेने के लिए अदालत से इजाजत लेनी पड़ी थी और वो इस तरह से कैदी विधायक के रूप में शपथ लेने वाले असम विधानसभा के पहले सदस्य बने थे.


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