CAA Rules in India Notified: केंद्र सरकार की ओर से नागरिकता संशोधन कानून 2019 के नियम लागू होने के बाद तीन देशों से आए हिंदू अप्रावासी बेहद खुश हैं. भारत में आए इन लोगों को नागरिकता दिलाने के लिए देश में कई संस्थाएं/संगठन भी काम कर रहे हैं. इसमें एक नाम अहमदाबाद की डिपंल वरंदानी का भी है जोकि 1990 में अपने पैरेंट्स के साथ पाकिस्तान से भारत (गुजरात) आईं थीं. वह एक एनजीओ से जुड़ी हुई हैं.
समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, सीएए लागू होने पर डिंपल वरंदानी का कहना है कि वो एक एनजीओ चलाती हैं. यह एनजीओ खासकर पाकिस्तान और बांग्लादेश से आए अप्रावासी लोगों को भारतीय नागरिकता दिलाने के लिए काम करती है जोकि लंबे समय से यहां पर आकर रह रहे हैं. उनका कहना है कि मैं खुद पाकिस्तान से हूं.
'पाकिस्तान में हिंदू लड़के-लड़कियां सभी परेशान'
पाकिस्तान में हिंदुओं की दुर्दशा पर डिंपल का कहना है कि हर कोई वहां के हालातों के बारे में वाकिफ है. हर कोई जानता है कि पाकिस्तान में हिंदू लड़कियों को किस तरह के दर्द और तकलीफों से गुजरना पड़ता है. उनका कहना है कि पाकिस्तान में केवल लड़कियां ही नहीं बल्कि स्कूल जाने वाले हिंदू छात्रों को भी तमाम तरह की परेशानियों और समस्याओं से जूझना पड़ता है.
उनका कहना है कि मैं गुजरात में रहती हूं और यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का राज्य है. यह देश का सबसे अच्छा राज्य है. मैं 1990 में यहां पर माता-पिता के साथ आई थी लेकिन मुझे नागरिकता 2016 में मिली. मेरे पति भारतीय हैं और मेरी दो बेटियां भी हैं.
'भारत की नागरिकता हासिल करने का आवेदन 3 बार हुआ रिजेक्ट'
डिंपल वरंदानी ने कांग्रेस की पूर्व सरकारों की आलोचना भी की. उन्होंने कहा कि उनको भारत की नागरिकता हासिल करने में 26 साल का लंबा वक्त लग गया. उन्होंने बताया कि 2004 से 2014 तक मैंने भारतीय नागरिकता के लिए 3 बार अप्लाई किया था लेकिन सभी डॉक्यूमेंट्स होने के बावजूद मुझे नागरिकता देने की अप्लीकेशन 3 बार रिजेक्ट कर दी गई.
'26 सालों के कभी नहीं गईं पाकिस्तान'
डिंपल ने इस बात पर भी हैरानी जताई कि वो इस 26 सालों के दौरान में कभी पाकिस्तान भी नहीं गईं बावजूद इसके उनको नागरिकता लेने के लिए अप्लाई किए गए आवेदन स्वीकार नहीं किए गए. उन्होंने मोदी सरकार की प्रशंसा करते हुए कहा कि जब 2014 में केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार आई तो हमारे साथ अच्छा व्यवहार किया जाने लगा.
'मोदी सरकार ने 2016 में दी डीसी को पॉवर'
उन्होंने यह भी कहा कि 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिला कलेक्टरों को नागरिकता देने की पॉवर दे दी गई. इसके बाद अब नई दिल्ली जाने की बजाय जिला स्तर पर भारतीय नागरिकता से जुड़ी फाइलों की मंजूरी होने लगी. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार के आने के बाद नागरिकता के लिए आवेदन में जो 3-4 साल का वक्त लग जाता था वो डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर को पॉवर देने के बाद घटकर महज 6 महीने हो गया. इससे परेशानियां दूर हुईं और आवेदन के लिए नई दिल्ली जाने का झंझट भी समाप्त हुआ.
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