Protest Against CAA: देश में नागरिक संशोधन अधिनियम (सीएए) लागू होते ही इसका विरोध भी शुरू हो गया. ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (आसू) ने इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. आसू ने सीएए नियमों को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कानून पर रोक लगाने की मांग की है. ये वही संगठन है जिसने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के असम दौरे से पहले विरोध में बाइक रैली निकाली थी.


दिल्ली में आसू के महासचिव उत्पल शर्मा ने मीडिया से बातचीत में कहा, “हमें सुप्रीम कोर्ट पर पूरा भरोसा है और ये नॉर्थईस्ट के लोगों को न्याय जरूर देगा. इसी आशा के साथ हम सीएए के नियमों को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे रहे हैं और हमने इस पर स्टे लगाने की मांग की है.” ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन पहले से राज्यव्यापी आंदोलन करके समानांतर कानून की लड़ाई लड़ रहा है.


‘सीएए के खिलाफ जारी रहेगी लड़ाई’


ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (एएएसयू) ने साल 1979 में अवैध प्रवासियों की पहचान और उनके निष्कासन की मांग को लेकर छह वर्षीय आंदोलन की शुरुआत की थी. एएएसयू ने मंगलवार (12 मार्च) को कहा था कि वह केंद्र के इस कदम के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ेगी.


ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन और नॉर्थ ईस्ट स्टूडेंट्स ऑर्गनाइजेशन के मुख्य सलाहकार समुज्जल भट्टाचार्य ने कहा था कि एएएसयू सीएए को स्वीकार नहीं करेगा और इसके खिलाफ विरोध जारी रखेगा. उन्होंने कहा, ‘‘हम पहले से ही अपने अधिवक्ताओं के साथ बातचीत कर रहे हैं और इसको लागू करने के खिलाफ अपनी कानूनी लड़ाई जारी रखेंगे.’’


असम में तेज हुआ सीएए का विरोध


असम में विपक्षी दलों ने विवादास्पद नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (सीएए)-2019 को लागू करने पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की आलोचना की. राज्यभर में सीएए के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए हैं. वहीं, 16 दल वाले संयुक्त विपक्षी मंच, असम (यूओएफए) ने मंगलवार को राज्यव्यापी हड़ताल की घोषणा भी की.


सीएए के लागू होने से पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के बिना दस्तावेज वाले गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता देने का मार्ग प्रशस्त हो गया है. एएएसयू और 30 गैर-राजनीतिक संगठनों ने गुवाहाटी, कामरूप, बारपेटा, लखीमपुर, नलबाड़ी, डिब्रूगढ़, गोलाघाट और तेजपुर सहित राज्य के विभिन्न हिस्सों में अधिनियम की प्रतियां जलाईं और विरोध रैलियां निकालीं. कांग्रेस नेता और असम विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष देबब्रत सैकिया ने सीएए की अधिसूचना को ‘दुर्भाग्यपूर्ण’ करार दिया.


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