Citizenship Amendment Act: लोकसभा चुनाव 2024 से पहले बीजेपी नीत केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार नागरिकता संशोधन कानून (CAA) लागू कर सकती है. सूत्रों ने एबीपी न्यूज को जानकारी दी है कि सीएए का नोटिफिकेश आज यानी सोमवार (11 मार्च, 2024) को किसी भी वक्त जारी हो सकता है. उम्मीद की जा रही है कि सरकार रात में इसे जारी कर देगी.


इससे पहले सूत्रों की ओर से खबर आई थी कि सरकार मार्च के पहले हफ्ते या इसके बाद किसी भी दिन सीएए के नियम लागू कर देगी. इसके लागू होने के साथ ही सीएए कानून लागू हो जाएगा. पूर्व में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी कह चुके हैं कि लोकसभा चुनाव से पहले सीएए को लेकर नोटिफिकेशन जारी कर दिया जाएगा. सीएए को लेकर आइये जानते हैं 10 बड़ी बातें.


नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लेकर बड़ी बातें-


1. सरकार के सूत्रों के अनुसार, सरकार ने सीएए को लागू करने के लिए पोर्टल तैयार कर लिया है. अधिकारियों का कहना है कि पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन होगी. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, आवेदन करने वालों को वो साल बताना होगा, जब उन्होंने दस्तावेजों के बिना भारत में प्रवेश किया था.


2. सूत्रों के अनुसार, आवेदन करने वालों से कोई दस्तावेज नहीं मांगा जाएगा. जानकारी के लिए आपको बता दें कि सीएए कानून 2019 पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश के उन अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता के लिए रास्ता खोलेगा, जो लंबे समय से भारत में रह रहे हैं.


3. इस कानून में किसी भी भारतीय की नागरिकता छीनने का कोई प्रावधान नहीं हैं, चाहे वह किसी भी धर्म का हो. पिछले महीने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा था, ''सीएए को लागू करने के नियम 2024 लोकसभा चुनाव से पहले जारी कर दिए जाएंगे. लाभार्थियों को भारतीय राष्ट्रीयता देने की प्रक्रिया जल्द ही शुरू होगी.''


4. गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था, ''सीएए देश का कानून है. इसकी अधिसूचना जरूर जारी होगी. लोकसभा चुनाव से पहले इसे जारी किया जाएगा. इसे लेकर किसी को कोई भ्रम नहीं होना चाहिए. भारत के पड़ोसी देशों के प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता देना कांग्रेस नेतृत्व का भी वादा था.''


5. अमित शाह ने कहा था, ''जब विभाजन हुआ था, उस समय हिंदू, बौद्ध, ईसाई सभी वहां धार्मिक उत्पीड़न का सामना करने के बाद भारत आना चाहते थे. कांग्रेस नेताओं ने इन्हें भारत की नागरिकता देने का वादा किया था. यह भी कहा था कि आप सभी का स्वागत है, लेकिन कांग्रेस नेता अपने बयान से पीछे हट गए थे.''


6. शाह ने यह भी कहा था, ''सीएए किसी की नागरिकता छीनने का कानून नहीं है. हमारे मुस्लिम भाइयों को सीएए के मुद्दे पर भड़काया जा रहा है. सीएए के जरिए किसी की नागरिकता नहीं छीनी जा सकती. इस कानून में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है. सीएए उन लोगों को नागरिकता देने के लिए बनाया गया है, जो पाकिस्तान और बांग्लादेश से धार्मिक उत्पीड़न का सामना करके भारत आए और यहां शरण ली. इसका किसी को विरोध नहीं करना चाहिए.''


7. सीएए को दिसंबर 2019 में संसद ने सीएए किया था. बाद में इसे राष्ट्रपति की मंजूरी भी मिल गई. इसके बाद देश के कुछ हिस्सों में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए थे. चार साल से ज्यादा समय के बाद सीएए लागू करने के लिए नियम बनाए जाने जरूरी हैं.


8. केंद्र सरकार सीएए के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से प्रताड़ित उन गैर-मुस्लिम प्रवासियों- हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई धर्म के लोगों को भारतीय नागरिकता देना चाहती है, जो 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए थे.


9. बता दें कि सीएए के विरोध में कुछ देश के कुछ राज्यों की विधानसभाओं में प्रस्ताव भी पारित किए गए हैं. सीएए के विरोध में केरल, पंजाब,  राजस्थान,  पश्चिम बंगाल,  पुडुचेरी और तेलंगाना की विधानसभा प्रस्ताव पारित किया जा चुका है.


10. सीएए के राजनीतिक मायने भी निकाले जा रहे हैं. माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव से पहले इसके लागू होने पर वोटो का ध्रुवीकरण हो सकता है. इससे यह छवि बनेगी कि बीजेपी अपनी विचारधारा और वादे पर सख्ती से कायम है. इससे बीजेपी का कोर वोटर मजबूत होगा. इसका मुख्य असर पश्चिम बंगाल और असम में देखने को मिल सकता है. 


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