CAA Rules: CAA पर बोलते-बोलते कश्मीरी पंडितों पर बोल गए असदुद्दीन ओवैसी, जानें क्या कहा
Citizenship Amendment Act: देश में नागरिकता संशोधन कानून लागू होने के बाद विपक्षी दलों के नेता बीजेपी पर हमलावर हैं. सवाल किया जा रहा है कि इस कानून से मुसलमानों को क्यों बाहर रखा गया है.
Asaduddin Owaisi On CAA: देश के दोनों सदनों में पास होने के 4 साल बाद नागरिकता संसोधन कानून (सीएए) को लागू कर दिया गया और इसके नियमों को लेकर नोटिफिकेशन जारी कर दिया. मामले पर राजनीति भी हो रही है. एआईएमआईएम के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सीएए के संविधान के खिलाफ होने का आरोप लगाते हुए मंगलवार (12 मार्च) को कहा कि अधिनियम के नियमों को अधिसूचित किये जाने के मद्देनजर वह सुप्रीम कोर्ट का रुख करेंगे.
ओवैसी ने कहा कि धर्म के आधार पर कोई कानून नहीं बनाया जा सकता और इसपर सुप्रीम कोर्ट के कई निर्णय भी हैं. ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख ने कहा, ‘‘...यह समानता के अधिकार के खिलाफ है. आप प्रत्येक धर्म के लोगों को (नागरिकता की) अनुमति दे रहे हैं, लेकिन इस्लाम धर्म के लोगों को यह नहीं दे रहे हैं. 5 लाख जो कश्मीरी पंडित बाहर हैं, उनके बारे में कौन बात करेगा.’’
‘एनपीआर और एनआरसी से जोड़कर देखा जाना चाहिए’
केंद्र ने सोमवार को सीएए, 2019 को लागू किया और इसके नियमों को अधिसूचित किया. यह कानून 31 दिसंबर 2014 से पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश, और अफगानिस्तान से भारत आए बिना दस्तावेज वाले गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को नागरिकता प्रदान करने का प्रावधान करता है. ओवैसी ने दावा किया कि सीएए को राष्ट्रीय जनसंख्या पंजी (एनपीआर) और राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के साथ जोड़ कर देखा जाना चाहिए.
उन्होंने कहा, ‘‘यह सरकार चार साल बाद (सीएए के) नियम बना रही. मैं देश को यह बताना चाहता हूं. मौजूदा गृह मंत्री (अमित शाह) ने संसद में मेरा नाम लेते हुए कहा था कि एनपीआर आएगा, एनआरसी भी आएगा. उन्होंने टेलीविजन पर साक्षात्कार में कई बार यह कहा है.’’
ओवैसी ने कहा, ‘‘मैं कहना चाहता हूं कि केवल सीएए को ही मत देखिए. आपको इसे एनपीआर और एनआरसी के साथ देखना होगा. जब वह होगा तब बेशक निशाने पर मुख्य रूप से मुसलमान, दलित, आदिवासी और गरीब होंगे.’’ उन्होंने कहा कि असम में एनआरसी पर सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में की गई कवायद में, 19 लाख नाम नहीं थे.
‘नियम बन गया है तो अदालत जाएंगे’
ओवैसी ने दावा किया कि यह कहना गलत है कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में रह रहे हिंदू, सिख या ईसाई धर्म के लोगों को नागरिकता नहीं दी जा सकती थी. उन्होंने कहा, ‘‘सरकार पास हमेशा ही शक्ति रही है. वे शासकीय आदेश से ऐसा कर सकते थे.’’ उन्होंने कहा, ‘‘चूंकि अब नियम बना दिये गए हैं, ऐसे में हम सुप्रीम कोर्ट का रुख करेंगे. हम इस मुद्दे को अदालत में उठाने की कोशिश करेंगे.’’
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